मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) दुनिया का छठा सबसे खूॅंखार आतंकी संगठन है। अमेरिकी विदेश विभाग की एक रिपोर्ट से यह तथ्य सामने आया है। आतंकवाद पर यह रिपोर्ट शुक्रवार को जारी की गई। ‘कंट्री रिपोर्ट ऑन टेररिज्म 2018’ के आँकड़े बताते हैं कि सीपीआई (एम) ने पिछले साल 177 आतंकी घटनाओं में करीब 311 लोगों की हत्या की। हालॉंकि केंद्रीय गृह-मंत्रालय के आँकड़े बताते हैं कि 2018 में वामपंथी हिंसा की 833 वारदातें हुई। इनमें 240 लोगों ने अपनी जान गँवाई थी।
पिछले साल की ‘कंट्री रिपोर्ट ऑन टेररिज्म-2017’ में अमेरिका ने माओवादियों को दुनिया का चौथा सबसे खतरनाक संगठन बताया था। ताजा रिपोर्ट में सीपीआई (एम) खूँखार आतंकी संगठनों की श्रेणी में छठे स्थान पर रखा गया है। उससे पहले इस सूची में तालिबान, इस्लामिक स्टेट, अल शबाब (अफ्रीका), बोको हरम (अफ्रीका) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ फिलिपीन्स है।
सीपीआई (एम) का मकसद गुरिल्ला वार के जरिए सरकार को उखाड़ फेंकना है। 21 सितंबर 2004 को इसकी स्थापना कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी-लेनिनवादी)), पीपुल्स वार ग्रुप और माओइस्ट कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ इंडिया (एमसीसीआई) के विलय से हुई थी। यूएपीए कानून के तहत भारत सरकार ने भी सीपीआई (माओवादी) को आतंकी संगठन घोषित कर रखा है।
रिपोर्ट में अमेरिकी ख़ुफ़िया विभाग ने अफगानिस्तान, सीरिया और ईराक के बाद विश्व में भारत को आतंकवाद से प्रभावित चौथा देश बताया है। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल भारत में घटित 57 प्रतिशत आतंकवादी घटनाएँ जम्मू-कश्मीर में हुई थीं। मीडिया में आ रही रिपोर्ट्स की मानें तो अमेरिका की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2018 के दौरान भारत में घटित होने वाली अधिकांश घटनाओं के पीछे सीपीआई (माओवादी) के नक्सली शामिल रहे हैं। वे करीब 176 ऐसी घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार हैं जोकि कुल आतंकी घटनाओं का 26 फ़ीसदी है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक जैश-ए-मोहम्मद ने 60 और हिज्बुल मुजाहिद्दीन ने 59 आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया। ऐसी घटनाओं में इनकी हिस्सेदारी 9-9 फीसदी है। लश्कर-ए-तैय्यबा को 55 वारदातों के साथ करीब 8 फीसदी घटनाओं का ज़िम्मेदार बताया गया है।
मुंबई हमलों में पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की सक्रिय भूमिका होने का दावा करने वाली इस लिस्ट में भारत के राज्यों में सक्रिय कुछ अन्य संगठनों के भी नाम शामिल हैं। इनमें यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ़ असम, नेशनल सोशलिस्ट कौंसिल ऑफ़ नागालैंड-इसाक मुइवा और आईएसआईएस की जम्मू-कश्मीर इकाई शामिल है। भारत और अमेरिका के आँकड़ों में फर्क को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने टिप्पणी से इनकार किया है।