Friday, November 15, 2024
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वरिष्ठ चीनी परमाणु वैज्ञानिक की संदिग्ध परिस्थितियों में बिल्डिंग से गिरकर मौत, हत्या-आत्महत्या के बीच उलझी गुत्थी

उन्होंने आत्महत्या की थी या उनकी हत्या हुई है, इस बात का खुलासा नहीं हुआ है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, पुलिस ने घटना स्थल से ज्यादा सबूत नहीं मिलने के कारण इसके हत्या का मामला होने से इनकार कर दिया है।

चीन के टॉप न्यूक्लियर साइंटिस्ट में से एक झाँग झिजियान की गुरुवार (17 जून 2021) संदिग्ध परिस्थितियों में एक इमारत से गिरकर मौत हो गई। वैज्ञानिक झाँग झिजियान हार्बिन इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी के न्यूक्लियर साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी कॉलेज के प्रोफेसर थे। इसके अलावा, वह विश्वविद्यालय के उपाध्यक्ष और चाइनीज न्यूक्लियर सोसायटी के भी उपाध्यक्ष थे।

उन्होंने आत्महत्या की थी या उनकी हत्या हुई है, इस बात का खुलासा नहीं हुआ है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, पुलिस ने घटना स्थल से ज्यादा सबूत नहीं मिलने के कारण इसके हत्या का मामला होने से इनकार कर दिया है।

वहीं वरिष्ठ वैज्ञानिक की मौत की खबर के बाद यूनिवर्सिटी ने एक बयान जारी कर शोक व्यक्त किया। विश्वविद्यालय ने कहा कि बड़े दुख की बात है कि 17 जून 2021 को सुबह 9.34 बजे एक इमारत से गिरने के कारण झाँग झजियान की मौत हो गई। विश्वविद्यालय ने उनके परिवार के प्रति अपनी संवेदना जाहिर की है। इसके अलावा, झाँग की मौत पर कोई भी आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया।

झाँग को उनके इनोवेशन के लिए पिछले साल सम्मानित किया गया था। इसके अलावा, सरकारी स्वामित्व वाली नेशनल न्यूक्लियर कॉरपोरेशन द्वारा वर्ष 2019 में उन्हें चीन के परमाणु जनक माने जाने वाले कियांग सैनकियांग के नाम पर स्थापित कियांग सैनकियांग टेक्नोलॉजी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

मौत पर शक गहराया

वैज्ञानिक झाँग झिजियांग की मौत से दो दिन पहले ही यूनिवर्सिटी 41 वर्षीय यंग जिंगवेई को विश्वविद्यालय का नया वॉइस प्रेसीडेंट नियुक्त किया था। इससे पहले तक वो कॉलेज ऑफ अंडरवॉटर एकोएस्टिक इंजिनियरिंग के डीन थे।

हार्बिन इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी उन दो चीनी विश्वविद्यालयों में से एक था, जिनका सेना के साथ घनिष्ठ संबंध था। चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच प्रौद्योगिकी पर तनाव के बीच इन्हें पिछले जून में अमेरिका द्वारा विकसित कंप्यूटर सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म का उपयोग करने से प्रतिबंधित कर दिया गया था।

अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने एक साल पहले विश्वविद्यालय और हार्बिन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी को अपनी ‘एंटिटी लिस्ट’ में जोड़ा था। विभाग ने आरोप लगाया था कि हार्बिन इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय ने पीएलए को सपोर्ट करने के लिए अमेरिकी वस्तुओं का इस्तेमाल किया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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