बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे वहाँ के हिंदू समुदाय में असुरक्षा और आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इस हिंसा और अन्याय के खिलाफ बांग्लादेश में हिंदू समुदाय ने सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। वे अपने घरों, मंदिरों और परिवारों पर हो रहे हमलों से परेशान हैं और इस हिंसा के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
हिंदू समुदाय का कहना है कि उनकी धार्मिक पहचान और आजीविका को इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है। इस हिंसा और उत्पीड़न के चलते विरोध प्रदर्शन बढ़ गए हैं, और हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय न्याय और सुरक्षा की माँग कर रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुक्रवार (13 सितंबर 2024) को हिंदू समुदाय के सदस्य सड़कों पर उतरे और बांग्लादेश की राजधानी ढाका के शाहबाग चौराहे पर धरना दिया। इस विरोध प्रदर्शन का आयोजन सनातनी अधिकार आंदोलन और बांग्लादेश हिंदू जागरण मंच जैसे हिंदू संगठनों के सहयोग से किया गया था। विरोधियों ने बांग्लादेश सरकार पर आरोप लगाया कि उसने अल्पसंख्यक समुदाय की चिंताओं को हल करने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए हैं।
धरना लगभग 4:30 बजे शुरू हुआ और इस दौरान उन्होंने यातायात को बाधित कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने आठ मुख्य माँगें रखीं, जिनमें अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कानून बनाना, मुआवजा और पुनर्वास, धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और दुर्गा पूजा के लिए 5 दिन की छुट्टी की माँगें शामिल थीं।
Dhaka Shahbag Blocked By Hindu Organisations For 5 Hours Demanding To The Government To Ensure Their Safety.
— বাংলার ছেলে 🇧🇩 (@iSoumikSaheb) September 13, 2024
They Left Shahbag Just Now After Announcing To Block Shahbag Again In Future If Safety Isnt Ensured #BangladeshCrisis pic.twitter.com/7wSvNcQBoE
इसके साथ ही, चटगाँव शहर के जमाल खान चौराहे पर भी हिंदू संगठनों ने रैली आयोजित की और अपनी माँगों को जोरदार तरीके से उठाया।
Massive protests in Bangladesh by Hindus in #Chattagram demanding minority rights.
— Shining Star (@ShineHamesha) September 14, 2024
The interim govt seems to be deaf.
And western media is downplaying the ordeal.pic.twitter.com/P5csH7ZRiY
आठ प्रमुख माँगें:
- अल्पसंख्यकों पर हमलों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट और ट्रिब्यूनल का गठन।
- सांप्रदायिक हिंसा के शिकार लोगों का मुआवजा और पुनर्वास।
- अल्पसंख्यक सुरक्षा कानून का निर्माण।
- अल्पसंख्यक मामलों के लिए एक मंत्रालय की स्थापना।
- हिंदू धर्म कल्याण ट्रस्ट को हिंदू फाउंडेशन में बदलना।
- बौद्ध और ईसाई धर्म कल्याण ट्रस्टों को भी फाउंडेशन में बदलना।
- संपत्ति के कानून को सख्ती से लागू करना और संपत्ति के संरक्षण के लिए कानून बनाना।
- दुर्गा पूजा के लिए 5 दिन की छुट्टी देना।
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि पिछले 53 वर्षों में किसी भी सरकार ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हुए अत्याचारों को ठीक से नहीं संभाला है। इसके कारण अपराधियों में कानून का कोई डर नहीं है और वे बार-बार इस तरह के हमलों को अंजाम देते रहते हैं। बता दें कि बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद से हिंदू समुदाय पर हमले और बढ़ गए हैं।
कई रिपोर्टों के अनुसार, 5 अगस्त को शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हमलों की संख्या में तेज़ी आई है। इससे हिंदुओं के खिलाफ व्यवस्थित हिंसा और उत्पीड़न की एक नई लहर आई है, जिसे कुछ विश्लेषक “नरसंहार” की संज्ञा दे रहे हैं।
मोहम्मद यूनुस का विवादित बयान
एक तरफ हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं, तो दूसरी तरफ बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने हिंदू समुदाय पर हो रही हिंसा को “बढ़ाचढ़ाकर पेश किया गया” बताया। उन्होंने कहा कि यह हिंसा केवल सांप्रदायिक नहीं बल्कि राजनीतिक थी। उनके अनुसार, “हिंदू विरोधी हिंसा को बड़ा दिखाया जा रहा है और इसे राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।”
बांग्लादेश में हिंदुओं पर होते रहे हैं हमले
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रही हिंसा कोई नई बात नहीं है। पिछले कई दशकों से यह समुदाय लगातार उत्पीड़न और हिंसा का सामना कर रहा है। 5 अगस्त को शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद, यह हिंसा और अधिक बढ़ गई है। हिंदू समुदाय के लोग अब अपनी आवाज़ उठा रहे हैं और सरकार से अपनी सुरक्षा और अधिकारों की माँग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी हिंदू संगठन इस बात पर जोर दे रहे हैं कि यह हिंसा धार्मिक आधार पर की जा रही है और इसे समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
इस पूरे घटनाक्रम की शुरुआत तब हुई जब बांग्लादेश के 49 जिलों में हिंदू समुदाय के घरों, मंदिरों और व्यवसायों पर हमले शुरू हुए। प्रथम आलोक की रिपोर्ट के अनुसार, 5 अगस्त से 20 अगस्त तक हिंदू समुदाय पर कुल 1,068 हमले किए गए। ये वो दिन था, जब शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी थी और उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उसके बाद से हिंदुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं।