फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में एक मास्क लगाया शख्स उन्हें थप्पड़ मारता दिख रहा है। वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर शेयर हो रही है। अब तक इस संबंध में पुलिस दो अज्ञात लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। फ्रांस के राष्ट्रपति ने इस घटना को लोकतंत्र का अपमान कहा।
जानकारी के मुताबिक यह घटना उस समय हुई जब मैक्रों दक्षिण-पूर्वी फ्रांस के ड्रोम क्षेत्र के दौरे पर पहुँचे थे। उन्होंने कोविड-19 के कहर के बाद लोगों के जीवन को जानने के लिए रेस्टोरेंट्स का दौरा किया और छात्रों से मुलाकात भी की।
French President Emmanuel Macron was slapped across the face by a man during a trip to southeast France on Tuesday. Macron approached a barrier to shake hands with a man who slapped the 43-year-old across the face in the village of Tain-l´Hermitage in the Drome region. pic.twitter.com/tk8VYwMo5m
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) June 8, 2021
इसी दौरान सुरक्षाकर्मियों से घिरे राष्ट्रपति बैरीकेड्स के पार खड़े आम जन से मिलने गए। वहीं हरे रंग का टीशर्ट, चश्मा और फेसमास्क पहने व्यक्ति ने राष्ट्रपति से हाथ मिलाने के हाथ आगे बढ़ाया। लेकिन जैसे ही राष्ट्रपति मैक्रों उसके पास आए। उसने उनका हाथ पकड़ लिया और दूसरे हाथ से उनके गाल पर थप्पड़ मार दिया। मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने फौरन उसे पकड़ा और घसीटते हुए दूर लेकर चले गए।
बता दें कि राष्ट्रपति को थप्पड़ मारने के बाद युवक ने ‘डाउन विद मैक्रोनिया’ नारा भी लगाया और Montjoie Saint Denis भी चिल्लाया। ये फ्रांस की सेना का युद्ध में लगाया जाने वाला नारा हुआ करता था, जब फ्रांस एक राजतंत्र था। इस घटना के बाद फ्रांस के प्रधानमंत्री जीन कास्टेक्स ने नेशनल असेंबली में कहा कि लोकतंत्र का मतलब बहस और वैध असहमति है। हिंसा, मौखिक आक्रामकता और फिजिकल अटैक नहीं होना चाहिए। वहीं फार लेफ्ट लीडर जीन-ल्यूक मेलेनचॉन ने इस मामले पर राष्ट्रपति के साथ एकजुटता दिखाने के लिए ट्वीट किया।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में फ्रांसीसी सेना को सेवा देने वाले एक गुट ने राष्ट्रपति मैक्रों को इस्लाम को लेकर हिदायत दी थी। इस गुट का कहना था कि इस्लाम धर्म को रियायत देने की वजह से फ्रांस का ‘अस्तित्व’ दाँव पर लग चुका है। राष्ट्रपति को लिखे गए खुले पत्र में चेतावनी दी गई थी कि हिंसा, इस्लाम और संस्थानों के प्रति घृणा के कारण फ्रांस का पतन अनिवार्य रूप से गृहयुद्ध का कारण बनेगा और सेना को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर करेगा।