Monday, December 23, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयप्रदर्शनकारियों ने अब नई दुनिया के खोजकर्ता कहे जाने वाले कोलंबस की मूर्ति को...

प्रदर्शनकारियों ने अब नई दुनिया के खोजकर्ता कहे जाने वाले कोलंबस की मूर्ति को तोड़ा, निशाने पर हैं उपनिवेशवाद के प्रतीक

अमेरिकी मूल के कार्यकर्ताओं ने कोलंबस को सम्मानित करने के विरुद्ध लड़ाई लड़ी है। उनका कहना है कि अमेरिका में उनके अभियानों से पूर्वजों का नरसंहार किया गया था। मिनेसोटा के सेंट पॉल में गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने कोलंबस की 10 फीट की कांस्य प्रतिमा के चारों और रस्सी लगाई और मूर्ति को पत्थर की चौकी से खींचकर उखाड़ दिया गया।

अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद अमेरिका के कई शहरों में नस्लवाद को लेकर बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन और हिंसा हो रही हैं। विरोध प्रदर्शनकारियों ने अब वहाँ पर उपनिवेशवाद और अश्वेतों की गुलामी को समर्थन देने वालों की मूर्तियों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है और उन्हें हटाए जाने की माँग भी जोर-शोर से उठ रही हैं। इसी बीच, बॉस्टन, मियामी और वर्जीनिया में क्रिस्टोफर कोलंबस (Christopher Columbus s) की मूर्तियों को तोड़ दिया गया।

मिनेसोटा प्रांत की राजधानी सेंट पॉल शहर में प्रदर्शनकारियों ने जिस इतालवी खोजकर्ता कोलंबस की मूर्ती की गर्दन काटी है, उन्हें स्कूल की किताबों में नई दुनिया (The New World) का खोज करने वाले इंसान के रूप में पढ़ाया जाता है। इसके साथ ही, कई लोगों द्वारा मूल अमेरिकियों के खिलाफ नरसंहार के प्रतीक के रूप में भी वह जाने जाते हैं। उनकी प्रतिमाओं को बड़े स्तर पर नुकसान पहुँचाया जा रहा है।

अमेरिकी मूल के कार्यकर्ताओं ने कोलंबस को सम्मानित करने के विरुद्ध लड़ाई लड़ी है। उनका कहना है कि अमेरिका में उनके अभियानों से पूर्वजों का नरसंहार किया गया था। मिनेसोटा के सेंट पॉल में गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने कोलंबस की 10 फीट की कांस्य प्रतिमा के चारों और रस्सी लगाई और मूर्ति को पत्थर की चौकी से खींचकर उखाड़ दिया गया।

क्रिस्टोफर कोलंबस की प्रतिमा को 10 जून, 2020 को गिरा दिया गया

अमेरिकी सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि कोलंबस द्वारा अमेरिका की खोज के चलते ही उपनिवेश और उनके पूर्वजों का नरसंहार हुआ था। वर्ष 1492 में कोलंबस भारत की खोज के लिए निकले थे, लेकिन उन्होंने गलती से अमेरिकी महाद्वीप की खोज की थी।

क्रिस्टोफर कोलंबस 

कोलंबस को लंबे समय से ‘नई दुनिया’ का ‘खोजकर्ता’ कहा जाता है, हालाँकि लेइफ एरिकसन (Leif Eriksson) जैसे ‘वाइकिंग’ (डेनमार्क मूल के खुनी लूटेरे) ने कई शताब्दियों पहले उत्तरी अमेरिका का दौरा किया था।

प्रदर्शनकारियों ने जेफरसन डेविस की प्रतिमा भी तोड़ दी है। अमेरिका के रिचमंड, सेंट पॉल और बोस्टन शहरों में बुधवार (जून 10, 2020) को इन प्रतिमाओं को तोड़ने के मामले सामने आए। प्रदर्शनकारियों ने एक दिन पहले ही रिचमंड में कोलंबस की वर्ष 1927 में स्थापित प्रतिमा उखाड़कर झील में फेंक दी थी।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -