चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा शिनजियांग में उइगरों का नरसंहार छिपा नहीं है। अब इसी तरह के तथ्य इनर मंगोलिया को लेकर सामने आए हैं। यहॉं भी बड़े पैमाने पर जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न किया जा रहा है। ग्लोबल कैंपेन फॉर डेमोक्रेटिक चाइना: यूनाइटिंग अगेंस्ट चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी रिप्रेसिव रिजीम नामक वेबिनार [पीडीएफ] में साउर्दन मंगोलियन ह्यूमन राइट्स इन्फोर्मेशन सेंटर के डायरेक्टर एंगबेतु तोगोचोग (Enghebatu Togochog) ने बताया कि किस तरह सीमाई इलाकों में चीन ने लाखों लोगों का उत्पीड़न किया है। इस वेबिनार का आयोजन भारतीय थिंक टैंक लॉ ऐंड सोसायटी अलायंस की ओर से एक अक्टूबर को किया गया था।
दक्षिणी मंगोलिया, जिसे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी इनर मंगोलिया भी कहती है में मंगोलियाई लोगों की आबादी करीब 60 लाख थी। तोगोचोग के अनुसार चीनी शासन करीब 5 लाख मंगोलियाई लोगों की निर्मम हत्या कर चुका है। आज उनकी आबादी 60 लाख से घटकर 15 लाख रह गई है।
CCP की सांस्कृतिक दमननीति पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “चीन ने 1980 के दशक में सांस्कृतिक समावेश शुरू किया और लाखों दक्षिणी मंगोलियाई किसानों को यातनाएँ दी गई। इसके अलावा उन्हें अधिकारहीन कर दिया गया।” उन्होंने कहा कि स्थानीय निवासियों को पिछले 2 दशकों से बड़े पैमाने पर खेती के लिए भूमि का उपयोग करने से प्रतिबंधित किया गया है। तोगोचोग ने बताया,”चीन ने यह पूरे मंगोलियाई आबादी पर लागू किया है। घास के मैदानों पर रहना अपराध माना जाता है। अपनी ज़मीन पर काम करने वाले चरवाहों को कैद कर लिया जाता है या सताया जाता है। साथ ही चीन ने सीमावर्ती क्षेत्रों में लाखों खानाबदोश आबादी को भी मिटा दिया है।”
उन्होंने बताया कि कैसे चीन अपनी भाषाई नीति के द्वारा जातीय संस्कृति को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय भाषा मंदारिन को मंगोलियाई नागरिकों पर थोपा जा रहा है और कैसे अब यह स्कूल पाठ्यपुस्तकों में शिक्षा की भाषा बनने जा रही है।
उन्होंने कहा, “मंगोलियाई संस्कृति पर इस अंतिम प्रहार को लेकर पूरे दक्षिणी मंगोलियाई लोग एकजुट होकर इसके खिलाफ खड़े हो गए हैं। किंडरगार्टन से लेकर मिडिल स्कूल के छात्र, संगीतकार से लेकर टैक्सी ड्राइवर, सरकारी अफसर से लेकर पार्टी के सदस्य तक, सभी चीनी अधिकारियों के सांस्कृतिक नरसंहार के नए प्रयासों के खिलाफ उठ चुके हैं। बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियाँ और लोगों का गायब हो जाना आम चलन बन गया है। पिछले महीने ही लगभग 4000-5000 दक्षिणी मंगोलियाई लोगों को हिरासत में लिया गया या उन्हें गायब कर दिया गया है।”
इतना ही नहीं एंगबेतु तोगोचोग ने चीनी कम्युनिस्ट शासन के हाथों मंगोलियों के उत्पीड़न के अन्य रूपों की ओर भी संकेत किया। उन्होंने बताया, “लोगों को नौकरी से निकाल देना, सामाजिक लाभ उठाने वालों को निलंबित करना, बैंक ऋण तक पहुँच से वंचित करना, संपत्तियों को जब्त करना, छात्रों को डिग्री से वंचित करना यह सब अप्रत्यक्ष यातना के कुछ उदाहरण हैं। ये यातनाएँ सीसीपी को स्थानीय आबादी पर नियंत्रण करने में सक्षम बनाता है।”
मंदारिन थोपने का हो रहा विरोध
जबरन अपनी भाषा थोपने का निर्णय इनर मंगोलिया में रहने वाले लोगों के खिलाफ था। इनर मंगोलिया के लोगों की पारंपरिक वर्णमाला है। वे रूस के प्रभाव में सिरिलिक लिपि का उपयोग करते हैं। ऐसे में मंदारिन थोपने के चीनी शासन के प्रयासों का विरोध हो रहा है।
भाषा को लेकर 3,00,000 छात्रों के साथ उनके माता-पिता द्वारा सत्तावादी कम्युनिस्ट पार्टी को आड़े हाथों लेते हुए इसका विरोध किया गया है। जैसे, इस महीने में स्कूल खुलने पर केवल 40 मंगोलियाई छात्रों ने ही अगले सत्र के लिए खुद को रजिस्टर्ड किया, जबकि पहले दिन केवल 10 ही छात्र स्कूल पहुँचे। बता दें मंगोलियाई बच्चों के माता-पिता ने पहले ही घोषणा की थी कि वे शिक्षा की नई भाषा को स्वीकार करने के बजाय अपने बच्चें को घर में रखेंगे।
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