Monday, December 23, 2024
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G20 का स्थायी हिस्सा बना अफ्रीकन यूनियन: 55 देशों को मंच देकर PM मोदी ने निभाया ‘सबका साथ’ वाला वादा, तालियों से गूँजा ‘भारत मण्डपम्’

G20 की स्थापना 1999 में विभिन्न वैश्विक आर्थिक संकटों की प्रतिक्रिया के रूप में की गई थी। G20 सदस्य राष्ट्र सामूहिक रूप से दुनिया की जीडीपी का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और वैश्विक आबादी का लगभग दो-तिहाई हिस्सा रखते हैं।

भारत की अध्यक्षता में नई दिल्ली में जारी जी-20 शिखर सम्मेलन नया इतिहास लिख रहा है। इसकी चर्चा विश्व भर में हो रही है और तमाम वैश्विक नेता भारत के विजन एवं क्रियान्वयन की तारीफ कर रहे हैं। इसी कड़ी में भारत की पहल के बाद अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का सदस्य बनाया गया है।

दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में सम्मेलन की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व के राष्ट्राध्यक्षों एवं उनके प्रतिनिधियों का स्वागत किया। इसके बाद मोरक्को में आए 6.8 रिक्टर पैमाने के विनाशकारी भूकंप में मारे गए 630 से अधिक लोगों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि वे इस घड़ी में मोरक्को को जरूरी सहायता उपलब्ध कराएँगे।

अपने संबोधन को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री ने अफ्रीकन यूनियन को G20 का स्थायी सदस्य बनाने का प्रस्ताव रखा। भारत के इस प्रस्ताव का चीन और यूरोपीय यूनियन ने समर्थन किया। अध्यक्ष के रूप में भारत के प्रधानमंत्री ने जैसे ही इस प्रस्ताव को पारित किया, अफ्रीकन यूनियन के हेड अजाली असोमानी जाकर पीएम मोदी के गले लग गए।

इस पीएम मोदी ने कहा, “सबका साथ की भावना को ध्यान में रखते हुए भारत ने प्रस्ताव दिया था कि अफ्रीकी संघ को जी20 की स्थायी सदस्यता दी जानी चाहिए। मेरा मानना है कि हम सभी इस प्रस्ताव पर सहमत हैं। सभी की सहमति से मैं अफ्रीकी संघ के प्रमुख से जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में अपनी सीट ग्रहण करने का अनुरोध करता हूँ।”

ऑर्गेनाइजेशन ऑफ अफ्रीकन यूनियन (OAU) को G20 की सदस्यता मिलने से अफ्रीका के 55 देशों को फायदा होगा। इसे 1963 बनाया गया था। इस संगठन में शामिल 55 देशों का कुल सकल घरेलू उत्पाद सिर्फ 18.81 हजार करोड़ रुपए है। लीबिया के तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी इसके निर्माता थे। सन 2009 तक वो इसके अध्यक्ष रहे।

शुरुआत में इस संस्था का उद्देश्य अफ्रीका के गुलाम देशों को आजादी दिलाना था। बाद में इसे आपसी संवाद के मंच के तौर पर विकसित किया गया। अफ्रीकी देश अपने राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों को लेकर यहाँ चर्चा करते थे। अब जी-20 का सदस्य बनने के बाद उन्हें इसका फायदा मिलेगा।

अफ्रीकी संघ को जी20 में शामिल करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने इस साल जून में सदस्य देशों के नेताओं को पत्र लिखा था। इस पत्र में पीएम मोदी ने नई दिल्ली शिखर सम्मेलन के दौरान अफ्रीकी यूनियन को पूर्ण सदस्यता प्रदान करने का आग्रह किया था।

पीएम मोदी के पत्र लिखने के कुछ सप्ताह बाद प्रस्ताव को शिखर सम्मेलन के लिए आधिकारिक मसौदा विज्ञप्ति में शामिल कर लिया गया। यह समावेश तीसरी जी20 शेरपा बैठक के दौरान हुआ, जो जुलाई में कर्नाटक के हम्पी में बुलाई गई थी।

पिछले कुछ वर्षों में भारत अफ्रीकी देशों का प्रमुख पैरोकार के रूप में उभरा है। इस महीने की शुरुआत में PTI को दिए एक साक्षात्कार में पीएम मोदी ने कहा था कि अफ्रीका भारत के लिए ‘सर्वोच्च प्राथमिकता’ है। उन्होंने कहा था कि भारत वैश्विक मामलों में उन लोगों को शामिल का काम करता है, जिन्हें लगता है कि उनकी आवाज़ नहीं सुनी जा रही है।

G20 की स्थापना 1999 में विभिन्न वैश्विक आर्थिक संकटों की प्रतिक्रिया के रूप में की गई थी। G20 सदस्य राष्ट्र सामूहिक रूप से दुनिया की जीडीपी का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और वैश्विक आबादी का लगभग दो-तिहाई हिस्सा रखते हैं।

G20 में शामिल देश अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ हैं। अब अफ्रीकी यूनियन इसका नया सदस्य है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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