Sunday, December 22, 2024
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पाकिस्तान में एक और हिन्दू मंदिर किया गया ध्वस्त: अब इसकी जगह बनेगा शॉपिंग मॉल, पहले भी हो चुका था हमला

1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय यहाँ रहने वाले हिन्दू भारत चले आए थे। इसके बाद मंदिर को बंद कर दिया गया था। बताया गया कि इस मंदिर पर 1992 में कुछ कट्टरपंथियों ने भी हमला किया था और एक हिस्सा तोड़ दिया था।

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा राज्य में एक हिन्दू मंदिर को तोड़ दिया गया। इस मंदिर को तोड़ अब इस जगह पर एक बड़ी इमारत खड़ी की जा रही है। इस मंदिर को गिराने की अनुमति पाकिस्तान की सरकार ने ही दी है। यह मंदिर पिछले लगभग 70 वर्षों से बंद था।

पाकिस्तान की समाचार वेबसाइट डॉन के अनुसार, खैबर पख्तूनख्वा में अफगानिस्तान सीमा पर स्थित लंडी कोटल शहर में यह हिन्दू मंदिर तोड़ा गया है। यह मंदिर लंडी कोटल में बीच बाजार में स्थित था। यह मंदिर 1947 से ही वीरान था।

1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय यहाँ रहने वाले हिन्दू भारत चले आए थे। इसके बाद मंदिर को बंद कर दिया गया था। बताया गया कि इस मंदिर पर 1992 में कुछ कट्टरपंथियों ने भी हमला किया था और एक हिस्सा तोड़ दिया था।

मंदिर की स्थिति दयनीय थी और काफी प्राचीन होने के बाद भी पाकिस्तान की सरकार ने इसके संरक्षण के कदम ना उठा कर इसे गिराने की मंजूरी दे दी। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस मंदिर की जगह एक बड़ी इमारत बनाने को लेकर सरकार ने कोई आपत्ति नहीं जाहिर की।

यहाँ तक कि सरकार ने यह मानने से इनकार कर दिया कि इस जगह पर कोई मंदिर भी था। मंदिर की जगह पर कौन नई इमारत बनवा रहा है, इस बात की भी जानकारी ना सरकारी अधिकारियों ने दी और ना ही इस साईट पर काम करने वाले मजदूरों ने।

राजस्व विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि लंडी कोटल की पूरी बाजार का इलाका सरकार के स्वामित्व वाला है लेकिन इसमें मंदिर का कहीं कोई जिक्र नहीं है। उन्होंने कहा कि इसी कारण से बिल्डर को यहाँ एक बड़ी इमारत बनाने की अनुमति दी गई।

रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर के संरक्षण की जिम्मेदारी औकफ बोर्ड की होती है। हालाँकि, लंडी कोटल खैबर जिले में स्थित है जो कि एक कबीलाई इलाका है और यहाँ बोर्ड का ना ही कोई दफ्तर है और ना ही कोई कर्मचारी है।

लंडी कोटल में तैनात अन्य अधिकारियों ने भी मंदिर तोड़ कर इमारत खड़ी किए जाने को लेकर अनभिज्ञता जताई है और दोष एक दूसरे के मत्थे मढ़ने का प्रयास किया। एक अधिकारी ने जानकारी ना होने की बात कही तो दूसरे ने कहा कि पूरी प्रक्रिया का पालन हुआ है। हालाँकि, मंदिर के तोड़ने के विषय में संतोषजनक जवाब कोई नहीं दे पाया।

डॉन से बात करते हुए पाकिस्तान हिन्दू मैनेजमेंट कमिटी के हारून सरब्दियाल ने कहा कि मंदिर को संरक्षित करने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की थी। उन्होंने बताया कि जिले के कई विभाग इस जिम्मेदारी से बंधे हुए हैं कि वह मंदिर का संरक्षण करें। उन्होंने चिंता जताई कि ऐसे ही चलता रहा तो हिन्दुओं के सभी मंदिर नष्ट हो जाएँगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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