24 अप्रैल 2021 को रटगर्स यूनिवर्सिटी स्टूडेंट असेंबली (RUSA) ने हिंदूफोबिया की परिभाषा को अपनाते हुए एक ऐतिहासिक प्रस्ताव (No. 1451-XX) पारित किया। यह प्रस्ताव अंडरस्टैंडिंग हिंदूफोबिया कॉन्फ्रेंस के निष्कर्ष के 14 दिन बाद आया।
#BREAKING: Rutgers University becomes the first U.S university to institutionally recognize Hinduphobia through its student assembly #UnderstandingHinduphobia2021
— Hindu On Campus (@hinduoncampus) April 23, 2021
इस कॉन्फ्रेंस को यूनिवर्सिटी में लगातार हिंदूफोबिक घटनाएँ देखते हुए आयोजित किया गया था। मामले के संबंध में हिंदू छात्रों के समूह ने मार्च में याचिका डाली थी। इसमें यूनिवर्सिटी से विवादित इतिहासकार व प्रोफेसर ऑड्रे ट्रूस्के के ख़िलाफ़ एक्शन लेने की बात की गई थी।
इन सबके बावजूद प्रोफेसर ऑड्रे ट्रूस्के सुधरने की बजाय उन छात्रों के अभिभावकों को स्टॉक करने लगीं, जिन्होंने कॉन्फ्रेंस में भाग लिया था। इसके प्रमाण, ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी में नस्लवाद का शिकार होने वाली स्टूडेंट यूनियन की पूर्व अध्यक्ष रश्मि सामंत ने भी पेश किए।
सामंत ने रटगर्स यूनिवर्सिटी के किसी एक छात्र के साथ अपनी चैट पब्लिक की। इससे साफ है कि प्रोफेसर LinkedIn के जरिए छात्रों के माता-पिता को स्टॉक कर रही हैं।
अनुमान है कि ऐसा सिर्फ यूनिवर्सिटी के हिंदू छात्रों को निशाना बनाने के लिए हो रहा है बिलकुल वैसे जैसे रश्मि सामंत को बनाया गया था। सामंत लिखती हैं, “घटिया। ऑड्रे ट्रूस्के क्या ऑक्सफॉर्ड के अभिजीत सरकार की तरह हेट कैंपेन चलाना चाहती हैं? ”
A new low. Audrey Truschke is stalking LinkedIn accounts of parents of students who held the recent Hinduphobia conference (which she refused to attend). Is she trying to desperately run a hate campaign like Abhijit Sarkar at Oxford? @RutgersU @Rutgers_Newark @rudiversity pic.twitter.com/BwBfqaVSgw
— Rashmi Samant 🌺 (@Rashmidvs) April 28, 2021
ऑड्रे ट्रूस्के के ख़िलाफ़ हिंदू छात्रों ने लिखा यूनिवर्सिटी को पत्र
बता दें कि हिंदूफोबिक ऑड्रे ट्रूस्के के ख़िलाफ़ यह मुद्दा हिंदू छात्रों द्वारा उठाया गया था। छात्रों ने यूनिवर्सिटी को पत्र लिख कर बताया कि ऑड्रे इतिहास के नाम पर हिंदूफोबिक फिक्शन बेच रही हैं। याचिका में कहा गया कि ऑड्रे ने औरंगजेब द्वारा किए गए हिंदू नरसंहार को तुच्छ दिखाने की कोशिश की।
लेटर में बताया गया कि कैसे यूनिवर्सिटी में हिंदू धर्म, हिंदू देवी-देवता और पवित्र ग्रंथों का लगातार मजाक बनाकर अभियान चल रहा है। इससे कैंपस में या फिर सोशल मीडिया में उनके धर्म के कारण उनकी सुरक्षा को खतरा हो सकता है, कोई भी उन पर हमला कर सकता है। हिंदू छात्रों ने इस मुद्दे को प्राथमिकता से तब उठाया, जब कई अन्य फैकल्टी सदस्यों ने ऑड्रे ट्रूस्के का समर्थन किया।
बता दें कि 7 मार्च को हिंदू समूह के छात्रों ने बताया था कि कैसे ऑड्रे ट्रूस्के यूनिवर्सिटी में हिंदुओं के ख़िलाफ़ माहौल बना रही हैं। अमेरिका में हुई हिंसा के समय ट्रुस्के ने ही भारतीय झंडे को देख हिंदू दक्षिणपंथियों को घेरा था। इसके बाद उन्होंने भगवद् गीता को लेकर फर्जी बातें कहीं और साथ में गैंगरेप जैसी घटनाओं को महाभारत की घटना के समतुल्य रख बताया कि हिंदू संस्कृति में रेप कल्चर है।
हिंदूफोबिया की परिभाषा
इन घटनाओं के बाद रटगर के कई फैकल्टी सदस्यों ने ऑड्रे ट्रूस्के का समर्थन किया, जिसे देख हिंदू छात्र इतना परेशान हुए कि उन्होंने विश्वविद्यालय में आवेदन करने का फैसला किया। स्टूडेंट्स ने हिंदूफोबिया पर एक कॉन्फ्रेंस की। इसमें कुछ संशोधनों के साथ हिंदोफोबिया की एक नई परिभाषा दी गई, जो इस प्रकार है- “सनातन धर्म (हिंदू धर्म) और हिंदुओं के प्रति विरोधी, विनाशकारी, और अपमानजनक व्यवहार और सामूहिक व्यवहार जो भय या घृणा प्रकट कर सकता है।”
रश्मि सामंत कौन हैं?
रश्मि सामंत, कर्नाटक से हैं। हाल में वह ऑक्सफॉर्ड स्टूडेंट यूनियन में पहली भारतीय महिला के तौर पर अध्यक्ष चुनी गईं। लेकिन उनके कुछ विरोधियों ने उनके ख़िलाफ सोशल मीडिया पर उनके पुराने पोस्ट वायरल कर दिए। उन पर इस्लामोफोबिक समेत तमाम इल्जाम लगने लगे। नतीजन उन्हें एक हफ्ते में पद से इस्तीफा देना पड़ा। बाद में सामंत भारत आ गईं। मानसिक तौर से प्रताड़ित हुईं सामंत यहाँ कई दिन अस्पताल में रहीं। ठीक होने के बाद उन्होंने दोबारा यूनिवर्सिटी जाकर अपनी पढ़ाई खत्म करने का फैसला किया।