भारत Covid-19 की दूसरी लहर से जूझ रहा है। संक्रमितों में अचानक हुई वृद्धि ने देश की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को झकझोर दिया है। अस्पताल में बेड, ऑक्सीजन और दवाओं की कमी के कारण समस्या उत्पन्न हो रही है। इस संकट के समय में कई संगठनों ने भारत की मदद के लिए कदम आगे बढ़ाया है।
ऐसे कई संगठन हैं जो जरूरत के समय में वास्तव में मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं लेकिन कई ऐसे कई ऐसे संगठन भी हैं जो Covid-19 संक्रमण के नाम पर धोखाधड़ी कर रहे हैं। इस तरह के संगठन आम लोगों को गुमराह कर रहे हैं रहे हैं और Covid-19 राहत कार्य के नाम पर धोखाधड़ी कर रहे हैं। इसी तरह का एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) है जो अमेरिका में स्थित है। हम बात कर रहे हैं इस्लामिक मेडिकल एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (IMANA) केयर की।
IMANA ने कुछ दिन पहले रातोंरात भारत में लोकप्रियता हासिल कर ली। कहा जा रहा है कि यह संगठन इंस्टाग्राम पर पेड विज्ञापन चलाकर और यहाँ तक कि अपने पोस्ट को साझा करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इंफ्लुएंसर्स को भुगतान भी कर रहे हैं। ऐसा करके देश के युवाओं को निशाना बना जा रहा है। बदले में भारतीय युवा एनजीओ के फंड इकट्ठा करने वाले अभियान ‘Help India Breath’ के लिए बिना सोचे-समझे दान कर रहे हैं।
दिलचस्प बात यह है कि IMANA एक ऐसा एनजीओ है जो अकेले मुस्लिम समाज की बेहतरी के लिए काम करता है। संगठन ने अपने परिचय में स्पष्ट रूप से लिखा है “यह उत्तरी अमेरिका में अमेरिकी-मुस्लिम स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए एक प्रमुख संसाधन नेटवर्क है।“ यह बताता है कि इसका उद्देश्य अपने मुस्लिम रोगियों की सेवा करना ही है।
इस अमेरिकी एनजीओ ने ‘Help India Breath’ नामक एक कैम्पेन की शुरुआत की जो Covid-19 के संक्रमण के संकट से भारत की लड़ाई में मदद करेगा। थोड़े समय के भीतर ही IMANA ने कैम्पेन के जरिए करोड़ों की धनराशि एकत्र कर ली।
पहले तो इस अमेरिकी एनजीओ के इरादे बेहद नेक लग रहे थे। लेकिन कुछ ही समय के भीतर सोशल मीडिया यूजर्स ने इस एनजीओ की वास्तविकता और उसके कैम्पेन पर सवाल उठाना शुरू कर दिया।
एनजीओ और उसके बदलते कैम्पेन :
IMANA को एक बार नहीं बल्कि तीन बार इंस्टाग्राम पर अपने कैम्पेन को बदलते हुए पकड़ा गया है। एक सोशल मीडिया यूजर द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार एनजीओ ने शुरुआत में कुल 1.8 करोड़ रुपए की राशि दान में इकट्ठा करने का लक्ष्य रखा जिसे उसी दिन बढ़ाकर 3 करोड़ रुपए और बाद में 5.6 करोड़ रुपए कर दिया गया था।
दिलचस्प बात यह है कि हर बार कैम्पेन में लक्ष्य हासिल करने के बाद संगठन चुपचाप अपने लक्ष्य को बढ़ा देता। यह अपने आप में काफी संदिग्ध है क्योंकि आम तौर पर सभी कैम्पेन की विशिष्ट समय सीमा होती है और वो पूर्व निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के बाद समाप्त हो जाते हैं।
Thread
— Deeksha Negi (@NegiDeeksha9) April 30, 2021
Much of the buzz is going on #imanacares latest project #HelpIndiaBreathe with an Aim to help India during Covid-19 crisis with Oxygen cylinders and medical assistance….
Below are few SS attached with basic observations rest lies on the reader’s conscience.#COVID19 pic.twitter.com/d2MXPYfNmC
Help India Breath और हिजबुल मुजाहिद्दीन से उसके संबंध :
IMANA ने अपनी अधिकारिक वेबसाइट पर उल्लेख किया है उसका संबंध इस्लामिक सोसाइटी ऑफ नॉर्दर्न अमेरिका (ISNA) नाम के एक अन्य NGO के साथ है।
IMANA ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर कहा गया है कि IMANA को पहले MSA की एक शाखा के रूप में स्थापित किया गया है जो बाद में ISNA के रूप में विकसित हुई। दिलचस्प बात यह है कि ISNA पर जम्मू-कश्मीर में इस्लामिक आतंकवादी समूहों को फंडिंग करने का आरोप है।
2017 की इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार Canadian Revenue Agency (CRA) ने 2011 में NGO का ऑडिट शुरू किया था। CRA ने हिजबुल मुजाहिद्दीन से संबंध होने और जम्मू-कश्मीर में इस्लामी आतंकवादी समूहों को फंडिंग करने के आरोप में ISNA का चैरिटी स्टेटस रद्द कर दिया था।
ISNA को लिखे एक पत्र में कनाडाई अधिकारियों ने लिखा था कि उन्होंने ISNA और जमात-ए-इस्लामी के बीच संबंधों को उजागर किया है जो कि एक पाकिस्तानी इस्लामिक कट्टरपंथी समूह है और हिजबुल मुजाहिद्दीन का पैरेंट ऑर्गनाइजेशन है।
ऑडिट के अनुसार, CRA ने पाया कि टोरंटो में एक जामी मस्जिद फंड इकट्ठा करने में शामिल थी जिसके लिए उसने ISNA इस्लामिक सेवा की टैक्स रसीदें जारी की थीं। इस फंड को तब ISNA डेवलपमेंट फाउंडेशन के माध्यम से रिलीफ ऑर्गनाइजेशन ऑफ कश्मीरी मुस्लिम्स (ROKM) को भेजा गया। CRA के अनुसार ROKM जमात-ए-इस्लामी की धर्मार्थ शाखा है जो हिजबुल मुजाहिद्दीन का पैरेंट ऑर्गनाइजेशन है।
CRA ने तब कहा था, “हमारे रिसर्च से यह बताते हैं कि ROKM, जमात-ए-इस्लामी की एक धर्मार्थ शाखा है जो जम्मू-कश्मीर में अपनी सशस्त्र शाखा हिजबुल मुजाहिद्दीन की गतिविधियों के माध्यम से भारत के शासन को चुनौती देता है।“ CRA ने अंदेशा जताया कि ROKM के द्वारा इकट्ठा किया गया फंड जमात-ए-इस्लामी और उसकी सशस्त्र शाखा हिजबुल मुजाहिद्दीन के कट्टरवादी और राजनैतिक उद्देश्यों की पूर्ति करता है।
इन तथ्यों से यह पता चलता है कि भारतीयों को ठगा गया और उनके द्वारा इस इस्लामिक एनजीओ को दिया गया दान मुख्यतः अमेरिका में मुस्लिमों के लिए उपयोग में लाया जाएगा।