बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ता ही जा रहा है। हाल ही में दो बड़ी घटनाओं ने ध्यान खींचा। पहली घटना इस्कॉन से जुड़े संतों को भारत आने से रोकने से जुड़ी है, जिसमें 63 साधुओं को भारत आने से रोक लिया गया। दूसरी घटना कोलकाता के एक युवक पर हमले की है, जो बांग्लादेश में सिर्फ अपने दोस्त से मिलने गया था। उसकी भारतीय और हिंदू होने की पहचान की वजह से ढाका में हमला किया गया और 2-3 अस्पतालों में इलाज भी नहीं मिला।
इस्कॉन के साधुओं को भारत आने से रोका गया
इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस) के 63 संतों को बांग्लादेश की बेनापोल सीमा पर रोक दिया गया, जबकि उनके पास वैध पासपोर्ट और वीजा थे। उन्हें “संदिग्ध गतिविधियों” और ऊपर से मिले आदेश का हवाला देकर भारत आने नहीं दिया गया। बांग्लादेशी अधिकारियों ने बताया कि इन संतों के पास सरकार की विशेष अनुमति नहीं थी। इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने कहा कि ये संत धार्मिक यात्रा पर भारत आना चाहते थे, लेकिन अधिकारियों ने इसे “उनकी सुरक्षा के लिए खतरा” बताकर रोका।
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा बढ़ रही है। हाल ही में इस्कॉन से जुड़े दो संतों को भी चटगाँव में गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा, हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और उनके समर्थकों के बैंक खाते फ्रीज किए जाने से तनाव और बढ़ गया है।
भारतीय युवक पर हमला, नहीं मिला इलाज
कोलकाता के सायन घोष ने दावा किया कि ढाका में उन्हें केवल इसलिए पीटा गया क्योंकि वह भारतीय हिंदू हैं। 26 नवंबर की शाम, जब वह अपने दोस्त के साथ बाहर टहल रहे थे, तब 5-6 लोगों ने उन्हें घेरकर उनके धर्म और राष्ट्रीयता पूछी। जैसे ही उन्होंने बताया कि वह भारतीय और हिंदू हैं, उन पर लात-घूँसों से हमला किया गया।
सायन ने बताया कि उनका मोबाइल फोन और बटुआ छीन लिया गया, और सिर व चेहरे पर गंभीर चोटें आईं। उन्होंने पुलिस और स्थानीय अस्पतालों से मदद माँगी, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली। इस घटना के बाद सायन को गहरा सदमा पहुँचा, और उनके दोस्त का परिवार भी दबाव में आ गया।