यूनाइटेड किंगडम (यूके) जो दशकों से मुस्लिमों को शरण देता रहा। वहाँ ऐसा आपराधिक कुकृत्व सामने आया है, जिसने पूरे यूके की आँखें खोल दी हैं। यहाँ अफगानिस्तान से भागे जिहादी अब्दुल इजेदी ने 31 मार्च को एक महिला और उसके 1 साल के बच्चे पर केमिकल अटैक किया। इस हमले में कई लोग महिला और बच्चे को बचाने के चक्कर में झुलस गए, जिसमें 5 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। अब पता चला है कि जिहादी अब्दुल इजेदी की पूरी जिंदगी ही झूठ पर आधारित थी और उसकी पूरी कौम का भी यही हाल दिखता है।
दरअसल, अब्दुल इजेदी का शव टेम्स नदी से बरामद हुआ, तब तक वो क्रिश्चियन था, क्योंकि उसने नागरिकता पाने के लिए क्रिश्चियानिटी का सहारा लिया था। लेकिन डेलीमेल ने खुलासा किया है कि अब्दुल इजेदी के ‘करीबियों’ ने उसे क्रिश्चियन कब्रिस्तान नहीं, बल्कि मुस्लिम कब्रिस्तान में दफनाया। यही नहीं, उसे दफनाने के लिए तथाकथित मुस्लिम धर्म के लोगों ने ऑनलाइंन फंडिंग अभियान भी चलाया। लेकिन यहाँ भी जिहादियों ने धोखाधड़ी करते हुए किसी अन्य नाम और पहचान के साथ न सिर्फ चंदा इकट्ठा किया, बल्कि उसे इस्लामिक रीति-रिवाजों के साथ दफनाया भी।
इस पूरे मामले में खुलासा हुआ है कि अब्दुल इजेदी साल 2016 में लॉरी में सवार होकर ब्रिटेन पहुँचा था। वो अफगानिस्तान से किसी तरह ब्रिटेन पहुँचने में सफल रहा। यहाँ उसने दो बार शरणार्थी के तौर पर देश में रहने देने की अनुमति माँगी, लेकिन उसकी अपील खारिज कर दी गई। लेकिन कुछ समय गायब रहने के बाद उसने दावा किया कि वो अब क्रिश्चियन हो गया है और अब अगर वो अफगानिस्तान जाएगा, तो उसको मार दिया जाएगा।
अब्दुल इजेदी की इस दलील और बापतिस्ट चर्च से मिले धर्मांतरण के बाद उसे इंग्लैंड में रहने की छूट दे गई। वैसे, वो साल 2018 में भी एक महिला के साथ उसने यौन हमले में दोषी ठहराया जा चुका था। अब अब 31 मार्च को उसने अपनी पूर्व परिचित महिला और उसके 1 साल के बच्चे के ऊपर केमिकल फेंका। उसकी तलाश की जा रही थी कि उसका शव टेम्स नदी में मिला। लेकिन जब दफनाने की बारी आई, तो उसके मुस्लिम ‘जिहादी भाईयों’ ने अलग रास्ता खोज निकाला।
अब्दुल इजेदी की जगह अब्दुल वाहेद के नाम से चंदा इकट्ठा
मुस्लिम बुरिअल फंड (MBF) ने इसाई बन चुके अब्दुल इजेदी को अब्दुल वाहेद के नाम से दफनाया। उन्होंने इसके लिए 3800 पाउंड का लक्ष्य रखा था, जिसे चंदे के जरिए पूरा करना था। उसमें पूरे यूके के मुस्लिमों की ओर से 6596 पाउंड दान की रकम मिली। मुस्लिम बुरिअल फंड से जब पूछा गया कि अब्दुल इजेदी को इस्लामी रीति से क्यों दफनाया गया, तो संस्था ने जवाब दिया कि ये मरने वाले के परिजनों की इच्छा के मुताबिक किया गया। हालाँकि सवाल उठ रहे हैं कि उसके किस परिजन की मर्जी से ऐसा हुआ? वो परिजन कहाँ से आए? क्योंकि उन्हें छोड़कर अब्दुल 2016 में भी यूके आ गया था और क्रिश्चियन बन गया था? या उसकी ‘पुरानी कौम’ के लोग?
समस्या दान के पैसों की नहीं है, अब सवाल उठ रहे हैं कि किसी गलत नाम से चंदा क्यों इकट्ठा किया गया और सबसे बड़ा सवाल तो ये उठ रहा है, कि क्या कोई भी व्यक्ति नागरिकता या शरण पाने के लिए क्रिश्चियन बन जाता है, तो उसे ब्रिटेन में रहने की अनुमति मिल जाती है? क्योंकि अब्दुल इजेदी के मामले में ऐसा ही हुआ। ऐसे में बापटिस्ट चर्च को भी लोग चेतावनी दे रहे हैं कि वो ऐसे किसी ‘खेल’ के चक्कर में न पड़े।