जैसे भारत में मौलाना साद ने कहा कि कोरोना वायरस अल्लाह की परीक्षा है और इस्लाम को मानने वाले इससे बच जाएँगे, वैसे ही शाहीन बाग़ की महिलाओं ने इसे कुरआन से निकला वायरस करार दिया। इसी तरह अब आईएसआईएस की कुछ महिलाओं का वीडियो आया है, जो एक रिफ्यूजी कैम्प का है। इस वीडियो में वो कोरोना वायरस को लेकर अजोबोग़रीब दावे करते दिख रही हैं। ऐसी ही एक महिला ने बताया कि वायरस उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि मुस्लमान अपने मजहब में आस्था रखते हैं, रोजा रखते हैं और 5 बार नमाज़ पढ़ते हैं।
ये वीडियो इराकी कुर्दिस्तान के ‘रुडाव टीवी’ का है, जिसे ‘मिडिल ईस्ट मीडिया रिसर्च फाउंडेशन’ ने ट्वीट किया है। इस वीडियो में मीडिया से बात करते हुए आईएसआईएस की महिलाएँ कहती हैं कि वो केवल और केवल अल्ल्ह से ही डरती हैं और वो अबू बकर अल-बगदादी की राह पर चलते हुए सच्चे इस्लाम का अनुसरण करती हैं। बता दें कि खूँखार वैश्विक आतंकी संगठन आईएसआईएस का सबसे बड़ा सरगना बगदादी ही था, जिसे अक्टूबर 2019 में अमेरिका ने मार गिराया था।
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जब उन महिलाओं से ये पूछा गया कि अगर मजहब विशेष का कोरोना वायरस कुछ नहीं बिगाड़ सकता तो इससे कौन लोग संक्रमित होंगे? इस पर उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से सिर्फ़ काफिर ही संक्रमित होंगे, ये वायरस काफिरों के लिए है। उन्होंने दावा किया कि काफिर समुदाय विशेष पर अत्याचार करते हैं, इसीलिए वो इस वायरस के कारण तबाह हो जाएँगे। महिलाओं ने दावा किया कि इससे उनका तो कुछ नहीं बिगड़ेगा लेकिन काफिरों की तबाही आ जाएगी, इसका उन्हें पूरा विश्वास है। महिलाओं ने एक क़दम और आगे बढ़ कर ये झूठा दावा कर दिया कि इस संक्रमण से आज तक किसी मजहब के व्यक्ति के मरने की ख़बर आई ही नहीं।
ISIS Women at Al-Hawl Refugee Camp: Coronavirus Does Not Infect Muslims, Only Infidels and Oppressors Die of the Virus pic.twitter.com/Fq9wInS9wH
— MEMRI (@MEMRIReports) April 12, 2020
बता दें कि जिन देशों में इस वायरस का सबसे ज्यादा कहर रहा, उनमें से एक ईरान भी है। शिया समुदाय मजहबी तीर्थयात्रा के लिए ईरान जाते हैं। ईरान में इस वायरस ने 72,000 लोगों को अपने संक्रमण का शिकार बनाया, जिनमें से 4500 मारे गए। जब मीडिया रिपोर्टर ने महिलाओं को ये बताया कि कई लोग कोरोना के कारण संक्रमित हो चुके हैं तो उन्होंने कहा कि सभी मुस्लिम सच्चे नहीं होते और जो मारे गए हैं, वो अत्याचारी थे। इन महिलाओं का दावा है कि मजहब विशेष के बीच कई दमनकर्ता भी शामिल थे, जो मारे गए। एक अन्य महिला ने तो यहाँ तक दावा कर दिया कि कोरोना वायरस अल्लाह का एक सिपाही है, जिसे धरती पर भेजा गया है।
पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के 18.6 लाख मामले आए हैं, जबकि 1.15 लाख लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। इराक में भी इस वायरस ने 1500 लोगों को अपने संक्रमण का शिकार बनाया है, जिनमें से 76 की मौत हुई है। वहाँ टेस्टिंग की सुविधा काफ़ी कम है, इसीलिए आँकड़े और ज्यादा हो सकते हैं। जिन महिलाओं ने ऐसे अजीबोगरीब बयान दिए, वो उत्तरी सीरिया में स्थित अल-हौल रिफ्यूजी कायम में रह रही हैं। इस्लामिक स्टेट के कब्जे वाले क्षेत्र से लोगों को स्थानांतरित कर यहाँ रखा जाता है।