Friday, November 15, 2024
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चाबहार पर प्रतिबंधों की धमकी दे रहा था अमेरिका, जयशंकर ने धो डाला: ईरानी बंदरगाह भारत के हाथ में आने के बाद बदला था स्टैंड

इस समझौते को लेकर अमेरिका की प्रतिबंधों की धमकी नई बात है। 2021 से पहले जब अमेरिका के हित अफगानिस्तान से जुड़े हुए थे, तब वह इस बंदरगाह के विकास का समर्थन करता था। अमेरिका ने इसको लेकर भारत को प्रतिबंधों से छूट दी थी।

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईरान के चाबहार बंदरगाह के भारत द्वारा विकास पर अमेरिका के प्रतिबंधों की धमकी को लेकर जवाब दिया है। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा है कि ईरान का यह बंदरगाह सबके हित में है और हम यह बात उन तक पहुँचाएंगे और समझाएँगे।

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, “मैंने इस विषय में कुछ बयान देखे थे। साल में यह बात लोगों तक पहुँचाने और समझाने की जरूरत है कि यह बंदरगाह सबके हित में है। लोगों को इसे एकदम आशंकित होकर नहीं देखना चाहिए।” विदेश मंत्री जयशंकर ने इसको लेकर पुराने अमेरिकी निर्णयों का हवाला भी दिया।

उन्होंने कहा, “उन्होंने पूर्व में भी ऐसा (प्रतिबंध लगाना) नहीं किया है। अगर आप अमेरिका का पुराना रवैया इस मामले में देखें, तो अमेरिका भी चाबहार के विकास को सराहता रहा है।” इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि भारत का चाबहार से लंबा जुड़ाव रहा है।

विदेश मंत्री जयशंकर का बयान अमेरिकी विदेश मंत्रालय की टिप्पणी के बाद आया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भारत के चाबहार बंदरगाह विकसित करने को लेकर कहा था कि कोई भी देश या कम्पनी जो कि ईरान के साथ व्यापारिक सौदे कर रहा है, उसे इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि उन पर प्रतिबन्ध लग सकते हैं।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि उसे चाबहार बंदरगाह को लेकर ईरान और भारत के बीच समझौते की रिपोर्ट को देखा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वह भारतीय विदेश मंत्रालय का चाबहार समेत ईरान से रिश्तों को लेकर पक्ष देखेंगे। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसके द्वारा ईरान पर लगाए गए प्रतिबन्ध जारी रहेंगे।

गौरतलब है कि भारत और ईरान ने सोमवार (13 मई, 2024) को ईरान के चाबहार बंदरगाह को विकसित करने और प्रबंध करने को लेकर समझौता किया था। भारत एक सरकारी कम्पनी के जरिए ईरान के इस बंदरगाह को अगले 10 वर्षों तक चलाएगा। भारत इस बंदरगाह में पहले ही 85 मिलियन डॉलर (लगभग ₹709 करोड़) के निवेश करने की घोषणा कर चुका है।

हालिया समझौते में भारत ने कहा है कि वह इस बंदरगाह के विकास के लिए 120 मिलियन डॉलर (लगभग ₹1000 करोड़) का निवेश करेगा। भारत ने इसके लिए सस्ता कर्ज देने की घोषणा भी की है। यह बंदरगाह पाकिस्तान को दरकिनार कर भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया से जोड़ता है।

इस समझौते को लेकर अमेरिका की प्रतिबंधों की धमकी नई बात है। 2021 से पहले जब अमेरिका के हित अफगानिस्तान से जुड़े हुए थे, तब वह इस बंदरगाह के विकास का समर्थन करता था। अमेरिका ने इसको लेकर भारत को प्रतिबंधों से छूट दी थी।

अमेरिका ने इस बंदरगाह से जुड़ी रेलवे लाइन को भी प्रतिबंधों से छूट देने की बात कही थी। ईरान पर यह अमेरिकी प्रतिबंध उसके परमाणु बम बनाने को लेकर लगाए गए हैं। अमेरिका, ईरान पर आरोप लगाता रहा है कि वह परमाणु बम बना रहा है और इसको लेकर प्रतिबन्ध लगाए हैं।

2021 में अमेरिका अफगानिस्तान से बाहर निकल गया था। अब उसके अफगानिस्तान में हित नहीं है। ऐसे में वह चाबहार पर अपनी भाषा में परिवर्तन कर रहा है। हालाँकि, अभी अमेरिका ने इस बात को लेकर कोई घोषणा नहीं की है कि भारत पर चाबहार के लिए प्रतिबन्ध लगाएगा या नहीं।

भारत, चीन के बढ़ते प्रभाव के कारण अमेरिका का महत्वपूर्ण सहयोगी है और अमेरिका पूर्व में भी भारत को कई बार ऐसी ही छूट दे चुका है। अमेरिका ने अपने NATO सहयोगी तुर्की पर रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने के लिए CAATSA प्रतिबन्ध जड़ दिए थे जबकि भारत को इससे छूट दे दी थी।

ऐसा ही अमेरिका ने भारत के रूस से कच्चा तेल खरीदने को लेकर किया था। ऐसे में चाबहार को लेकर अमेरिका, भारत पर कदम उठाएगा, इसकी संभावनाएँ कम है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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