नैनीताल हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर साल 2016 के स्टिंग मामले में CBI को FIR दर्ज करने की अनुमति दे दी है। मामला विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़ा है। मामले में अगली सुनवाई नवंबर में होगी। कोर्ट ने कहा है कि CBI इस मामले के संबंध में जाँच शुरू कर सकती है, लेकिन फैसला आने तक रावत को गिरफ्तार नहीं कर सकती।
Nainital High Court allows Central Bureau of Investigation (CBI) to register FIR against former Uttarakhand CM Harish Rawat, in 2016 sting video case. Court said that CBI can initiate inquiry but the agency can not arrest Rawat until the final judgement of the court. (File pic) pic.twitter.com/HrtW96Hd14
— ANI (@ANI) September 30, 2019
जस्टिस सुंधाशु धूलिया की बेंच ने सोमवार (सितंबर 30, 2019) को मामले की सुनवाई की। रावत की ओर से पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने पैरवी की। सीबीआई की ओर से दलीलें असिस्टेंट सॉलिस्टर जनरल राकेश थपलियाल ने रखी। कोर्ट के सामने सीबीआई की प्रारंभिक जाँच की सीलबंद रिपोर्ट भी पेश की गई।
सिब्बल ने एसआर मुम्बई केस का हवाला देते हुए अदालत से कहा कि राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्यपाल द्वारा लिए गए निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय असंवैधानिक बता चुका है। न्यायालय के आदेश पर बहाल हुई रावत सरकार के कैबिनेट ने स्टिंग मामले की जाँच एसआईटी से कराने का निर्णय लिया था। सीबीआई के वकील थपलियाल ने इसका विरोध करते हुए कहा गया कि जिस व्यक्ति पर आरोप हों, उसे यह तय करने का अधिकार नहीं हो सकता कि जाँच कौन सी एजेंसी करेगी।
गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में सीबीआई ने कोर्ट से इस मामले में प्रारंभिक जाँच रिपोर्ट पेश करने और रावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की इजाजत माँगी थी।
रावत ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि सीबीआई को इस मामले की जॉंच का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राष्ट्रपति शासन के दौरान जारी सीबीआई जाँच की नोटिफिकेशन वापस ले ली थी। पूरे मामले की जाँच SIT से कराने का निर्णय लिया था। ऐसे में इस मामले में जाँच का अधिकार सीबीआई का नहीं है। रावत के अधिवक्ता ने CBI की प्रारंभिक रिपोर्ट को भी अवैध बताया था।
विधायकों की खरीद-फरोख्त: उत्तराखंड के पूर्व CM हरीश रावत पर कसा शिकंजा, FIR दर्ज करने की तैयारी में CBI
— घोर अज्ञानी ? ??? फॉलो बैक (@Ghoragyani3367) September 4, 2019
मार्च 2016 में 9 कॉन्ग्रेस विधायकों ने बगावत कर दी थी। जिसके बाद हरीश रावत का एक स्टिंग सामने आया था। इसमें रावत सरकार बचाने के लिए कथित तौर पर विधायकों से सौदेबाजी करते दिखे थ pic.twitter.com/nR60DgNsBO
दरअसल, मार्च 2016 में विधानसभा में वित्त विधेयक पर वोटिंग के बाद 9 कॉन्ग्रेस विधायकों ने बगावत कर दी थी। जिसके बाद एक निजी चैनल ने हरीश रावत का एक स्टिंग जारी किया था। जिसमें रावत सरकार बचाने के लिए कथित तौर पर विधायकों से सौदेबाजी करते दिखे थे। इसके बाद उनकी सरकार बर्खास्त कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था।
बाद में अदालत के आदेश से रावत सरकार फिर बहाल हो गई। सत्ता में लौटते ही इस मामले की जॉंच सीबीआई से हटाकर एसआईटी से कराने का निर्णय किया गया। लेकिन केंद्र सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया।