यूक्रेन में फँसे भारतीय छात्रों को वापस निकालने के लिए भारत सरकार ‘ऑपरेशन गंगा’ चला रही है, जिसके तहत अब तक एक दर्जन फ्लाइट्स वहाँ से नागरिकों को लेकर वापस आई है। यूक्रेन के 4 पड़ोसी देशों में चार केंद्रीय मंत्रियों को भेजा गया है, ताकि बेहतर समन्वय के साथ उन छात्रों को वापस निकाला जा सके। साथ ही यहाँ पहुँचने वाले छात्रों का भी स्वागत केंद्रीय मंत्री कर रहे हैं। हमने यूक्रेन से वापस आई एक ऐसी ही छात्रा से जाना कि वहाँ क्या स्थिति है और भारतीय दूतावास कैसे मदद कर रहा है।
हमने बात की आगरा के दयालबाग स्थित राहुल विहार में रहने वाले कृष्णवीर सिंह सिकरवार की पत्नी साक्षी सिकरवार से, जो रविवार (27 फरवरी, 2022) को यूक्रेन से दिल्ली लौटी हैं। पिता कृष्णवीर सिंह सिकरवार ने बताया कि जैसे ही पता चला कि यूक्रेन में हमला हुआ है, घर में सबकी हालत काफी खराब हो गई थी। उन्होंने बताया कि परिवार वालों को बेटी की काफी चिंता होने लगी थी। इसके बाद परिवार ने आगरा के जिलाधिकारी से संपर्क किया, जिन्होंने इस बार को भारतीय दूतावास में रखा।
कृष्णवीर सिंह सिकरवार ने बताया कि इसके बाद त्वरित कार्यवाही हुई और 24 घंटे के भीतर उनकी बेटी के बाद आधिकारिक सन्देश पहुँच गया कि उन्हें वहाँ से भारत वापस लाया जाएगा। इसके बाद साक्षी को यूक्रेन से रेस्क्यू किया गया। कृष्णवीर सिंह सिकरवार ने कहा, “भारतीय दूतावास और मेरी बेटी जिस यूनिवर्सिटी में पढ़ रही हैं, उन दोनों का समन्वय इतना अच्छा रहा कि तुरंत सब कुछ हो गया। हमें इसकी बहुत ख़ुशी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय दूतावास ने हमारी परेशानी को इतनी जल्दी समझा।”
बता दें कि साक्षी पश्चिमी यूक्रेन में स्थित ऊजहोरोद शहर के ‘Uzhhorod National University (ऊजहोरोद नेशनल यूनिवर्सिटी)’ में पढ़ाई करती हैं। कृष्णवीर सिंह सिकरवार ने बताया कि पहली ही फ्लाइट में उनकी बेटी वापस आ गई थीं। पिता ने बताया, “हालात तो दिन पर दिन बिगड़ ही रहे थे। जब मेरी बेटी वापस आ गई तो घर पर ख़ुशी का माहौल था। उसके लौटने के बाद से ही घर पर आने-जाने वालों का ताँता लगा हुआ है हालचाल जानने के लिए।”
उन्होंने कहा कि बेटी से मिलने की जो ख़ुशी है, उसे शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि इतनी जल्दी उनकी बेटी वापस आ पाएगी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘गंगा मिशन’ के कारण ही ये संभव हो पाया। उन्होंने कहा कि वो भारतीय दूतावास और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न सिर्फ धन्यवाद देते हैं, बल्कि इस प्रयास के लिए उन्हें सैल्यूट भी करते हैं। साक्षी के घर में उनके माता-पिता के अलावा एक बड़े भाई भी हैं।
साक्षी के बड़े भाई हिमांशु सिकरवार इटली से एमएस करने के बाद आगरा में नौकरी कर रहे हैं। वहीं साक्षी सिकरवार ने ऑपइंडिया से बात करते हुए बताया कि जहाँ वो रह थी, तब वहाँ पर हमले हो रहे थे और धुआँ-धुआँ हो जाता था। कब कौन सा हमला हो जाए और कहाँ बम गिर जाए, इसका कोई पता नहीं था। साक्षी के अन्य भारतीय दोस्त भी वहाँ से लौट चुके हैं और उनका कहना है कि इंडियन एम्बेसी और यूनिवर्सिटी ने पूरी मदद की। साक्षी को सीमा पार कर के हंगरी में घुसना पड़ा।
साक्षी ने बताया कि सीमा पार करने के लिए आपके पास उचित दस्तावेजों का होना ज़रूरी था, वरना वहाँ से निकलने में दिक्कतें आ रही थीं। यूक्रेन-हंगरी सीमा पर काफी भीड़ थी और छात्रों को लाइन में लगना पड़ा था। साक्षी ने बताया कि सीमा पर पूरी प्रक्रिया ख़त्म करने में 4 घंटे लग गए थे और तब तक वो लोग बस में बैठे हुए थे। साक्षी ये भी बताती हैं कि भारतीयों के साथ यूक्रेन की सेना या पुलिस का ठीक व्यवहार था। हाँ, जहाँ भोजन-पानी की दिक्कतें हैं, वहाँ भारतीयों के साथ लूटपाट भी हुई हैं।
साक्षी सिकरवार ने बताया, “हमारा भारतीय होना और हमारे पास राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का होना हमारे लिए बहुत ही अच्छी चीज मानी गई। वहाँ पाकिस्तान, बांग्लादेशी और नाइजीरियन से लेकर कई बाहर के पढ़ने वाले छात्र हैं, लेकिन भारतीयों को वहाँ से निकलने में आसानी हुई। भारतीय झंडे को देख कर हमें तंग नहीं किया जा रहा था। हमें ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा और वहाँ पहुँचने के बाद फ्लाइट में ले जाया गया। जिनकी फ्लाइट देर से थी, उनके लिए ठहरने और खाने-पीने की भी व्यवस्था की गई।”
भारतीय छात्रों का कहना है कि यूक्रेन में उनकी गाड़ी पर भारतीय ध्वज देख कर उन्हें तंग नहीं किया गया और तब उन्हें और अच्छे से इसकी अहमियत समझ आई। MBBS की छात्रा साक्षी के अन्य दोस्त पोलैंड सीमा पर भी गए थे, जहाँ से लूटपाट और मारपीट की भी खबरें आईं। उनका कहना है कि गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) और स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) पर जिस झंडे को हम मात्र 5 रुपए में खरीदते हैं और फिर फेंक देते हैं, उसकी वजह से हम आज ज़िंदा हैं और अपने घरों पर हैं।
भारत सरकार यूक्रेन से अपने लोगों को निकालने को लेकर गंभीर है और इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत भी हुई है। रूस पर अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने कई प्रतिबंध लगाए हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने उन्हें ‘वॉर क्रिमिनल’ करार दिया है। भारतीय छात्रों को एम्बेसी ने खारकीव तुरंत छोड़ने की सलाह दी है। उन्हें कहा गया है कि गाड़ी न मिले तो वो पैदल ही पश्चिम की तरफ निकलें। भोजन-पानी के लिए एम्बेसी व्यवस्था कर रहा है।