फ्रांस की एक अदालत (French Court) ने उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें मुस्लिम महिलाओं को स्विमिंग पूल या समुद्र बीच पर बुर्किनी पहनने की इजाजत दी गई थी। यानी अब मुस्लिम महिलाएँ सार्वजनिक पूल में बुर्किनी नहीं पहन सकेंगी। फ्रांस के गृह मंत्री गेराल्ड डारमैनिन अपने ट्विटर हैंडल पर इसकी जानकारी दी है। डारमैनिन ने कहा, “प्रशासनिक अदालत का मानना है कि ग्रेनोबल के मेयर का पूल में बुर्किनी पहनने की अनुमति देने का फैसला धर्मनिरपेक्षता को गंभीर रूप से कमजोर करने वाला है।”
Ma réaction à la décision du tribunal administratif de Grenoble qui suspend la délibération de la mairie de Grenoble sur le « Burkini » : une victoire pour la République, la laïcité et le droit. @le_Parisien https://t.co/rPc92ZiQkQ
— Gérald DARMANIN (@GDarmanin) May 26, 2022
डारमैनिन ने आगे कहा कि ग्रेनोबल के मेयर का बुर्किनी पहनने की छूट देने वाला फैसला 2021 के अलगाववाद कानून पर आधारित था, जो फ्रांस के सेक्युलिरज्म के बिल्कुल उलट था। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान इमैनुल मैक्रों को कड़ी टक्कर देने वाली फ्रांस की दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन का कहना है कि वह स्विमिंग पूल में बुर्किनी पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून लाना चाहती हैं। वहीं फ्रांस में मुस्लिम अधिकारों की रक्षा करने वाले संगठनों ने बुर्किनी के प्रतिबंध को उनके मौलिक अधिकारों का हनन और मुस्लिम महिलाओं के साथ भेदभाव करने वाला बताया है।
दरअसल, ग्रेनोबल शहर के मेयर ने 16 मई को मुस्लिम महिलाओं को पूल में बुर्किनी पहनने की मंजूरी दी थी। उस समय मेयर पियोल ने फ्रांस के रेडियो RMC पर कहा था, “हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि महिलाएँ और पुरुष अपनी मर्जी से कपड़े पहन सकें।” गेराल्ड डारमैनिन ने ग्रेनोबल के मेयर के फैसले को नामंजूर करते हुए इसे भड़काऊ बताया था। उन्होंने कहा था, “ग्रेनोबल शहर के मेयर का बुर्किनी पहनने की छूट देने वाला फैसला सेक्यूलरिजम को कमजोर करने वाला है। कोर्ट ने जो फैसला लिया है वो 2021 में लाए गए अलगाववाद कानून पर आधारित है।” डारमैनिन ने मेयर के फैसले को फ्रांस के सेक्युलिरज्म के उलट बताते हुए इसे कोर्ट में चैलेंज करने को कहा था।”
उल्लेखनीय है कि फ्रांस में बुर्किनी का मुद्दा हमेशा से विवादों में रहा है। यूरोपीय देश फ्रांस में मुस्लिमों की आबादी लगभग 50 लाख है। यूरोपीय यूनियन के किसी देश में इतनी मुस्लिम आबादी नहीं है। फ्रांस में वर्ष 2010 में राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने सार्वजनिक जगहों पर पूरे चेहरे को ढकने पर प्रतिबंध लगा दिया था। उनका मानना था कि हिजाब या बुर्का महिलाओं के साथ अत्याचार है, यहाँ इसे किसी कीमत पर मंजूरी नहीं दी जा सकती। फ्रांस बुर्के पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला यूरोपीय देश बना था।
क्या है अलगाववाद कानून?
इस कानून के तहत सरकार लोकल एडमिनिस्ट्रेशन के फैसलों को चुनौती दे सकती है, क्योंकि फ्रांस में सेक्यूलरिज्म को लेकर बहुत सख्त कानून लागू है। अगर इनके खिलाफ लोकल एडमिनिस्ट्रेशन या राज्य सरकारें कोई नियम बनाती हैं, और केंद्र सरकार इसे कोर्ट में चैलेंज कर देते हैं तो कोर्ट इन नियमों को रद्द कर देते हैं। ग्रेनोबल में बुर्किनी को लेकर मेयर का फैसला इसी कानून के तहत पलटा गया।