Sunday, November 17, 2024
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चीन में ध्वस्त किए जा रहे हैं मस्जिदों के गुंबद: मज़हबी स्थलों को ‘शौचालय’ में बदलने के बाद नया अभियान जारी

नुआंगन मस्जिद जो देखने में सुनहरे रंग की थी, उसके ठीक ऊपर प्याज के रंग का गुंबद था जिसे फ़िलहाल नष्ट कर दिया गया है। इतना ही नहीं, मस्जिद के भीतर सजावटी मेहराब, इस्लामी शैली की फिजरी और अरबी लिपि में उकेरे गए शब्दों को भी मिटा दिया गया है।

पिछले कुछ वर्षों में चीन के भीतर उइगर समुदाय के लोगों पर होने वाला अत्याचार काफी बड़े पैमाने पर बढ़ा है। इसी कड़ी में चीन वहाँ पर स्थित उनके धार्मिक स्थल भी नष्ट करता रहा है। हाल ही में चीन के शिनजियांग प्रांत के आतुश नामक स्थान पर स्थित एक मस्जिद को नष्ट किया गया था और वहाँ शौचालय का निर्माण कराया गया था। ताज़ा मामला चीन के ही यिनचुआन प्रांत का है जहाँ अरब शैली में निर्मित मस्जिदों के गुंबद को तोड़ा गया है।

टेलीग्राफ में प्रकाशित ख़बर के अनुसार पूरे चीन में इस तरह की गतिविधियाँ एक अभियान के तहत हो रही हैं। चीन के निगज़िया प्रांत की राजधानी यिनचुआन ऐसा क्षेत्र है जहाँ चीन के हूई जातीय अल्पसंख्यक रहते हैं, इस जगह की एक मुख्य मस्जिद के बुनियादी ढाँचे में परिवर्तन देखा गया है। इस क्षेत्र की नुआंगन मस्जिद जो देखने में सुनहरे रंग की थी, उसके ठीक ऊपर प्याज के रंग का गुंबद था जिसे फ़िलहाल नष्ट कर दिया गया है। इतना ही नहीं, मस्जिद के भीतर सजावटी मेहराब, इस्लामी शैली की फिजरी और अरबी लिपि में उकेरे गए शब्दों को भी मिटा दिया गया है। 

फ़िलहाल इस मस्जिद की स्थिति कुछ ऐसी है कि इनकी पहचान करना तक मुश्किल है और यह तस्वीरों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। दरअसल, चीन में ब्रिटेन मिशन के उप प्रमुख क्रिस्टीना स्कॉट ने चीन द्वारा मस्जिदों पर चलाए जा रहे इस अभियान की तस्वीरें साझा की। इन तस्वीरों में इस बात की पहचान कर पाना तक मुश्किल है कि नया ढाँचा ‘मस्जिद’ है। स्कॉट ने इस घटना पर ट्वीट करते हुए लिखा, “यात्रा सलाहकार ने सुझाव दिया कि यिनचुआन में नुआंगन मस्जिद का भ्रमण किया जा सकता है।” इसके बाद तस्वीर के साथ उन्होंने लिखा, “वहाँ जितना नज़र आता है वह केवल इतना ही है। गुंबद समेत इस तरह के सभी आकार नष्ट किए जा रहे हैं, किसी भी आगंतुक को यहाँ आने की अनुमति नहीं है। यह कितना निराशाजनक है।” 

ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने भी इस संबंध में ट्वीट करते हुए जानकारी दी। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, “चीन में जिस तरह इस्लाम और अन्य धर्म पर पाबंदी लगाई जा रही है, हम इस बात से बेहद चिंतित हैं। हमारा इस मुद्दे पर चीन से इतना कहना है कि धार्मिक स्वतंत्रता और आस्था को अपने संविधान और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के अनुसार बनाए रखें। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लिनेक्सिया में स्थित ‘लिटिल मक्का’ नाम से मौजूद इस्लामी धरोहरों को भी लगातार नष्ट किया जा रहा है।    

चीन में इस तरह के धार्मिक अत्याचार और सामाजिक उत्पीड़न की ख़बरें बिलकुल नई नहीं हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चीन के शिनजियांग प्रांत में लाखों लोगों को डिटेंशन कैम्प (कैद शिविर) में रखा जाता है। वहाँ उन पर तमाम तरह के अत्याचार किए जाते हैं, उनको शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। इसके अलावा वहाँ लोगों को अपनी धार्मिक मान्यताओं का अनुसरण करने पर कड़ी कार्रवाई से गुज़रना पड़ता है। 

वहाँ दाढ़ी बढ़ाना, रोज़ा रखना और यहाँ तक कुरान पढ़ना सभी को संदिग्ध गतिविधि के दायरे में रखा गया है। इस मुद्दे पर अलग-अलग जानकारों के अपने मत हैं, कुछ का मानना है कि चीन की जिनपिंग सरकार का यह रवैया बेहद नकारात्मक है, इसका लोगों पर भयावह प्रभाव पड़ रहा। इससे चीन का एक वर्ग कट्टरपंथ की ओर आगे बढ़ेगा।    

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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