इस्लामी आतंकियों की जड़ तलाशने के क्रम में जर्मनी की एक डॉक्यूमेंट्री खुलासा करती है कि कैसे साल 2015 में हुए पेरिस हमले का मास्टरमाइंड मोहम्मद घनी उस्मान मुंबई अटैक 26/11 से जुड़ा हुआ था। ये उस्मान पाकिस्तानी आतंकी है और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है।
डॉक्यूमेंट्री का शीर्षक- ‘द बिजनेस विद टेरर‘ है। इसमें बताया गया है कि आखिर यूरोप में हुए आतंकी हमलों में फाइनेंसिंग, प्लॉनिंग और कमीशनिंग कहाँ से हुई। डॉक्यूमेंट्री बनाने के साथ निर्माताओं ने जिन बिंदुओं पर काम किया उससे ये निष्कर्ष सामने आया कि जितने भी आतंकी हमले यूरोप, यूनाइटेड स्टेट अमेरिका और पश्चिमी देशों में हुए हैं उन सबका संबंध पाकिस्तान और उसकी इंटेलिजेंस सर्विस ISI से है।
2015 में हुए पेरिस हमले के बाद जब यूरोप में कई आतंकी हमले दर्ज किए गए तो मामले में मास्टरमाइंड मोहम्मद घनी उस्मानी को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में उसने बताया कि उसने सिर्फ पेरिस हमलों की साजिश नहीं रची बल्कि मुंबई के 26/11 हमले में भी उसका हाथ था।
डीडब्ल्यू द्वारा प्रसारित डॉक्यूमेंट्री में लंदन के सुरक्षा विश्लेषक सज्जन गोहेल के हवाले से कहा गया, “यह आदमी लश्कर-ए-तैयबा का एक प्रमुख सदस्य था। ऐसा माना जाता है कि वह 2008 में मुंबई में हुए हमलों की योजना में शामिल था। फिर भी, इसका कुछ भी नहीं किया गया था।”
फ्रांसीसी जाँचकर्ता मानते हैं कि इस्लामी स्टेट जिसने पेरिस हमलों का और ब्रुसेल्स में फिदायीन हमले का जिम्मा लेने का दावा किया था, उन्होंने उस्मान और हदादी को यूरोप में भेजा था। इसके बाद 34 साल के बम बनाने वाले उस्मान को अक्टूबर 2015 में गिरफ्तार किया गया। इसके साथ अल्जीरियाई सहयोगी और संदिग्ध इस्लामिक स्टेट आतंकी एडेल हदादी भी पकड़ा गया। इनकी गिरफ्तारी तब हुई जब वे 200 अन्य शरणार्थियों के साथ लेरोस के ग्रीक द्वीप पर जाली पासपोर्ट लेने के लिए पहुँचे थे।
जाँचकर्ताओं के अनुसार, नाव में दो अन्य व्यक्ति थे जिन्होंने बाद में स्टेड डी फ्रांस स्टेडियम के बाहर खुद को उड़ा लिया। ये विस्फोट यूरोपीय धरती पर सबसे दुस्साहसी हमलों में से एक था। हदादी और उस्मान चूँकि ग्रीक अधिकारियों द्वारा नकली पासपोर्ट मामले में 25 दिनों के लिए गिरफ्तार किए जा चुके थे तो वे हमलों के लिए पेरिस नहीं जा सके। लेकिन बाद में जब उन्हें जाने की अनुमति दी गई, तो उन्होंने मुख्य प्रवासी मार्ग अपनाया और नवंबर के अंत में- पेरिस हमलों के बाद पश्चिमी ऑस्ट्रिया के साल्ज़बर्ग पहुँचे। वहाँ उन्होंने साल्ज़बर्ग में एक शरणार्थी आश्रय में शरण के लिए आवेदन किया।
हालाँकि, दोनों को दिसंबर 2015 में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया जब फिंगरप्रिंट सर्च ने इनके तार उन पासपोर्ट्स से जुड़े दिखाए जिसे इस्लामिक स्टेट ने चोरी किया था। बाद में एक ऑस्ट्रियन कोर्ट के आदेश पर उन्हें फ्रांस स्थानांतरित कर दिया गया।
साजिद मीर: टेरर अटैक में संयोजक के तौर पर काम करने वाला आतंकी
साल 2019 में, राष्ट्रीय जांँच एजेंसी ने मुंबई आतंकी हमलों के सिलसिले में उस्मान से पूछताछ की और बाद में कहा कि उस्मान पाकिस्तान मूल के अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली के संपर्क में था, जिसने 2008 के मुंबई हमले की साजिश रची और संभावित लक्ष्यों की रेकी की।
इसके बाद डॉक्यूमेंट्री में पिछले कुछ आतंकी हमलों की उत्पत्ति के बारे में बताया गया जिन्होंने यूरोप को दहलाया था। फिल्म में खुफिया अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि सज्जाद मीर उन नोडल संपर्कों में से एक था जो पश्चिमी देशों में आतंकवादी हमलों में कॉरडिनेट करते थे।
डॉक्यूमेंट्री में आतंकवादी विरोधी एक पूर्वी फ्रांसीसी जाँचकर्ता न्यायाधीश जीन-लुई ब्रुगुएरे के हवाले से कहा गया “अमेरिका में कुछ संदिग्ध साजिद मीर के होने की पुष्टि करते हैं। साथ ही पश्चिमी लोगों से उसके संबंध और उन्हें इस उद्देश्य से रिक्रूट करना कि वह उन्हें यूरोप और यूएस भेजकर वहाँ लश्कर ए तैयबा के नाम पर हमले करवा सकें, इसकी पुष्टि भी करते हैं।”
मुंबई के पुलिस अधिकारी देवेन भारती, जो नवंबर 2008 में पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा हमला किए गए स्थलों में एक पर सबसे पहले पहुँचने वाले लोगों में से एक थे। उन्होंने बताया कि आतंकियों के मारे जाने के बाद उन्होंने उनके मोबाइल फोन पकड़े थे। वह वेटर बनकर होटल में घुसे थे ताकि आतंकियों को निर्देश देने वाले की पहचान की जा सकें। इस क्रम में उन्हें पता चला कि वह साजिद मीर था जो आतंकियों को ज्यादा से ज्यादा लोगों को मारने के निर्देश दे रहा था।
डेविड कोलमैन हेडली: 26/11 से पहले मुंबई के इलाकों की रेकी करने वाला लश्कर ए तैयबा का आतंकी
डॉक्यूमेंट्री में फोकस अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली पर भी किया जाता है, जो मुंबई आतंकी हमलों में अपनी भूमिका के लिए 35 साल जेल की सजा काट रहा है। अपने करियर की शुरुआत में, हेडली ने डीईए एजेंट के रूप में काम किया, लेकिन पाकिस्तान से हेरोइन की तस्करी के आरोप में पकड़ा गया। बाद में डीईए का मुखबिर बनने की कसम खाने और यूएस में तस्करी को रोकने में डीईए की मदद करने की बात कहकर वह बच गया।
लेकिन, बाद में डेविड हेडली को लश्कर-ए-तैयबा के साथ बढ़ती नजदीकियों के लिए फिर से पकड़ा गया। ये लगभग उसी समय की बात है, जब 9/11 के हमले हुए और अमेरिकी एजेंसियों ने अपना ध्यान अल कायदा और अन्य पश्चिमी-केंद्रित आतंकवादी संगठनों से आतंकवादी हमलों को रोकने पर केंद्रित किया। इस बार सीआईए ने हेडली पर कोई केस न करने के बदले उससे सीधा एक सौदा किया कि वह उसके एक अमेरिकी एजेंट के रूप में पाकिस्तान जाए और लश्कर-ए-तैयबा के बीच पहुँचकर, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने में अमेरिका की मदद करे।
डील के बाद हेडली ने लश्कर-ए-तैयबा के साथ संपर्क स्थापित किया और आगे बढ़ा। इसी बीच, पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) और उसके प्रमुख मेजर इकबाल ने भी उससे संपर्क किया, जो भारत के खिलाफ आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए हेडली की अमेरिकी पहचान का उपयोग करना चाहता था। उसने हेडली को एक सलाहकार की आड़ में मुंबई भेजा और हमलों के लिए संभावित लक्ष्यों की रेकी करने को कहा। ध्यान रहे, ये वह समय था जब हेडली डबल एजेंट के रूप में काम कर रहा है, अमेरिका के सीआईए के लिए और साथ ही पाकिस्तान के आईएसआई के लिए भी।
डेविड हेडली: CIA और ISI का डबल एजेंट
हेडली ने मुंबई में उन स्थानों के बारे में अमूल्य जानकारी प्रदान की जिनका उपयोग बाद में पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा 26 नवंबर, 2008 को भीषण हमलों को अंजाम देने के लिए किया गया। मालूम हो कि हेडली मुंबई में हमले के संभावित लक्ष्यों की रेकी कर रहा था, तब भी ब्रिटिश सीक्रेट सर्विस एमआई6 द्वारा उसकी लगातार निगरानी की जा रही थी। लेकिन बावजूद इसके वह भारत की खूफिया एजेंसियों को उसके और उसके पाकिस्तानी आकाओं द्वारा रची गई संभावित आतंकी साजिश के बारे में सूचित करने में विफल रहे थे।
हमलों के बाद, डेविड कोलमैन हेडली वापस संयुक्त राज्य अमेरिका में गया। डॉक्यूमेंट्री में दिखाया जाता है कि कोलमैन बाद में मुंबई में हुए हमलों को दोहराने के लिए डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में रहा। उसने कोपेनहेगन में स्थानों की रेकी की।
डॉक्यूमेंट्री के निर्माताओं द्वारा लिए गए साक्षात्कार में एक सीआईए अधिकारी ने बताया कि कोलमैन उन हमलावरों में से एक बनने की योजना बना रहा था जो कोपेनहेगन में चयनित स्थानों पर हमला करने की योजना बना रहे थे और मौजूद लोगों पर पर अंधाधुंध गोलियाँ चलाने का प्लॉन बना रहे थे। बिलकुल वैसे जैसा कि पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मुंबई में कई जगहों पर किया था। हालाँकि, इस बार एमआई6, जो हेडली की गतिविधियों पर करीब से नजर रख रहा था,उनको उसकी योजना की जानकारी मिल गई और उन्होंने अमेरिका में अपने समकक्षों को सूचित किया जिसके कारण डेनमार्क की राजधानी पर होने वाले एक हमले को रोकने में मदद हुई
हेडली को बाद में शिकागो से गिरफ्तार किया गया है। डॉक्यूमेंट्री में कहा गया है कि हेडली द्वारा बार-बार पीठ में छुरा घोंपने के बावजूद, अमेरिकी एजेंसियों ने उसके साथ एक सौदा किए रखा। शायद ऐसा इसलिए क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि किसी को पता चले कि 26/11 हमलों में जो व्यक्ति शामिल था उसके उनके साथ संबंध थे।
हेडली के साथ हुए सौदे पर बताया गया कि इसके तहत उसे भारत प्रत्यर्पण से बचाया गया ताकि यहाँ उसे मौत की सजा न मिले और अमेरिकी जेल में रखकर 35 साल की सजा दी गई। बदले में उसे उसका मुँह बंद करके रखने को कहा गया। ये गौरतलब हो कि अमेरिकी खूफिया एजेंसियों ने अब तक भारत के साथ की हेडली की फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन को शेयर नहीं किया है।