राहुल गाँधी ने हाल ही में मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक चुनावी रैली के दौरान भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को ‘हत्या का आरोपित’ कहा था। इसके बाद कॉन्ग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ बुधवार को उनकी अपमानजनक और झूठी टिप्पणी के लिए मानहानि की शिकायत दर्ज की गई थी।
अब, गुजरात की एक महानगरीय अदालत ने शुक्रवार को बीजेपी के खड़िया पार्षद कृष्णवदन ब्रह्मभट्ट द्वारा दर्ज की गई शिकायत के आधार पर इस मामले की जाँच का आदेश दिया है। कोर्ट 30 अप्रैल 2019 को इस बात पर फैसला करेगा कि इस शिकायत का संज्ञान लिया जाए या नहीं।
अदालत ने इस मामले में ब्रह्मभट्ट और उनके दो गवाहों- जिगेश दानी और उमंग नाइक के बयान को दर्ज किया और सुनवाई 30 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी। 30 अप्रैल को ही यह फैसला होगा कि मामले में संज्ञान लिया जाए और गाँधी को समन जारी किया जाए? या नहीं। उपरोक्त बातें ब्रह्मभट्ट के वकील प्रकाश पटेल ने डीएनए को बताया।
बता दें कि राहुल गाँधी के खिलाफ हाल के दिनों में सार्वजनिक रूप से की गई कई झूठी टिप्पणियों, बयानों के लिए मुकदमा दायर किया गया है। कुछ दिन पहले ही, उन्होंने दावा किया था कि देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि “चौकीदार चोर है।” उन्हें अपनी इसी विवादास्पद टिप्पणी के लिए सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष माफी माँगने को विवश होना पड़ा था।
एक और मानहानि की शिकायत में, जो आरएसएस अध्यक्ष द्वारा राहुल की उस टिप्पणी के लिए दायर की गई थी कि जिसमें राहुल ने दावा किया था, “भगवा संगठन महात्मा गाँधी की हत्या के लिए जिम्मेदार था।’ इस मामले में भी राहुल गाँधी ने कोर्ट में यू-टर्न ले लिया था और दावा किया कि उन्होंने ऐसा कभी नहीं कहा था बल्कि उनकी टिप्पणियों की गलत व्याख्या की गई थी।”
बुधवार को राहुल गाँधी के खिलाफ एक और शिकायत, उनके चुनावी हलफनामों में यह बात छिपाने के लिए दायर की गई थी कि उनको मानहानि मामले में समन मिला था।