मसूद पेज़ेश्कियान ईरान के नए राष्ट्रपति चुने गए हैं। उन्होंने कट्टरपंथी सईद जलीली को हराया है। बता दें कि हिजाब न पहनने के कारण महासा अमिनी नामक युवती को ईरान पुलिस ने मार डाला था, जिसके बाद वहाँ कट्टरपंथी इस्लाम के खिलाफ लाखों महिलाएँ एकजुट होकर सड़क पर उतरी थीं। मसूद पेज़ेश्कियान नरमवादी हैं और आशा जताई जा रही है कि उनके सत्ता में आने के बाद ईरान में कट्टरपंथ कम होगा। अब ईरान को उम्मीद है कि सामाजिक स्वतंत्रता के क्षेत्र में काम होंगे, साथ ही ईरान की विदेशी नीति भी व्यावहारिक होगी।
ईरान में तेज़ी से आगे बढ़ रहे परमाणु कार्यक्रम के बीच उम्मीद है कि मसूद पेज़ेश्कियान के राष्ट्रपति चुने जाने का वैश्विक शक्तियाँ भी स्वागत करेंगी। ईरान का अमेरिका जैसे देशों के साथ चल रहे तनाव के अब शांतिपूर्ण समाधान की उम्मीद है। शहरी नागरिकों, महिलाओं और युवाओं का उन्हें समर्थन मिला है। वर्षों से ईरान में कट्टरवादी सत्ता है, जिसमें सुधारों के लिए बोलना भी गुनाह है। 69 वर्षीय मसूद पेज़ेश्कियान पढ़े-लिखे हैं, वो कार्डियक सर्जन हैं। उन्होंने ईरान में हिजाब को लेकर सख्त कानून में नरमी लाने का भी वादा किया है।
उम्मीद जताई जा रही है कि ईरान में समाज अब लिबरल होगा, एक विविधता वाली विचारधारा का जन्म होगा। साथ ही 2015 में परमाणु कार्यक्रमों को लेकर जो अंतरराष्ट्रीय समझौता हुआ था, वो फिर से अस्तित्व में आ सकेगा। हालाँकि, ईरान में एक दोहरी व्यवस्था चलती है जिसमें मौलाना ही सरकारी मामलों में अंतिम फैसला लेते हैं। अयातुल्ला अली खामेनेई अब भी वहाँ के सुप्रीम लीडर हैं। अरब के आतंकी संगठनों को समर्थन के विषय में भी वही निर्णय लेते हैं।
लेकिन, चूँकि अब अयातुल्ला अली खामेनेई की उम्र 85 वर्ष हो गई है, उनका उत्तराधिकारी चुनने में नए राष्ट्रपति की बड़ी भूमिका होगी और इस तरह आगे के बड़े फैसलों में राष्ट्रपति प्रभावी रूप से शामिल रहेंगे। मसूद पेज़ेश्कियान ये भी कह चुके हैं कि अयातुल्ला अली खामेनेई की नीतियों के खिलाफ नहीं जाएँगे। उन्होंने कहा कि अपने चुनावी वादे को पूरा न कर सकने की स्थिति में वो राजनीति को अलविदा कह देंगे। बता दें कि मई में एक हेलीकॉप्टर क्रैश में ईरान के तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत के बाद ये पद रिक्त हुआ था।
पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद ख़ातमी के नेतृत्व वाले सुधारवादी दल ने इस चुनाव में मसूद पेज़ेश्कियान का समर्थन किया था। इब्राहिम रईसी को खामेनेई गुट का माना जाता था और उन्होंने महिलाओं के ड्रेस से लेकर अंतरराष्ट्रीय संबंधों तक के मामले में इस्लामी कट्टरपंथी रुख अपनाया था। मसूद पेज़ेश्कियान ने कुप्रबंधन, अमेरिकी प्रतिबंधों और भ्रष्टाचार से जूझती ईरानी अर्थव्यवस्था को संकट से निकालने का भी वादा किया था। कइयों का मानना है कि वो कमजोर राष्ट्रपति साबित होंगे, क्योंकि सुप्रीम लीडर का गुट अभी भी शक्तिशाली है।
Masoud Pezeshkian wins Iran's presidential race with 16.3M votes, beating Saeed Jalili's 13.5M
— Nabila Jamal (@nabilajamal_) July 6, 2024
Pezeshkian promises outreach to the West. Analysts predict pragmatic foreign policy shifts. Known for his Pro-India & Anti-Pakistan stand
Supporters celebrate in Tehran & other… pic.twitter.com/n5JU2dtZgg
महासा अमिनी की मौत को लेकर भी मसूद पेज़ेश्कियान ने ईरान पुलिस से स्पष्टीकरण माँगा था। 1980 के दशक में ईरान-इराक युद्ध के समय उन्हें ईरानी सेना के लिए मेडिकल सुविधाएँ पहुँचाने का काम सौंपा गया था। खातमी के कार्यकाल में वो स्वास्थ्य मंत्री रहे हैं। 1994 में एक दुर्घटना में उनकी पत्नी और एक बच्चे की मौत हो चुकी है। उन्होंने अकेले ही 2 बेटों और एक बेटी का पालन-पोषण कर बड़ा किया। इजरायल को लेकर ईरान का क्या रुख रहता है, ये भी देखने वाली बात होगी।