विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार (27 अप्रैल, 2022) को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रायसीना डायलॉग को सम्बोधित करते हुए उन्होंने क्षमता निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत को इस बारे में व्यावहारिक होना चाहिए कि वह अंतरराष्ट्रीय वातावरण का लाभ कैसे उठाता है और कड़ी सुरक्षा पर अधिक ध्यान देकर अतीत में की गई गलतियों को कैसे सुधारता है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 75 साल कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कार्यक्रम के दौरान कहा, “जब हम 75 सालों को पीछे मुड़कर देखते हैं तो हम सिर्फ वो बीते हुए 75 साल नहीं देखते बल्कि वो 25 साल भी देखते हैं जो आने वाले हैं। एक समय था जब दुनिया के इस हिस्से में हम एकमात्र लोकतंत्र थे। अगर लोकतंत्र आज वैश्विक है या आज हम इसे वैश्विक देखते हैं, तो इसका श्रेय भारत को जाता है।”
कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने भारत कहाँ पिछड़ गया है इस सवाल के जवाब में कहा, “भारत ने अतीत में अपने सामाजिक संकेतकों और मानव संसाधनों पर उस तरह का ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा हमने मैन्युफैक्चरिंग और टेक्नोलाजी ट्रेंड पर उतना ध्यान नहीं दिया, जितना हमें देना चाहिए था। विदेश नीति के लिहाज से हमने कड़ी सुरक्षा को उतना महत्व नहीं दिया। अब भारत को अगले 25 वर्षों में क्षमता निर्माण पर ध्यान देना चाहिए। भारत को परिणामों पर पूरी तरह से तय होना चाहिए और इस बारे में पूरी तरह से व्यावहारिक होना चाहिए कि यह अंतरराष्ट्रीय वातावरण का लाभ कैसे उठाता है।”
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बात पर कहा, “भारत अपनी शर्तों पर दुनिया से रिश्ते निभाएगा और इसमें भारत को किसी की सलाह की जरूरत नहीं है। वो कौन हैं समझकर दुनिया को खुश रखने की जगह हमें इस आधार पर दुनिया से संबंध बनाने चाहिए कि हम कौन हैं। दुनिया हमारे बारे में बताए और हम दुनिया से अनुमति लें वो वाला दौर खत्म हो चुका है। अगले 25 सालों में भारत वैश्विककरण का केंद्र होगा।”
वहीं बता दें कि रूस के साथ व्यापार को लेकर विदेश मंत्री ने कहा, “आदेश जैसे ऑर्डर को अब एशिया में चुनौती मिलने लगी है। रूस के साथ व्यापार को लेकर हमें यूरोप से सलाह मिली कि हम रूस के साथ और व्यापार ना करें। कम से कम हम किसी को सलाह देने नहीं जाते।” आदेश जैसे ऑर्डर करने वाले यूरोप पर जमकर बरसते हुए विदेश मंत्री ने बिना चीन का नाम लिए कहा, “यूरोप उस वक्त असंवेदनशील क्यों था जब बीजिंग एशिया को धमका रहा था?”
उन्होंने कहा कि यूरोप के लिए ये जागने का समय है कि वो एशिया की तरफ भी देखे। एशिया दुनिया का हिस्सा है जहाँ अस्थिर सीमाएँ और आंतकवाद जैसी समस्याएँ हैं। दुनिया को समझना होगा कि समस्याएँ आने वाली नहीं हैं बल्कि आ चुकी है।