इजरायल की सेना जहाँ गाज़ा में घुस कर हमास का सफाया करने के लिए तैयार है, वहीं अब इस युद्ध में अमेरिका की भी एंट्री हुई है। अमेरिका ने 2000 सैनिकों को तैयार रहने का निर्देश दिया है। उधर ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह ख़ामेनई ने कहा है कि कोई भी मुस्लिमों का सामना नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि अगर इजरायल गाज़ा में कार्रवाई जारी रखता है तो फिर दुनिया भर के मुस्लिमों को रोकने वाला कोई नहीं होगा। ईरान और अमेरिका की एंट्री से दुनिया पर एक नए महायुद्ध का ख़तरा मँडरा रहा है।
बता दें कि 1979 की क्रांति के बाद से ही ईरान लगातार फिलिस्तीन का समर्थन करता रहा है। आयतुल्लाह ख़ामेनई की सरकार भी फिलिस्तीन को न सिर्फ मदद देती है, बल्कि आतंकी संगठन हमास को सैन्य समर्थन भी देती है। उन्होंने इजरायल के लोगों को अपराधी बताते हुए उन्हें सज़ा देने की बात की। वहीं ईरान के विदेश मंत्री हुसैन आमिर-अब्दुल्लाहियान ने ‘रेजिस्टेंस फ्रंट’ द्वारा मुकाबले की बात कही है। इसमें लेबनान का हिज्बुल्ला भी शामिल है तो लगातार इजरायल पर हमले कर रहा है।
इससे आशंका है कि ये युद्ध कई मोर्चों पर जा सकता है। हिज्बुल्ला के पास ऐसे-ऐसे मिसाइल हैं और ऐसी तकनीक है कि वो इजरायल के काफी भीतर तक वार कर सकता है। इस ‘रेसिस्टेंस फ़ोर्स’ में सीरिया और इराक के भी कई हथियारबंद संगठन शामिल हैं। अमेरिका ने ईरान को कई बार चेताया है। चिंताएँ हैं कि अगर गाज़ा में इजरायल घुसता है तो कई आतंकी संगठन इस युद्ध में घुस सकते हैं। वहीं UN बार-बार इजरायल पर युद्ध रोकने का दबाव बना रहा है, लेकिन 1400 लोगों की हत्याओं के बाद भड़के इजरायल का स्पष्ट कहना है कि वो हमास को खत्म कर देगा।
🚨 Iran’s FM Abdollahian warns of potential “preemptive action” by Iran & its allies in the “coming hours” in the region to counter Israel’s attacks on Gaza. This is a serious statement that signals a real possibility of Iran and/or Hezbollah joining the war against Israel.>>> pic.twitter.com/1vi76MPRf4
— Sina Toossi سینا طوسی (@SinaToossi) October 16, 2023
वहीं अमेरिका ने 2000 सैनिकों को तैयार रखा है, जिन्हें कभी भी मध्य-पूर्व में तैनात किया जा सकता है। अमेरिका की मैरीन रैपिड रिस्पॉन्स फ़ोर्स भी इजरायल की सीमा के आसपास मँडरा रही है। लेबनान को सन्देश देने के लिए एक ‘अवरोध’ के रूप में इन 2000 फौजियों को तैयार रहने के निर्देश दिए हैं। मेडिकल और लॉजिस्टिक्स सपोर्ट के लिए भी इनका इस्तेमाल किया जाएगा। हालाँकि, अमेरिका का कहना है कि ग्राउंड फाइट से वो दूरी बनाए रखेगा।