बांग्लादेश में हिंदुओं के प्रति नफरत के कारण उन पर और उनके पूजास्थलों पर हमले की घटनाएँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। शुक्रवार (7 अक्टूबर 2022) को इस्लामी कट्टरपंथियों ने एक बार फिर एक काली मंदिर पर हमला कर मूर्तियों को खंडित कर दिया। प्रतिमा के टुकड़े को आधा किलोमीटर दूर फेंक दिया।
बांग्लादेश के झेनैदाह जिले के दौतिया गाँव में एक ब्रिटिशकालीन एक काली मंदिर है। शुक्रवार को कट्टरपंथी मंदिर में घुसे और प्रतिमा के सिर को तोड़ दिया और उसे ले जाकर लगभग आधा किलोमीटर दूर सड़क पर फेंक दिया। इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। उधर, पुलिस का कहना है कि वह मामले की जाँच कर रही है।
मंदिर समिति के अध्यक्ष सुकुमार कुंडा ने बताया कि इस मंदिर में अंग्रेजों के जमाने से पूजा होती आ रही है। इधर कुछ दिनों से मंदिरों पर बढ़े हैं, फिर भी इस मंदिर में कोई सुरक्षा व्यवस्था का उपाय नहीं किया गया था।
कुंडा ने कहा कि सुबह 3-4 बजे के हमलावर मंदिर में घुसे और सुरक्षा व्यवस्था नहीं होने के कारण बिना किसी डर के मूर्तियों को खंडित कर गए। उन्होंने कहा कि इस हमले में किसी व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुँचा है। हमले की सूचना पुलिस को दी गई है।
बांग्लादेश पूजा सेलिब्रेशन काउंसल के जनरल सेक्रेटरी और ढाका यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर चंदनाथ पोद्दार बताया कि बांग्लादेश में 10 दिवसीय दुर्गा पूजा खत्म होने के 24 घंटे के अंदर यह घटना हुई है। झेनैदाह के ASP अमित कुमार बर्मन ने कहा कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जाँच शुरू कर दी गई है। अज्ञात लोगों के खिलाफ तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।
पिछले साल भी दुर्गा पूजा के दौरान चाँदपुर जिले में भीड़ ने हिंदू मंदिर पर हमला कर मूर्तियों को खंडित कर दिया था। इसके साथ ही 3 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हमले के बाद बांग्लादेश हिंदू यूनिटी काउंसिल ने प्रधानमंत्री शेख हसीना से अल्पसंख्यक समुदाय को सुरक्षा उपलब्ध कराने की माँग की थी।
मुस्लिम बहुल बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले की घटनाएँ आम बात हैं। इतना ही नहीं, वहाँ नाबालिग हिंदू लड़कियों के अपहरण और बलात्कार की घटनाएँ भी आती रहती हैं। लगातार प्रताड़ना की वजह से बांग्लादेश में हिंदुओं की संख्या घटती जा रही है। वहाँ की 16.9 करोड़ आबादी में हिंदुओं की संख्या करीब 10 फीसदी है।