श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे रविवार (फरवरी 9, 2020) को वाराणसी पहुँचे। वहाँ उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की। गर्भ गृह में बैठ कर अनुष्ठान में भाग लेने के साथ ही उन्होंने षोडशोपचार विधि-विधान से बाबा विश्वनाथ की आराधना की। इससे पहले लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर स्थानीय प्रशासन ने उनकी आगवानी की। प्रधानमंत्री राजपक्षे को मंदिर में प्रसाद भी भेंट किया गया। मंदिर के अर्चक डॉ. श्रीकांत और पाँच वैदिक ब्राह्मणों ने महिंदा राजपक्षे को विशेष दर्शन पूजन कराया। उन्होंने काल भैरव मंदिर में आरती भी की।
श्रीलंका के प्रधानमंत्री ने अपने भारत दौरे पर दिल्ली पहुँचे थे, जहाँ हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाक़ात हुई थी। वो राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी मिले। नागरिकता संशोधन क़ानून पर अपनी राय रखते हुए उन्होंने कहा कि ये भारत का आंतरिक मुद्दा है और श्रीलंकाई लोग कभी भी अपने देश वापस आ सकते हैं। ‘इंडिया टुडे’ को दिए गए इंटरव्यू में राजपक्षे ने कहा कि श्रीलंकाई लोगों का घर श्रीलंका है, इसीलिए वो जब चाहें तब वापस आ सकते हैं। उनका स्वागत है।
महिंदा राजपक्षे ने कहा कि भारत में रह रहे श्रीलंकाई अगर वापस अपने देश आते हैं तो इससे वहाँ की सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने जानकारी दी कि पिछले दिनों में 4000 श्रीलंकाई वापस लौटे हैं। उन्होंने कहा कि ये उन पर निर्भर है कि वो कब वापस आना चाहते हैं। कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि राजपक्षे भाइयों के सत्ता में लौटने के बाद श्रीलंका के मुस्लिम डरे हुए हैं लेकिन महिंदा ने आश्वस्त किया कि उनकी सरकार सभी को लेकर आगे बढ़ रही है। भारत ने श्रीलंका में तमिलों के लिए 60,000 घर बनवाए हैं, जिसका महिंदा राजपक्षे ने स्वागत किया।
महिंदा राजपक्षे ने चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर भारत को आश्वस्त करते हुए कहा कि वो श्रीलंका पर एक अच्छे दोस्त और पड़ोसी की तरह भरोसा कर सकता है। पिछले साल हुए ईस्टर हमले को लेकर पीएम राजपक्षे ने कहा कि उस वारदात के बाद भारत ने भी श्रीलंका की मदद की। उन्होंने कहा कि भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियों ने हमले को लेकर पहले ही आगाह कर दिया था लेकिन ‘इंटेलिजेंस फेलियर’ के कारण श्रीलंका की तत्कालीन सरकार इसे रोकने में असमर्थ साबित हुई।
भारत ने आरोपितों के नाम, पता, कांटेक्ट और हमले का समय और जगह को लेकर भी पक्की जानकारियाँ दी थीं। राजपक्षे ने कहा कि इन पर अमल नहीं किया गया। उन्होंने माना कि ये श्रीलंका की ग़लती थी। हालाँकि, उन्होंने आश्वस्त किया कि द्वीपीय राष्ट्र आज इन मामलों में पहले से ज्यादा सक्रिय है।
I express my deepest appreciation to PM @narendramodi & the Govt of India for the outstanding arrangements & gracious hospitality accorded to me & my delegation during this State Visit. I reiterated our invitation to PM Modi to visit Sri Lanka in the near future. pic.twitter.com/d7YXlc10f6
— Mahinda Rajapaksa (@PresRajapaksa) February 8, 2020
5 दिनों की यात्रा पर भारत आए महिंदा राजपक्षे भगवान बुद्ध की अस्थियों का दर्शन करने सारनाथ भी जाएँगे। उनका काफिला जहाँ से भी गुजरेगा, वहाँ तमिल व सिंहला भाषा में बड़े-बड़े पोस्टर्स लगवाए गए हैं। इन पोस्टरों में भारत-श्रीलंका के प्रगाढ़ रिश्ते की बात की गई है और श्रीलंकाई पीएम का स्वागत भी किया गया है। राजपक्षे ने वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रह्मण्यन स्वामी के साथ भी मुलाक़ात की। दोनों पुराने मित्र हैं। उनकी बैठक एक घंटे से भी ज्यादा चली।