भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट के बाद अब नई अंतरिम सरकार का गठन हो गया है। इसके मुखिया बांग्लादेश की ग्रामीण बैंक के संस्थापक मोहम्मद युनुस को बनाया गया है। इस सरकार में 16 अन्य सदस्यों को शामिल किया गया है। बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार में शामिल किए जाने वाले 16 सदस्यों में पूर्व की जमात-ए-इस्लामी सरकार के करीबियों से लेकर कट्टरपंथी मौलानाओं को जगह दी गई है।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के गठन के पहले और वर्तमान में लगातार हिन्दुओं के खिलाफ इस्लामी कट्टरपंथी हिंसा कर रहे हैं। बांग्लादेश के अलग-अलग इलाकों में मंदिरों को तोड़ा और जलाया गया है। हिन्दुओं की हत्याएँ भी हुई हैं। उनके घर तोड़े और लूटे गए हैं। इसके अलावा महिलाओं से बलात्कार भी हुए हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के नए मुखिया मोहम्मद युनुस को बधाई दी है। उन्होंने इसी के साथ बांग्लादेश में हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा की आशा जताई है। पीएम मोदी ने बांग्लादेश के लोगों की भलाई की लिए मिलकर काम करने का भरोसा दिया है।
My best wishes to Professor Muhammad Yunus on the assumption of his new responsibilities. We hope for an early return to normalcy, ensuring the safety and protection of Hindus and all other minority communities. India remains committed to working with Bangladesh to fulfill the…
— Narendra Modi (@narendramodi) August 8, 2024
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में प्रोफ़ेसर युनुस के अलावा डॉ सलेहुद्दीन अहमद, AF हसन आरिफ, ब्रिगेडियर सखावत हुसैन, तौहीद हुसैन, फरीदा अख्तर, शर्मीन मुर्शीद, सैयदा रिजवाना हसन, नूरजहाँ बेगम, डॉ आसिफ नजरुल, आदिलुर रहमान खान, बिधान रंजन रॉय, फारुक आजम, सुप्रदीप चकमा, AFM खालिद हुसैन, नाहिद इस्लाम और आसिफ महमूद को शामिल किया गया है। इस सरकार के सदस्यों में सबसे अधिक चिंताएँ AFM खालिद हुसैन के शामिल किए जाने पर बढ़ी हैं।
कौन है AFM खालिद हुसैन?
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में अबुल फैयाज मोहम्मद खालिद हुसैन को भी सलाहकार बनाया गया है। AFM खालिद हुसैन एक इस्लामी कट्टरपंथी देवबंदी मौलाना है। AFM खालिद हुसैन हिफाजत-ए-इस्लाम बंगलादेश नाम के एक संगठन से जुड़ा हुआ है। यह संगठन हिन्दू और भारत विरोधी रवैया अपनाता आया है। हिफाजत-ए-इस्लाम संगठन बांग्लादेश को तालिबान शासित अफगानिस्तान की तरह बनाना चाहता है। यह संगठन हिन्दू विरोधी हिंसा में लिप्त रहा है।
AFM खालिद हुसैन हिफाजत-ए-इस्लाम का उपाध्यक्ष रहा है। वह 2020-2021 के बीच इस संगठन का उप-मुखिया था। AFM खालिद हुसैन का यह संगठन अपने हिन्दू विरोधी रवैये के लिए जाना जाता रहा है। इस संगठन ने लगातार हिन्दू विरोधी हिंसा को अंजाम दिया है। इसके सदस्य हिन्दू मंदिरों पर हमला करते रहे हैं। यह संगठन भारत विरोधी भी है। यह संगठन लगातार बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लाम लाने की वकालत करता रहा है।
हिन्दू विरोधी हिंसा में लिप्त रहा है हिफाजत-ए-इस्लाम
जिस संगठन के पूर्व उपाध्यक्ष AFM खालिद हुसैन को युनुस सरकार में जगह दी गई है, वह 2021 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बांग्लादेश दौरे पर हिन्दू विरोधी हिंसा कर रहा था। इस दौरान इसके सदस्यों ने बांग्लादेश में हिन्दू मंदिरों पर हमले किए थे। इसके अलावा इन्होने सड़कों पर काफी उत्पात मचाया था। हिफाजत-ए-इस्लाम के सदस्यों ने बांग्लादेश की सड़कों पर डायरेक्ट एक्शन डे के लिए नारे लगाए थे। उनका कहना था कि बांग्लादेश में 1946 जैसा डायरेक्ट एक्शन डे होना चाहिए जिसमें हिन्दुओं का नरसंहार हुआ था।
इस हिंसा के बाद हिफाजत-ए-इस्लाम के नेता ममनूल हक़ को शेख हसीना सरकार ने गिरफ्तार किया था। हक़ के ऊपर आरोप था कि उसने पीएम मोदी के दौरे के दौरान हिंसा भड़काई और तोड़फोड़ करवा कर बांग्लादेश को अस्थिर करने का प्रयास किया। हक़ ने पूछताछ में खुलासा किया था कि उसके संगठन के लोग शेख हसीना सरकार को सत्ता से हटाकर एक तालिबानी सरकार बांग्लादेश में लाना चाहते थे। हक़ और उसके संगठन के लोग ऐसे कार्यक्रम आयोजित करते थे, जहाँ मुस्लिमों को हथियार उठाने के लिए भड़काया जाता था।
हिफाजत-ए-इस्लाम से जुड़ा एक और मौलाना रफीकुल इस्लाम मदनी भी हिन्दू और भारत विरोधी जहर उगलता रहा है। उसने भी 2021 में पीएम मोदी की यात्रा के दौरान लोगों को भड़काया था। उसका आरोप था कि शेख हसीना की सरकार को हिंदुत्व वाली विचारधारा भारत से चला रही है। उसने एक वीडियो मैसेज जारी करके बांग्लादेशी मुस्लिमों को दिल्ली पर कब्जा करने का सन्देश दिया था। उसने कहा था कि बांग्लादेशी पीएम मोदी को रोकने के लिए शहीद भी हो जाएँगे।
युनुस सरकार को लेकर बढ़ी चिंताएँ
बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के विरुद्ध चालू हुई हिंसा उनके इस्तीफे के बाद हिन्दू विरोधी हिंसा में बदल गई है। लगातार हिन्दुओ पर अत्याचार हो रहा है। इस्लामी कट्टरपंथी उनको प्रताड़ित कर रहे हैं। स्थितियाँ इतनी बिगड़ी हैं कि पीएम मोदी को अलग से हिन्दुओ की सुरक्षा की अपील नई बांग्लादेशी सरकार से करनी पड़ी है।
इस बीच अंतरिम सरकार में इस्लामी कट्टरपंथी मौलाना को शामिल किया जाना इस सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करता है। यह मौलाना उसी सोच का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसमें मुस्लिमों के अलावा बाकी धर्मों के लोगों को काफिर की संज्ञा दी गई है।