राजनीतिक एवं आर्थिक संकट का सामना कर रहे पड़ोसी देश श्रीलंका के लिए भारत सबसे बड़ा मददगार बनकर सामने आया है। हाल ही में सामने आयी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि संकट के समय भारत ने श्रीलंका को सबसे अधिक कर्ज देकर आर्थिक समस्याओं से उबारने का प्रयास किया है।
श्रीलंकाई थिंक टैंक ‘वेराइट रिसर्च’ ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि साल 2022 में भारत ने श्रीलंका को 37.7 करोड़ डॉलर (3002.82 करोड़ रुपए) का कर्ज दिया है। इस दौरान, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) श्रीलंका को 36 करोड़ डॉलर का कर्ज देने दूसरा बड़ा कर्जदाता रहा है। इतना ही नहीं, भारत ने श्रीलंका को 65,000 टन उर्वरक की खेप भी भेजी थी।
भारत और एडीबी, दोनों ने मिलकर इस साल जनवरी से अप्रैल के बीच श्रीलंका को दिए गए कुल कर्ज में 76 प्रतिशत का योगदान दिया है। साल के पहले चार महीनों में श्रीलंका को विभिन्न सरकारों एवं संस्थानों से कुल 96.8 करोड़ डॉलर का कर्ज दिया गया था। बता दें कि 2017 और 2021 के बीच पिछले 5 वर्षों में चीन श्रीलंका का शीर्ष ऋणदाता रहा है। चीन ने 9.47 करोड़ डॉलर का कर्ज दिया था। इसमें से 8.09 मिलियन डॉलर चीन विकास बैंक से बाजार उधार के रूप में।
गौरतलब है, इस साल की शुरुआत से ही श्रीलंका वित्तीय संकट से जूझ रहा था। विदेशी मुद्रा की कमी के चलते वह जरूरी खानपान एवं ईंधन सामग्री भी नहीं खरीद पा रहा था। ऐसे समय में भारत ने पड़ोसी देश होने के नेता उसे ईंधन खरीदने और आर्थिक तंगी से उबारने के लिए कर्ज दिया था।
ज्ञात हो, श्रीलंका में वस्तुओं की कीमत में लगातार बढ़ोतरी होने के कारण आंतरिक अशांति पैदा हो गई थी। इसके बाद व्यापक स्तर पर हुए हिंसक प्रदर्शनों के चलते तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा था। हालाँकि, इसके बाद रानिल विक्रमसिंघे की अगुवाई में मौजूदा सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के साथ 2.9 अरब डॉलर का एक ऋण समझौता किया है। इसके बाद से आर्थिक विश्लेषक श्रीलंका की आर्थिक स्थिति में सुधार के कयास लगा रहे हैं।