फ्रांस के राष्ट्रपति चुनावों में बहुमत पाकर एक बार फिर इम्मैनुएल मैक्रों की राष्ट्रपति के तौर पर वापसी हुई है। उन्हें चुनावों में 58.2% वोट मिले जबकि उनकी प्रतिद्वंदी मरीन ले पेन को 41.8% फीसद वोट मिले। पेन ने नतीजे देखते हुए जहाँ अपनी हार मानी और कहा कि वह फ्रांस के लिए लड़ना जारी रखेंगी। वहीं अन्य देश के नेताओं ने मैक्रों को बहुमत पाता देख उन्हें बधाई देनी शुरू कर दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मैक्रों को फिर से राष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई भेजी। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, “मैं भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने के लिए मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूँ।” ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भी मैक्रों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि वह आगे अपने करीबी और महत्वपूर्ण सहयोगी के साथ काम करने को तैयार हैं।
Emmanuel Macron won France’s presidential election, with initial estimates suggesting he had secured 58.2% of the vote, defeating Marine Le Pen #presidentielles2022 https://t.co/Ez0Zh2SxB5
— The Economist (@TheEconomist) April 24, 2022
जानकारी के अनुसार इमैनुएल मैक्रों 20 वर्षों के दौरान दूसरे कार्यकाल के लिए चुने गए फ्रांस के पहले राष्ट्रपति बने हैं। इस बार उन्हें उनकी विपक्षी मरीन ले से बराबर की चुनौती मिली जिन्होंने रेडियो पर ये बयान दिया था कि सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब पहनने वाली महिलाओं को जुर्माना देना होगा। ओपिनियन पोल्स में भी पेन के सामने मैक्रों को मामूली बढ़त से आगे दिखाया गया था। अनुमान लगने लगे थे कि ये चुनाव महिला उम्मीदवार के पक्ष में जाएँगे। हालाँकि अंत में मैक्रों ने इस चुनाव में बहुमत से विजय हासिल की।
इस्लामी कट्टरपंथ के विरुद्ध मैक्रों
याद दिला दें कि अभी हाल में फ्रांस ने इस्लाम को अपने ‘सेकुलर’ ढंग में ढालने की घोषणा करते हुए एक निकाय की घोषणा की थी जिसके बाद मुस्लिम उलेमाओं ने कहा था कि इस्लाम को इस तरह ढालने का प्रयास सिर्फ इसलिए है ताकि मैक्रों दक्षिणपंथी लोगों का समर्थन पा सकें। इसके अलावा मैक्रों के राष्ट्रपति रहते हुए फ्रांस ने कट्टरपंथी इस्लाम को पनाह देने और आतंकी हमलों को वैध ठहराने के लिए मस्जिदों पर कार्रवाई करते हुए उनपर ताला लगवाया था।
उन्होंने इस्लामी कट्टरवाद से निपटने के लिए रेडिकल इस्लाम विरोधी कानून को भी पारित किया था। इस बिल में मस्जिदों और मदरसों पर सरकारी निगरानी बढ़ाने और बहु विवाह और जबरन विवाह पर सख्ती का प्रावधान था। ये बिल फ्रांस की धर्मनिरपेक्ष परंपराओं को कमजोर करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की इजाजत देता था। साल 2020 में इस्लाम को कट्टरता और नफरत फैलाने वाला मजहब भी बता चुके हैं जिसकी वजह से उनकी कई जगह आलोचना हुई। उन्होंने देश में इमामों की एंट्री पर भी बैन लगाया था।