Sunday, December 22, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयबांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथियों के खिलाफ बोलने की भी मनाही, युनुस सरकार लगा रही...

बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथियों के खिलाफ बोलने की भी मनाही, युनुस सरकार लगा रही ‘देशद्रोह’ का मुकदमा: 19 पर FIR, 2 गिरफ्तार

चटगाँव में यह रैली 25 अक्टूबर को हिंदुओं पर इस्लामी कट्टरपंथियों के हमलों के विरोध में आयोजित की गई थी। इसके बाद फिरोज खान नामक व्यक्ति ने पुलिस में SJM के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण ब्रह्मचारी, इस्कॉन के पुजारी लीलराज दास ब्रह्मचारी और अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

बांग्लादेश के चटगाँव में ऐतिहासिक लाल दीघी मैदान में हिन्दू संगठनों ने हाल ही में इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न के खिलाफ प्रदर्शन किया था। अब बांग्लादेश की युनुस सरकार ने इन हिन्दुओं को देशद्रोह की पुलिसिया कार्रवाई से डराना चालू कर दिया है।

यह रैली आयोजित करने वाली संस्था सनातन जागरण मंच (SJM) के लोगों के खिलाफ अब पुलिस देशद्रोह के मामले दर्ज करने चालू कर दिए हैं। बांग्लादेश की पुलिस ने SJM के 19 लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए हैं। यह मुकदमा बुधवार (30 अक्टूबर, 2024) को दर्ज किया है।

चटगाँव में यह रैली 25 अक्टूबर को हिंदुओं पर इस्लामी कट्टरपंथियों के हमलों के विरोध में आयोजित की गई थी। इसके बाद फिरोज खान नामक व्यक्ति ने पुलिस में SJM के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण ब्रह्मचारी, इस्कॉन के पुजारी लीलराज दास ब्रह्मचारी और अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

फिरोज खान ने हिन्दुओं पर चटगाँव के न्यू मार्केट चौराहे पर कथित तौर पर भगवा हिंदू झंडा लगाकर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का ‘अपमान’ करने का आरोप लगाया था। चटगाँव पुलिस ने इसके बाद कोतवाली पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की।

हिन्दू समुदाय के अन्य लोगों के खिलाफ भी पुलिस ने मामले दर्ज किए हैं। पुलिस ने अजय दत्ता, गोपाल दास टीपू, कथक दास, अमित धर, रोनी दास, राजीव दास, कृष्ण कुमार दत्त, जीकू चौधरी, न्यूटन डे, तुषार चक्रवर्ती, मिथुन डे, रूपन धर, रिमोन दत्त, सुकांत दास और विश्वजीत गुप्ता को आरोपित बनाया है।

बांग्लादेश की पुलिस इस्लामी कट्टरपंथियों के आगे नतमस्तक हो चुकी है और उसने कथित देशद्रोह के आरोप में दो हिन्दू व्यक्तियों राजेश चौधरी और हृदय दास नामक दो हिंदुओं को गिरफ्तार कर लिया। चटगाँव के प्रशासन ने मुख्य मार्केट में लगा भगवा झंडा भी हटा दिया है।

मंदिरों, दुकानों और व्यवसायों को निशाना बनाए जाने के खिलाफ़ अपनी नाराज़गी दिखाने वाले हिंदुओं पर अब बांग्लादेश तोड़ने और ‘देश की संप्रभुता को कमज़ोर करने और अशांति पैदा करने’ और बांग्लादेशी झंडे का अपमान करने के मामलों में आरोपित बना दिया है।

दो हिंदुओं की जानबूझकर पर की गई FIR और गिरफ्तारी के बाद हिन्दुओं ने चटगाँव के चेरागी पहाड़ चौराहे पर विरोध मार्च निकाला। SJM ने इस मामले ने शुक्रवार (1 नवंबर) को बांग्लादेश के 65 जिलों में प्रदर्शन की भी घोषणा की है।

25 अक्टूबर के प्रदर्शन में हिंदू समुदाय ने 8 मांगें रखीं थी:-

1.अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के मामलों में त्वरित सुनवाई, पीड़ितों को पर्याप्त मुआवजा और पुनर्वास।

2.अल्पसंख्यक संरक्षण अधिनियम।

3.अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का गठन।

4.हिंदू कल्याण ट्रस्टों को हिंदू फाउंडेशन में अपग्रेड करना।

5.संपत्ति पुनर्प्राप्ति और संरक्षण अधिनियम और सौंपी गई संपत्ति के हस्तांतरण अधिनियम का उचित क्रियान्वयन।

6.हर शैक्षणिक संस्थान में अल्पसंख्यकों के लिए पूजा स्थलों का निर्माण और हर छात्रावास में प्रार्थना कक्ष आवंटित करना।

7.संस्कृत और पाली शिक्षा बोर्ड का आधुनिकीकरण।

8.दुर्गा पूजा पर 5 दिन की छुट्टी।

जहाँ हिन्दुओं पर उत्पीड़न के खिलाफ बोलने के लिए मुकदमे की कार्रवाई हो रही है, वहीं मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली नई सरकार ने 15 जुलाई से 8 अगस्त के बीच हुए प्रदर्शनों में शामिल ‘प्रदर्शनकारियों’ को किसी भी सजा से मुक्त रखने का आदेश हाल ही में जारी किया है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।

जिस संभल में हिंदुओं को बना दिया अल्पसंख्यक, वहाँ की जमीन उगल रही इतिहास: मंदिर-प्राचीन कुओं के बाद मिली ‘रानी की बावड़ी’, दफन थी...

जिस मुस्लिम बहुल लक्ष्मण गंज की खुदाई चल रही है वहाँ 1857 से पहले हिन्दू बहुतायत हुआ करते थे। यहाँ सैनी समाज के लोगों की बहुलता थी।
- विज्ञापन -