Monday, February 24, 2025
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PFI के खिलाफ लिखना मानहानि नहीं, केरल हाई कोर्ट ने ऑर्गनाइजर और भारत प्रकाशन के खिलाफ दर्ज केस किया रद्द: कहा- प्रतिबंधित संगठन का कोई कानूनी अस्तित्व नहीं

न्यायालय ने कहा कि 27 सितंबर 2022 को केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसके सहयोगियों या सम्बद्ध संगठनों या मोर्चों जिसमें रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन, नेशनल विमेंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन को गैरकानूनी संघ घोषित किया है।

केरल हाई कोर्ट ने प्रतिबंधित इस्लामी चरमपंथी संगठन ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (PFI) के बारे में अपमानजनक लेख प्रकाशित करने के लिए मीडिया हाउस के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक मानहानि की कार्यवाही को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि PFI भारत में प्रतिबंधित संगठन है और उसके खिलाफ मानहानि का आरोप नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि उसका कोई कानूनी अस्तित्व नहीं है।

मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति पीवी कुन्हीकृष्णन ने कहा कि प्रतिबंधित संगठन मानहानि की शिकायत नहीं कर सकता है। कोर्ट ने कहा, “पीएफआई IPC की धारा 499 में परिभाषित ‘व्यक्ति’ की परिभाषा के अंतर्गत आ सकता है, लेकिन जब उसे केंद्र ने देश में प्रतिबंधित कर दिया है तो ऐसा प्रतिबंधित संगठन IPC की धारा 499 के दायरे में नहीं आएगा, क्योंकि उसका कानूनी अस्तित्व नहीं होता।”

दरअसल, पीएफआई के महासचिव मोहम्मद बशीर ने आरोप लगाया कि भारत प्रकाशन (दिल्ली) लिमिटेड ने उसके खिलाफ अपमानजनक लेख प्रकाशित किया है। आरोप था कि लेख में पीएफआई को प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का नया अवतार, लव जिहाद को बढ़ावा देने वाला जैसे कई आरोप लगाए गए थे।

इसके अलावा, बशीर ने यह भी आरोप लगाया था कि उस लेख में पीएफआई को 2008 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी भर्ती, बैंगलोर सीरियल ब्लास्ट, प्रोफेसर टीजे जोसेफ की हाथ काटने जैसी गंभीर वारदातों में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। बशीर ने भारत प्रकाशन के अलावा, ऑर्गनाइजर के एडिटर, रिपोर्टर के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत मुकदमा दर्ज कराया था।

न्यायालय ने कहा कि 27 सितंबर 2022 को केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसके सहयोगियों या सम्बद्ध संगठनों या मोर्चों जिसमें रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन, नेशनल विमेंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन को गैरकानूनी संघ घोषित किया है।

इसके अलावा, सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति पीवी कुन्हीकृष्णन ने कहा कि लेख में केवल कुछ आरोप लगाए गए हैं जो सार्वजनिक डोमेन में भी उपलब्ध हैं। इस प्रकार न्यायालय ने मानहानि की शिकायत और याचिकाकर्ताओं के खिलाफ सभी कार्यवाही को रद्द कर दिया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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