भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव का असर चीन पर दिखना शुरू हो गया है। भारत को जिस तरह से हर एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर तगड़ा समर्थन मिल रहा है, वो अप्रत्याशित नहीं है लेकिन चीन को जो झटके लग रहे हैं, वो ज़रूर उसे परेशान करने वाले हैं। चाहे अमेरिका हो या ऑस्ट्रेलिया, या फिर यूएन के अन्य देश ही क्यों न हों, चीन के खिलाफ गोलबंदी में भारत को कैसे सफलता मिली है, ये आपको समझना चाहिए।
यूएन में चीन जिस तरह से घिरा है, उसमें पाकिस्तान में हुए आतंकी हमले ने कैसे रोल प्ले किया, वो भी जानने लायक है। कराची के ‘पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज’ पर हमला किया, जिसमें 11 लोग मारे गए। कहा जा रहा है कि ये हमला ‘बलूच लिबरेशन आर्मी’ द्वारा किया गया था। सोमवार (जून 29, 2020) को हुए इस हमले के बारे में कहा जा रहा है कि आतंकी किसी बड़े ऑपरेशन की तैयारी में थे।
UNSC में घिरा चीन: जर्मनी और अमेरिका ने किया पस्त
संयुक्त राष्ट्र ने इस हमले को ‘घृणित और कायराना’ करार देते हुए इसकी निंदा की। लेकिन, सुरक्षा परिषद के इस बयान को जारी करने में काफी देरी हुई, जिसकी वजह चीन था। दरअसल, इस बयान को चीन ने ही जारी किया था। UNSC के इस ड्राफ्ट प्रेस स्टेटमेंट को चीन ने ही तैयार किया था और इसीलिए जर्मनी व अमेरिका इस पर हस्ताक्षर करने से मना कर रहे थे। पहले जर्मनी ने इस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था, फिर अंत में अमेरिका भी इसमें कूद पड़ा।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस हमले के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया है। स्पष्ट है बयान जारी करने में देरी और यूएस व जर्मनी का इस पर हस्ताक्षर न करना इस बात की गवाही देता है कि सुरक्षा परिषद में भारत के लिए समर्थन मौजूद है जो खुल कर सामने आ रहा है। जर्मनी और अमेरिका शक्तिशाली राष्ट्र हैं, जिनका समर्थन भारत के लिए ख़ासा मायने रखता है।
जिस तरह से भारत ने चीन की कायराना हरकत के कारण वीरगति को प्राप्त हुए 20 जवानों के बदले बहादुरी से चीन के 43 जवानों को मार गिराया, उससे ये सन्देश चला गया है कि भारत अब अपनी एक-एक इंच जमीन के साथ-साथ अपनी सम्प्रभुता और सम्मान के लिए भी गंभीर है। अब कोई इसे गीदड़-भभकी देकर डरा नहीं सकता। दुनिया भर में भारत के इस कड़े रुख का सन्देश गया है कि हम शान्ति के उपासक हैं पर जबरदस्ती झुकाने की कोशिश करने वालों को जवाब देना भी जानते हैं।
अमेरिका पूरी तरह भारत के साथ: चीन के खिलाफ कूटनीतिक कामयाबी
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत रहीं निक्की हेली के बयान से आप इस समीकरण को समझिए। उन्होंने माना कि भारत TikTok का सबसे बड़ा बाजार था और सरकार ने 59 चीनी एप्स को प्रतिबंधित करके एकदम सही क़दम उठाया है। उन्होंने कहा कि भारत लगातार ये दिखा रहा है कि वो चीन की आक्रामकता के आगे झुकने वालों में से नहीं है। लम्बे समय तक यूएन में कार्यरत रहीं निक्की के बयान से आप भारत को मिल रहे समर्थन का अंदाज़ा लगा सकते हैं।
Good to see India ban 59 popular apps owned by Chinese firms, including TikTok, which counts India as one of its largest markets. India is continuing to show it won’t back down from China’s aggression. https://t.co/vf3i3CmS0d
— Nikki Haley (@NikkiHaley) July 1, 2020
अमेरिका ने आधिकारिक रूप से भी भारत के इस क़दम का स्वागत किया है। अमेरिका के स्टेट सेक्रेटरी माइक पोम्पियो ने उन एप्स को चीन की कमूयनिस्ट पार्टी के ख़ुफ़िया तंत्र का एक अंग करार देते हुए भारत के निर्णय का स्वागत किया। इससे पहले उन्होंने यूरोप से अपनी सेनाओं में कटौती कर के उसे चीन के पड़ोसी मुल्कों में तैनात करने की घोषणा की थी। यानी, चीन को घेरने के लिए अमेरिका ने योजना तैयार कर ली है।
एक और बात नोटिस करने लायक है कि गलवान वैली के हमारे बलिदानी जवानों को कई देशों ने श्रद्धांजलि दी और अपनी सान्त्वनाएँ प्रकट की। फ्रांस और जापान तक ने भी उन जवानों के बलिदान पर शोक जताया। मालदीव और जर्मनी ने भी भारत के पक्ष में बयान जारी किया। इससे स्पष्ट हो जाता है कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोलबंदी करने और समर्थन जुटाने में काफ़ी मजबूत हो गया है। निश्चित ही ये बदलाव 2014 के बाद से आना शुरू हुआ।
हॉन्गकॉन्ग में तानाशाही रवैया अपना कर किरकिरी करवा रहा चीन
हॉन्गकॉन्ग में तानाशाह चीन की ज्यादतियाँ किसी से छिपी नहीं हैं। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मोर्रिसन ने हॉन्गकॉन्ग के पीड़ितों को अपने देश में रहने के लिए सुविधाएँ देने का वादा किया है। चीन द्वारा थोपे गए ‘नेशनल सिक्योरिटी लॉ’ के कारण वहाँ से आने वाले नागरिकों को ऑस्ट्रेलिया शरण देगा। ठीक इसी तरह का ऑफर ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन दे चुके हैं। ब्रिटेन ने तो हॉन्गकॉन्ग के 30 लाख लोगों की रेजीडेंसी राइट्स 5 वर्ष के लिए बढ़ा दी है।
इस दौरान वो सभी यूके में रह सकते हैं और काम कर सकते हैं। अब ऑस्ट्रेलिया वहाँ आने वाले हॉन्गकॉन्ग के लोगों को ‘टेम्पररी प्रोटेक्शन वीजा’ देने पर विचार कर रहा है। इससे शरणार्थी वहाँ 3 सालों तक रह सकेंगे। कई देशों ने हॉन्गकॉन्ग के अधिकारों का समर्थन किया है क्योंकि चीन ने अपना क़ानून थोपने के लिए वहाँ की लेजिस्लेटिव काउंसिल को बाईपास कर दिया। ये चीन की सबसे कमजोर कड़ी साबित होने वाला है।
भारत ने अब तक हॉन्गकॉन्ग के विषय पर चुप्पी ही साध रखी थी लेकिन अब चीन द्वारा थोपे गए तानाशाही क़ानून पर कडा रुख अख्तियार कर लिया है। जेनेवा में यूएन मानवाधिकार काउंसिल में कहा कि ‘हॉन्गकॉन्ग स्पेशल एडमिनिस्ट्रेशन रीजन ऑफ़ चाइना’ में चल रहे घटनाक्रम पर भारत की नज़र है क्योंकि वहाँ बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय के लोग रहते हैं। भारत ने कहा कि वहाँ जो भी हो रहा है, उस पर सभी द्वारा जाहिर की जा रही चिंताओं को भारत सुन रहा है।
#Breaking | India has raised the issue of Hong Kong & says it is ‘ keeping a close watch’.
— TIMES NOW (@TimesNow) July 2, 2020
TIMES NOW’s Srinjoy Chowdhury with details. pic.twitter.com/eXqIGq5Rw7
यूएन में भारत के स्थाई प्रतिनिधि राजीव चन्दर ने कहा कि सभी पक्ष इस मुद्दे को उचित रूप से, गम्भीरतापूर्वक और निष्पक्ष तरीके से सुलझाएँगे। दुनिया भर में मानवाधिकार पर हो रही चर्चाओं के बीच भारत ने ऐसा कहा। सबसे ख़ास बात ये है कि पहली बार भारत ने हॉन्गकॉन्ग के मुद्दे को उठाया है। 27 देशों ने चीन द्वारा हॉन्गकॉन्ग पर थोपे गए ‘नेशनल सिक्योरिटी लॉ’ के ख़िलाफ़ बयान दिया और उसे वापस लेने को कहा है।
जहाँ चीन अक्सर पाकिस्तान का साथ देता है और जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर भारत-विरोधी रुख अख्तियार करता रहा है, ऐसे में भारत ने अगर हॉन्गकॉन्ग के बाद तिब्बत में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन और ताइवान में चीन की तानाशाही पर आगे बयान दे दिया तो इसका बहुत बड़ा असर होना तय है। फ़िलहाल भारत की नज़र चीन को आर्थिक रूप से नुकसान पहुँचाने में है, साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी देशों को अपना पक्ष समझाने में।
चीनी कंपनियों को लग रहे झटके पर झटके: नहीं चलेगी चालाकी
चीन दुनिया भर के देशों में अपनी टेलीकम्युनिकेशन कंपनियों के माध्यम से ख़ुफ़िया तंत्र का जाल बिछा रहा है। इसीलिए अमेरिका ने Huawei और ZTE के लिए फंड्स रोकते हुए उसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा करार दिया है। भारत भी इन कंपनियों के खिलाफ कुछ ऐसा ही क़दम उठा सकता है। दोनों कम्पनियाँ अपने ग्राहकों की जासूसी कर के चीन को डेटा शेयर करती हैं और इस तरह चीन दुश्मन देशों पर नज़र रखता है।
अमेरिका की FCC के अध्यक्ष अजीत पाई ने सीधा कहा कि इन कंपनियों का चीन की सेना के साथ सीधा सम्बन्ध है। चीन के नियम-क़ानूनों को मानना इनके लिए बाध्यता है और इसके लिए ये वहाँ की ख़ुफ़िया एजेंसियों की मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि वो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को अमेरिका के कम्युनिकेशन नेटवर्क की कमजोरियों का फायदा उठाने और संचार संरचना को चोट पहुँचाने की अनुमति नहीं दे सकते।
कुल मिला कर देखें तो भारत ने अपने कूटनीतिक रणनीतियों में धार दी है, जिससे पाकिस्तान के खिलाफ भी उसे पूरी दुनिया का समर्थन मिलता है। अब जब चीन ने उलझने की ठानी है, जहाँ उसका मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स सोशल मीडिया पर रोना चालू किए हुए हैं, भारत ने ज़मीन पर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम कर के अपनी रणनीति तैयार की है। चीन घिर चुका है, ट्रेड वॉर ने पहले ही उसकी हालत पस्त कर रखी थी।
भारत में चीनपरस्ती: असली दिक्कत घर के गद्दारों से
भारत के साथ दिक्कत है कि यहाँ देश के अंदर भी चीनी एजेंट भरे पड़े हैं। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी सीपीआई ने तो अपने बयान में चीन द्वारा हमारे 20 सैनिकों को धोखे से मार डालने के बावजूद उसकी निंदा में एक शब्द भी नहीं कहे। भारत की कम्युनिस्ट पार्टियों ने उलटा अमेरिका को दोषी ठहरा दिया और कहा कि उसके हाथों में खेलने से भारत को बचना चाहिए। क्या भारत की सम्प्रभुता से उनका विश्वास उठ चुका है?
इसके बाद आते हैं TikTok के पैरवीकार जो उसके बैन होने के बाद से ही रोना मचाए हुए हैं। कोई कह रहा है कि करोड़ों लोग बेरोजगार हो जाएँगे तो कोई कह रहा है कि पीएम केयर्स में दिए गए उसके 30 करोड़ रुपए लौटा दो। अगर इतने लोग रोजगार में थे तो फिर बेरोजगारी का रोना क्यों रोया जा रहा था? अगर किसी ने रुपए दान दे दिए तो क्या उसे देश में अपनी मनमानी चलाने का हक़ मिल गया?
कॉन्ग्रेस पार्टी ने भी भारत सरकार का साथ देने की बजाए ऐसी घड़ी में भी राजनीति करने की ठानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यक्तिगत आक्षेप डाले। जब मायावती जैसी धुर-विरोधी नेता भी स्थिति की संवेदनशीलता को समझते हुए सरकार के साथ खड़ी हैं, कॉन्ग्रेस ने गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाया। अब देखना ये है कि देश से बाहर चीन को अलग-थलग करने वाला भारत अंदर के गद्दारों से निपटने के लिए क्या करता है।