कोरोना वायरस आपदा के बीच भारत सरकार देश में जॉब और उद्योग के लिए भी मेहनत कर रही है। कई कंपनियों से बातचीत की जा रही है, चीन से बोरिया-बिस्तर समेटने वाली कंपनियों को यहाँ बुलाया जा रहा है और आईटी क्षेत्र का हब होने का फायदा उठाते हुए कई कंपनियों को लुभाया जा रहा है। अमेरिकी कम्पनी वॉलमार्ट ने निर्णय लिया है कि वो इस साल भारत में 2800 कर्मचारियों को भर्ती करेगी। इसके अलावा भी रोजगार के कई नए अवसरों का सृजन होगा।
भारत में नौकरियाँ पैदा करेगा वॉलमार्ट
वॉलमार्ट यहाँ ज्यादा से ज्यादा नौकरी के मौके देने के लिए आक्रामक हायरिंग शुरू करेगी। रिटेल के क्षेत्र में सबसे बड़ा ब्रांड मानी जाने वाली वॉलमार्ट के भारत में 28 बड़े स्टोर हैं। भारतीय इ-कॉमर्स कम्पनी फ्लिपकार्ट में सबसे ज्यादा शेयर वॉलमार्ट का ही है। वॉलमार्ट लैब्स के लिए कई सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल हायर किए जाएँगे। वॉलमार्ट के बेंगलुरु दफ्तर में फ़िलहाल 3500 लोग कार्यरत हैं।
बेंगलुरु में टेक्निकल फील्ड से जुड़े 2000 लोगों की हायरिंग की जाएगी। वॉलमार्ट बेंगलुरु की टीम इंजीनियरिंग, प्रोडक्ट डेवलपमेंट और साइंस प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है। चेन्नई में भी कम्पनी का नया दफ्तर लॉन्च हुआ है, जहाँ 800 लोगों की हायरिंग की जानी है। वल्ल्वर के ग्लोबल डेटा को चेन्नई में ही प्रोसेस और रन किया जाएगा। इसीलिए, डेटा इंजीनियरिंग के लिए वहाँ वैकेंसी निकाली जा रही है।
The #TrumpTax got a spanking from Forbes this morning…
— Jesse Ferguson (@JesseFFerguson) May 10, 2018
FORBES: “Walmart’s Tax Windfall Will Create More Minimum Wage Jobs…In India” https://t.co/hubrv7QGsm pic.twitter.com/7T5224h1Qf
चेन्नई में वॉलमार्ट का ऑफिस कैम्पस ढाई एकड़ में स्थित है। चेन्नई सेंटर को ‘ग्लोबल डेटा आर्गेनाईजेशन’ के रूप में विकसित किया जाएगा। वॉलमार्ट 28 देशों में 11,698 स्टोर्स के जरिए 26 करोड़ ग्राहकों को सेवाएँ देता है।
भारत-रूस में होंगे कई समझौते
कच्चा तेल और कोयला व्यापार के लिए भारत ने रूस के साथ ही कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत अब रूस से क्रूड ऑइल इम्पोर्ट को बढ़ावा देगा, जिसके बाद दोनों देशों के बीच एनर्जी पार्टनरशिप में मजबूती आएगी। भारतीय स्टील इंडस्ट्री के लिए कोयला इम्पोर्ट करने के लिए भी रूस के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाने की योजना बनाई जा रही है। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने रूस के अपने समकक्ष से इस बाबत वीडियो कॉल पर चर्चा भी की है।
इस बैठक के दौरान फ़िलहाल चल रहे प्रोजेक्ट्स की भी समीक्षा की गई। भारत और रूस की एनर्जी कंपनियों के बीच परस्पर करार होंगे और वो एक-दूसरे का सहयोग करेंगे। सितम्बर 2019 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस गए थे, तभी दोनों देशों के बीच कोयला के इम्पोर्ट पर बातचीत हुई थी। रूसी आर्कटिक से कच्चे तेल लाने के लिए भारत एक नया समुद्री रास्ता अपनाने पर भी विचार कर रहा है।
इससे रूस से भारत एलएनजी लाने में भी कम समय लगेगा और ज्यादा परेशानी नहीं आएगी। रूसी कम्पनियाँ भारत में गैस इंफ्रास्ट्रक्चर, गैस बिजनेस और पेट्रोकेमिकल्स में निवेश करेगी। भारत हाइड्रोकार्बन्स के लिए बड़ा डिमांड सेंटर बना रहेगा।
चीनी कंपनियों का रुख भारत की ओर
अब आते हैं चीन पर, जहाँ से कम्पनियाँ अब बोरिया-बिस्तर समेट रही हैं और उनका रुख अब भारत की ओर है। असम सरकार जापानी, कोरियन और अमेरिकी कंपनियों को लुभाने के लिए नई रणनीति पर काम कर रही है। सरकार इस पर नज़र रख रही है कि उन्हें लुभाने के लिए इंडोनेशिया, वियतनाम, कम्बोडिया, मलेशिया और थाईलैंड जैसे देश क्या कर रहे हैं। ऐसे में सरकार को उनसे बेहतर प्रयास करने में मदद मिलेगी।
चीन के शंघाई में स्थित टेस्ला के प्लांट ने वहाँ प्रोडक्शन रोक दिया है और इससे ग्लोबल स्तर पर भी कम्पनी की गाड़ियों की सप्लाई रुक गई है। कुछ चाइनीज वेबसाइटों का कहना है कि उत्पादन के लिए कच्चा माल न मिलने के कारण ऐसा किया गया है। अमेरिका से बाहर ये टेस्ला का एकमात्र प्लांट है। मॉडल-3 के लिए इसे कलपुर्जे नहीं मिल रहे हैं। शटडाउन के कारण कम्पनी का कैलिफोर्निया स्थित प्लांट भी कई दिनों से बंद पड़ा हुआ है।
पत्रकारों को देश से निकाल रहा है चीन
कई देश चीन के साथ रिश्तों को तरजीह नहीं दे रहे हैं और वो नजदीकी घटाने में लग गए हैं, जो उसके लिए चिंता का विषय है। चीन में मानवाधिकार हनन और वहाँ कोरोना को लेकर की गई गड़बड़ियों के कारण सभी देश उससे हलकान हैं। वहाँ मीडिया पर अभी भी दबिश जारी है। विदेशी न्यूज़ रिपोर्टरों को निकाला जा रहा है। वहाँ 24 सालों से रह रहे वरिष्ठ पत्रकार क्रिस बकली को भी निकाल बाहर किया गया।
Chris Buckley is the 19th foreign journalist (and 2nd Australian) forced to leave China in the past 12 months. He’s been in J-visa exile before but says ‘this time feels different because China’s changed so much’. He’d just done 76 days in Wuhan lockdown. https://t.co/dpqrJzmXxo
— Bill Birtles (@billbirtles) May 8, 2020
वे वुहान में ही रिपोर्टिंग कर रहे थे। दुनिया भर में कोरोना वायरस का केंद्र वुहान ही रहा है, जहाँ से ये महामारी शुरू हुई। फ़रवरी में उनका प्रेस कार्ड एक्सपॉयर हो गया था, जिसे चीन ने रिन्यू करने से इनकार कर दिया। पिछले 1 साल में 19 पत्रकारों को चीन बाहर निकाल चुका है। यहाँ तक कि अमेरिकी मीडिया संस्थानों में काम कर रहे चीनी नागरिकों को भी नौकरी छोड़ने को कहा गया। 18 लाख चीनी बेरोजगार हो चुके हैं।
अनुमानित आँकड़े कहते हैं कि कुछ ही दिनों में चीन में रोजगार, नौकरियों के लिए 90 लाख लोग आपस में प्रतियोगिता करेंगे। चीन में मार्च में 5.9% बेरोजगारी थी, जो अप्रैल में बढ़ कर 6.2% हो गई। हालाँकि, चीन में सरकारी डेटा भरोसेमंद नहीं होते हैं। वहाँ के जॉब मार्किट में कोविड-19 का भयानक असर पड़ा है, ऐसा कई विशेषज्ञों का मानना है। अनुमान लगाया गया है कि फ़िलहाल वहाँ 2.7 करोड़ लोग बेरोजगार हैं। भारत की स्थिति ऐसे में काफी मजबूत है।