Monday, August 26, 2024
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1 लाख शरणार्थियों को पेरिस से निकाल बाहर करेगा फ़्रांस, ओलंपिक का होना है आयोजन: मोहम्मद इब्राहिम जैसे कई लोग खुद को बता रहे ‘डरा हुआ’

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने वादा किया है कि ओलंपिक खेलों में देश की भव्यता का प्रदर्शन किया जाएगा। लेकिन ओलंपिक गाँव पेरिस के सबसे गरीब उपनगरों में से एक में बनाया गया है, जहाँ हजारों लोग सड़कों पर बने शिविरों, आश्रयों या छोड़ दिए गए इमारतों में रहते हैं।

पश्चिमी एशिया और अफ्रीकी महाद्वीप से शरण लेने पहुँचे लाखों लोगों को फ्रांस की सरकार शहर से ही निकाल रही है, खासकर उन लोगों को, जो बेघरबार हैं और सड़कों से लेकर खाली बिल्डिंगों में शरण लिए हुए हैं। ऐसा ओलंपिक की आड़ में किया जा रहा है, लेकिन मिशन की असली वजह को छिपाया जा रहा है। लोगों को ये कह कर बसों में बिठाकर दूर-दराज के इलाकों में पहुँचाया जा रहा है, कि उनके लिए ठिकानों की व्यवस्था की जा रही है, ताकि फ्रांस की चरमराती व्यवस्था को छिपाया जा सके।

दरअसल, कुछ दिनों में पेरिस ओलंपिक का आयोजन होने जा रहा है। आयोजन की जगह को पेरिस के उपनगरीय इलाके को बनाया गया है, जहाँ इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए अरबों यूरो खर्च किए गए हैं। लेकिन जिस इलाके में ओलंपिक विलेज बसाया गया है, वहाँ फ्राँस के किसी भी इलाके के मुकाबले सर्वाधिक प्रवासी लोग रहते हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने वादा किया है कि ओलंपिक खेलों में देश की भव्यता का प्रदर्शन किया जाएगा। लेकिन ओलंपिक गाँव पेरिस के सबसे गरीब उपनगरों में से एक में बनाया गया है, जहाँ हजारों लोग सड़कों पर बने शिविरों, आश्रयों या छोड़ दिए गए इमारतों में रहते हैं। ऐसे में बीते एक साल में 5 हजार से अधिक लोगों को उस इलाके से बाहर निकाला गया है। बाहर निकाले जा रहे अधिकतर लोग गरीब मुल्कों से बेहतर जीवन की आस में फ्रांस में रह रहे हैं, लेकिन अब उनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।

चाड से मोहम्मद इब्राहिम ने कहा, “हमें ओलंपिक खेलों के कारण निष्कासित कर दिया गया था, जिन्हें ओलंपिक विलेज के पास एक खाली पड़े सीमेंट फैक्ट्री से निकाला गया था। वे पेरिस के दक्षिण में एक खाली इमारत में चले गए, जहाँ से पुलिस ने अप्रैल में निवासियों को निकाला था। एक बस ने उन्हें दो घंटे दक्षिण-पश्चिम में ऑरलियन्स के बाहर एक शहर में पहुँचाया।”

सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक से फ्रांस पहुँचे अमर अलामीन ने कहा कि फ्रांस के अधिकारी उन्हें कोई भी टिकट थमा दे रहे हैं और टिकट पर जिस जगह का नाम लिखा है, उन्हें वही बस पकड़नी पड़ती है। वैसे, फ्रांस की सरकार की तरफ से इस बारे में कोई बयान नहीं आया है, लेकिन सरकार का दावा है कि लोग अपनी मर्जी से जा रहे हैं। फ्रांस सरकार पूरे देश में 10 जगहों पर ऐसे शेल्टर होम बना रही है, जहाँ प्रवासियों को रखा जाएगा। फ्रांस की राजधानी के आसपास करीब 1 लाख बेघर लोग रहते हैं, ऐसे में 10 जगहों पर बनाए गए शेल्टर होम पर्याप्त नहीं हैं।

प्रवासियों से डरे हुए हैं लोग

फ्रांस में प्रवासियों को ठिकाने दिए जा रहे हैं, तो स्थानीय लोगों में डर भी बढ़ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें अपने ही देश में असुरक्षा महसूस होती है। एक फ्रांसीसी नागरिक ने कहा, “हम अब फ्रांस में सुरक्षित महसूस नहीं करते। अप्रवासियों के पास घर हैं जबकि हम फ्रांसीसी लोगों के पास घर नहीं है, यह अस्वीकार्य है।” दरअसल, फ्रांस में अभी चुनाव हुए हैं, जिसमें पहले दौर में सत्ताधारी वामपंथी पार्टियों को बुरी हार झेलनी पड़ी थी, लेकिन दूसरे दौर में सभी वापमंथी पार्टियों ने एकजुट होकर दक्षिणपंथी पार्टियों की सीटें कम कर दी हैं। इसके बावजूद मरीन ली पेन की दक्षिणपंथी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनने में कामयाब रही है।

नेशनल रैली के एक समर्थक ने कहा, “हम, फ्रांसीसी लोग, जो कुछ हो रहा है उससे थक चुके हैं। हमारे लिए, वामपंथी, दक्षिणपंथी, हमेशा एक ही बात है। इसलिए हमें नेशनल रैली में शामिल होना पड़ा। व्यक्तिगत रूप से, मैंने नेशनल रैली के लिए मतदान किया क्योंकि हम बदलाव चाहते हैं।”

वामपंथी पार्टियों के गठबंधन से समर्थकों में राहत

न्यू पॉपुलर फ्रंट के एक कट्टर समर्थक ने कहा, “मुझे खुशी है कि वामपंथियों ने जीत हासिल की, क्योंकि मेरे लिए यह वास्तव में सबसे अच्छा निर्णय है। हमने इतिहास में और आज भी यूरोप में इटली के साथ जो देखा है, वह बहुत अच्छा नहीं है। उन्होंने आरएसए (एक्टिव सॉलिडैरिटी इनकम) को हटा दिया है, इसलिए दूर-दराज़ को वापस लाना अच्छा विचार नहीं है।”

बता दें कि इसी माह पेरिस ओलंपिक की शुरुआत हो रही है। पेरिस ओलंपिक की तैयारियाँ लंबे समय से चल रही हैं। ऐसे में फ्रांस की सरकार कोशिश कर रही है कि वो फ्रांस की चमक-दमक को दिखाए, इसीलिए फ्रांस की सड़कों पर रह रहे लोगों को वो हटा रही है, ताकि फ्रांस की असलियत और फ्रांस की समस्याओं को दुनिया से छिपाए रख सके।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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