Sunday, December 22, 2024
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बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के मंच पर चढ़ जबरदस्ती गाया इस्लामी गाना: फेक वीडियो बता मामले को दबाने की कोशिश, फैक्ट चेक के बाद 6 गिरफ्तार

इस घटना के बाद हमेशा की तरह बांग्लादेश के प्रशासन ने मामले को फेक वीडियो बताकर दबाने का प्रयास किया। लेकिन जब वीडियो वायरल हुआ और फैक्ट चेक में पुष्टि हुई कि यह घटना असली थी, तब जाकर प्रशासन ने कार्रवाई की बात कही। छह युवकों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है।

बांग्लादेश के चटगाँव में दुर्गा पूजा के दौरान हिंदुओं से घृणा का एक और मामला सामने आया है। यहाँ देश भक्ति का गाना गाने के नाम पर मंच पर चढ़े इस्लामिक कट्टरपंथियों ने ‘इस्लामी क्रांति’ का आह्वान करने वाला गाना गा दिया, जिसके बाद माहौल खराब हो गया। इस गाने में कथित तौर पर बांग्लादेश में इस्लामिक क्रांति लाने और गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाने की बात कही गई थी।

ये मामला सामने आने के बाद बांग्लादेश के प्रशासन ने हमेशा की तरह मामले को दबाने की कोशिश की, लेकिन जब इसका वीडियो वायरल हुआ और फैक्ट चेक में सामने आया कि ऐसी हरकत वाकई में हुई थी, तब जाकर स्थानीय प्रशासन ने कार्रवाई की बात कही और 6 युवकों को गिरफ्तार करने की बात कही।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह घटना चटगाँव शहर के दुर्गा पूजा मंडप में बुधवार (9 अक्टूबर 2024) को हुई। शाम के करीब 7 बजे कुछ युवाओं ने खुद को एक स्थानीय सांस्कृतिक संगठन ‘चटग्राम सांस्कृतिक अकादमी’ के सदस्य बताकर मंडप के आयोजकों से देशभक्ति के गाने गाने की अनुमति माँगी। आयोजकों को उन पर कोई शक नहीं हुआ और उन्होंने अनुमति दे दी। लेकिन इसके बाद इन इस्लामी कट्टरपंथी युवकों ने मंच पर इस्लामी क्रांति का प्रचार करते हुए एक गाना गाना शुरू कर दिया, जिसने माहौल को बिगाड़ दिया।

पूजा स्थल पर मौजूद लोग इस हरकत से हैरान रह गए। यह घटना स्थानीय हिंदू समुदाय के लिए एक बड़ा झटका थी, क्योंकि दुर्गा पूजा बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस गाने से सांप्रदायिक तनाव फैलने की आशंका बढ़ गई।

घटना के तुरंत बाद इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो में साफ दिख रहा था कि किस तरह युवाओं ने पूजा स्थल पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाई। लेकिन, हमेशा की तरह, कुछ लोगों ने इसे ‘फेक’ या ‘एडिटेड’ वीडियो बताकर घटना को दबाने का प्रयास किया। हालाँकि, स्थानीय पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने साफ किया कि वीडियो में दिख रही घटना असली है और इसे झूठा बताने की कोशिश गलत है।

‘एएफपी’ के फैक्ट चेक एडिटर कादरुद्दीन शिशिर ने सोशल मीडिया पर कहा कि यह वीडियो फेक नहीं है, और यह घटना सच में हुई थी। उन्होंने बताया कि जिस सांस्कृतिक संगठन को आमंत्रित किया गया था, उसका संबंध जमात-ए-इस्लामी से जुड़ी सांस्कृतिक गतिविधियों से हो सकता है।

घटना के तुरंत बाद, स्थानीय प्रशासन हरकत में आया। चटगांव की डिप्टी कमिश्नर फरिदा खानम ने मौके पर पहुँचकर स्थिति का जायजा लिया और घोषणा की कि मामले की जाँच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि एक-दो दिनों में दोषियों को पकड़ लिया जाएगा और उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।

फरिदा खानम ने कहा कि इस तरह की घटनाएँ बांग्लादेश की सांप्रदायिक एकता के लिए हानिकारक हैं और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि दुर्गा पूजा जैसी धार्मिक गतिविधियों के दौरान सांप्रदायिक सौहार्द को नुकसान न पहुँचे।

घटना के बाद, पूजा आयोजकों पर भी सवाल उठने लगे। कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि पूजा मंडप के सहायक महासचिव साजल दत्ता ने इस्लामी गानों वाले इस समूह को मंच पर गाने की अनुमति दी थी। जैसे ही यह बात फैली, आयोजकों ने मंच पर घोषणा कर दी कि साजल दत्ता को पूजा उत्सव समिति से निकाल दिया गया है। इस घटना से न केवल हिंदू समुदाय में बल्कि पूरे चटगांव में आक्रोश फैल गया। स्थानीय लोग पूजा आयोजकों पर सवाल उठाने लगे और पुलिस की मौजूदगी के बीच नारेबाजी भी की। हालांकि, आयोजकों ने दावा किया कि वे इस घटना से अनजान थे और उन्हें गुमराह किया गया था।

यह पहली बार नहीं है जब बांग्लादेश में हिंदू त्योहारों के दौरान इस तरह की घटनाएँ हुई हैं। हर बार ऐसे मामलों को या तो नजरअंदाज करने की कोशिश की जाती है या फिर फेक वीडियो का बहाना बनाकर दबाने की। इस बार भी कुछ लोगों ने इस घटना को ‘फेक वीडियो’ बताकर इसे झूठा साबित करने की कोशिश की, लेकिन स्थानीय मीडिया और प्रशासन की तेजी से इस बार इसे छिपाना मुश्किल हो गया।

चटगांव में हुई इस घटना ने एक बार फिर बांग्लादेश में हिंदू घृणा के बढ़ते स्तर को उजागर किया है। पिछले कुछ सालों में दुर्गा पूजा के दौरान सांप्रदायिक तनाव के कई मामले सामने आए हैं, लेकिन सरकार की प्रतिक्रिया अक्सर धीमी और सतही रही है। हर बार की तरह, इस घटना को भी फेक वीडियो बताकर छिपाने की कोशिश की गई, लेकिन सोशल मीडिया पर मामले के तूल पकड़ने के बाद प्रशासन को मजबूरन कार्रवाई करनी पड़ी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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