भारत के पड़ोसी देश नेपाल से लैंड जिहाद का मामला सामने आया है। यहाँ मोहतरी जिले में हिन्दू संगठनों ने एक प्राचीन मंदिर पर मुस्लिम घुसपैठियों द्वारा कब्ज़े की साजिश रचने का आरोप लगाया है। मंदिर का नाम लक्ष्मीनारायण मठ है जिसे आसपास के लोग मठियानी मठ के नाम से जानते हैं। नेपाल का सबसे बड़ा मठ कहा जाने वाला यह मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है।
बताया जा रहा है कि मंदिर की जमीन पर लम्बे समय से रोहिंग्या, बांग्लादेशी और भारत से अवैध तौर पर आए घुसपैठिए मुस्लिमों ने साजिशन पहले अस्थाई झुग्गियाँ बसाईं और बाद में उनमें आग लगा दीं। आग से इलाके में रहने वाले कुछ हिन्दू परिवारों के घर भी प्रभावित हुए हैं। अब वहाँ पक्के निर्माण की तैयारी चल रही है। इस निर्माण के लिए नेपाल और विदेश की तमाम इस्लामी तंजीमें पैसे दे रहीं हैं। विरोध के बाद नेपाली प्रशासन ने फिलहाल इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी है।
ऑपइंडिया ने इस बाबत हिन्दू सम्राट सेना नेपाल के अध्यक्ष राजेश यादव से बात की। राजेश यादव ने हमें बताया कि मठियानी मठ न सिर्फ महोत्तरी बल्कि पूरे नेपाल और भारत के सीमावर्ती जिलों में रहने वाले हिन्दुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। यह मंदिर हजारों वर्गमीटर में फैला है। मंदिर के अंदर गुरुकुल भी है जिसमें दुनिया भरके सैकड़ों छात्र संस्कृत और सनातन पद्धति की शिक्षा लेते हैं। माना जाता है कि नेपाल का पहला गुरुकुल इसी मठ में स्थापित हुआ था। मठ में गौशाला भी है। हर साल यहाँ परिक्रमा और मेले में लाखों हिन्दू शामिल होते हैं।
राजेश ने हमें बताया कि महोत्तरी के मठियानी नगर पालिका में बने इस मठ के आसपास लगभग 20% आबादी मुस्लिमों की है। यह आबादी धीरे-धीरे बांग्लादेश, रोहिंग्या और भारत से घुसपैठ करके आ रहे मुस्लिमों की वजह से बढ़ी है। यहाँ मुस्लिमों की आबादी लगातार बढ़ती ही जा रही है। लगभग 2 साल पहले मंदिर की खाली पड़ी जमीनों पर मुस्लिम घुसपैठियों ने अस्थाई झुग्गियाँ बना डालीं। शुरू में एकाध मुस्लिम परिवार यहाँ टेंट डाल कर रहना शुरू किए जिसके बाद महज 2 वर्षों में इस जगह पर लगभग 80 मुस्लिम परिवार आ बसे। मुस्लिम बस्ती कहे जाने वाले इस इलाके में 7-8 हिन्दू परिवार भी रहते हैं। हालाँकि स्थानीय हिन्दू संगठन इन मुट्ठी भर हिन्दुओं को सैकड़ों घुसपैठियों द्वारा साजिशन बनाई गई ढाल मानते हैं।
थोड़े समय बाद बस्ती के मुस्लिमों ने टेंट के बजाय झुग्गियाँ डाल ली और उसी जगह को अपना ठिकाना घोषित कर दिया। यहाँ पर कबाड़ी आदि का काम शुरू कर दिया गया जो बाद में सब्ज़ी और फलों के कारोबार तक फैला दिया गया। मंदिर प्रशासन ने लगभग 1 साल पहले इन घुसपैठियों को जमीन खाली करने का नोटिस दिया था लेकिन उन पर कोई असर नहीं पड़ा। आरोप है कि घुसपैठियों को कुछ राजनैतिक दलों ने संरक्षण भी दिया। इस इलाके में चोरी और तस्करी जैसी घटनाएँ भी बढ़ गईं।
राजेश यादव ने आगे बताया कि अप्रैल 2024 में घुसपैठियों की इस झुग्गी में संदिग्ध तौर पर आग लग गई। अग्निकांड में सभी 80 झुग्गियाँ जल कर राख हो गईं। किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई। बताया गया कि अंडा उबालते हुए एक मुस्लिम परिवार के घर से उठी आग ने पूरी बस्ती को चपेट में ले लिया। हालाँकि हिन्दू सम्राट सेना सहित तमाम अन्य नेपाली हिन्दू संगठन इस अग्निकांड को एक साजिश बता रहे हैं। हमें बताया गया कि इस आगजनी के बाद बस्ती के सभी मुस्लिमों ने अचानक ही एक स्वर में अपने सभी पहचान पत्र और सरकारी कागजात जल जाने की दुहाई देनी शुरू कर दी।
आरोप है कि यह साजिश रोहिंग्या, बांग्लादेशी और अन्य देशों के घुसपैठी मुस्लिमों को नेपाली नागरिक साबित करने का है। कुछ ही समय में इस बस्ती के पास नेपाल और अन्य देशों की मुस्लिम्म तंजीमों का जमावड़ा शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर बस्ती के मुस्लिमों को निरीह और लाचार बता कर उनकी मदद की अपील की जाने लगी। इस मदद में सबसे पहली माँग 80 से अधिक परिवारों को पक्के घर देने की थी। इस माँग को कुछ नेपाली पार्टियों ने सरकार तक पहुँचाना शुरू कर दिया जिसमें वामपंथी दल प्रमुख हैं।
हमें आगे बताया गया कि कुछ ही दिनों में करोड़ों रुपए जमा भी कर लिए गए। मंदिर की जमीन पर अनुदान के लिए भीड़ जमा होने लगी। इस अनुदान में कपड़े, राशन आदि प्रमुख थे। नेपाल के कई मुस्लिम समूहों ने तो गाँव-गाँव रैली निकालनी शुरू कर दी। इस रैली में मंदिर की जमीन पर आगजनी के शिकार सभी मुस्लिमों को पक्के घर देने की माँगों वाला बैनर सबसे आगे हुआ करता था। पक्के निर्माण की आहट को देख कर मंदिर मैनेजमेंट ने नेपाली प्रशासन से अपनी जमीन बचाने की गुहार लगाई। हालाँकि इस गुहार का नेपाली प्रशासन पर कोई असर नहीं पड़ा।
आखिरकार हिन्दू संगठनों ने इस मामले में हस्तक्षेप किया। मई 2024 से हिन्दू सम्राट सेना सहित कई अन्य समूहों ने गाँव-गाँव और शहर-शहर इस अतिक्रमण की साजिश के खिलाफ जमीनी अभियान चलाया। सोशल मीडिया पर भी लोगों को संभावित साजिश से जागरूक किया गया। नेपाल सरकार और स्थानीय प्रशासन को भी ज्ञापन दे कर चेताया गया कि अगर मंदिर की जमीन पर कब्ज़ा हुआ तो आंदोलन होगा। दोनों पक्षों में बढ़ रहे तनाव को देख कर प्रशसन को देखते हुए नेपाली प्रशासन सतर्क हो गया।
बताया जा रहा है मई महीने के पहले सप्ताह में नेपाली प्रशासन ने इस विवाद की जाँच बिठा दी। जाँच रिपोर्ट आने तक किसी भी प्रकार के कच्चे या पक्के निर्माण पर रोक लगा दी गई है। मंदिर की जमीन पर पुलिस की गश्त बढ़ा दी गई है। प्रशासनिक सख्ती के बावजूद मुस्लिम पक्ष मठ की जमीन छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। अभी भी उस जमीन पर चोरी-छिपे मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों द्वारा अस्थाई निर्माण करवाया जा रहा है।
मुस्लिम तबके का नेतृत्व कलीम अंसारी कर रहा है। कलीम मठियारी नगर पालिका का वार्ड नंबर 6 का अध्यक्ष है। आग से पीड़ित सैकड़ों लोगों की लिस्ट में 7-8 घर हिन्दुओं के भी हैं। राजेश यादव ने हमें बताया कि वो मुट्ठी भर हिन्दू परिवार खुद ही मुस्लिमों से पीड़ित हैं। साथ ही वो नेपाल प्रशासन का हर प्रकार से सहयोग करने को तैयार हैं।