Monday, December 23, 2024
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क्या है ‘इस्लामिक जिहाद’, जिसके रॉकेट से गाजा के अस्पताल में मरे 500: ‘मुस्लिम ब्रदरहुड’ से निकला है PIJ, हमास की तरह ही इजरायल को नक़्शे से मिटाना है मकसद

PIJ सदस्य हिंसा को मध्य पूर्व के नक्शे से इज़रायल को हटाने का इकलौता तरीका मानते हैं। पीआईजे इज़राइल और फिलिस्तीन के सह-अस्तित्व वाले किसी भी दो-राष्ट्रों वाली व्यवस्था को अस्वीकार करता हैं।

गाजा शहर के अल-अहली अरब अस्पताल में मिसाइल हमले में सैकड़ों लोगों के मारे जाने की सूचना के बाद मंगलवार (17 अक्टूबर, 2023) की रात को इजरायली सेना ने कहा कि ये हमला उसने नहीं किया है। साथ ही अपने दावे के समर्थन में पुख़्ता सबूत इजरायल डिफेंस फोर्स ने अपने एक्स हैंडल पर साझा किए।

इसके लिए इज़रायली रक्षा बलों ने गाजा के फिलिस्तीनी सशस्त्र विद्रोही गुट फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद (PJI) को दोषी ठहराया था। सेना का कहना था कि उनकी तरफ छोड़ा जा रहा रॉकेट मिसफ़ायर होकर अस्पताल पर गिरा था। वहीं गाजा में हमास से जुड़े स्वास्थ्य अधिकारियों ने विस्फोट को इज़रायली हवाई हमला करार दिया था। उन्होंने दावा किया कि देर शाम एक हवाई हमले में गाजा के शहर के इस अस्पताल को निशाना बनाया गया था। इजरायल ने इस हमले के लिए जिस गुट को जिम्मेदार ठहराया है वो क्या है, आपको जानने की ज़रूरत है।

इस्लामी जिहाद (PJI) क्या है?

अमेरिकी विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय मामलों में विशेषज्ञता वाले थिंक टैंक काउंसिल ‘ऑन फॉरेन रिलेशन्स (OFR)’ की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘फ़िलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद‘ (PIJ) एक इस्लामी फ़िलिस्तीनी राष्ट्रवादी संगठन है। ये इज़रायल के अस्तित्व का हिंसक विरोध करता है। अमेरिकी विदेश विभाग की आतंकवाद पर 2006 की रिपोर्ट के मुताबिक, 1997 में PIJ के आतंकवादी संगठन होने का ऐलान किया था।

पीआईजे पूरे फिलिस्तीन में एक इस्लामी शासन लागू करने की अपनी प्रतिबद्धता में इजरायली नागरिकों और सैन्य कर्मियों को निशाना बनाता है। हालाँकि, फतह या हमास के उलट पीआईजे राजनीतिक प्रक्रिया में शिरकत नहीं करता है।

कब वजूद में आया ये संगठन

फिलिस्तीनी इस्लामी जिहाद के संस्थापक फतेही शाकाकी (Fathi Shaqaqi) और अब्द अल-अजीज अवदा (Abd al-Aziz Awda) मिस्र में छात्र थे। ये दोनों 1970 के दशक के आखिर तक मिस्र ‘मुस्लिम ब्रदरहुड’ के सदस्य थे। उन्हें लगा कि ब्रदरहुड बहुत उदारवादी होता जा रहा था और फिलिस्तीनी के फायदों के लिए उसकी प्रतिबद्धता काफी नहीं है। इसके बाद इन दोनों ने ‘फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद’ (पीआईजे) बनाने का फैसला किया।

इसके साथ ही पीआईजे इजराइल के उग्रवादी विनाश और एक संप्रभु फिलिस्तीनी राज्य की पुनर्स्थापना के लिए प्रतिबद्ध एक अलग इकाई के तौर पर उभरा। ये बात गौर करने वाली है कि पीआईजे ने सुन्नी समूह होने के बावजूद 1979 की ईरानी क्रांति के दौरान अपनाए गए क्रांतिकारी, धार्मिक शिया नीतियों से प्रेरणा ली थी, जिसने एक इस्लामी शासन की स्थापना की।

इस इस्लामी जिहादी संगठन की स्थापना 1980 के दशक में गाजा पट्टी में इजरायली कब्जे से लड़ने और गाजा और वेस्ट बैंक में मौजूदगी बनाए रखने के लिए की गई थी। ये गाजा में दूसरा सबसे बड़े सशस्त्र समूह है। अक्सर इस्लामिक जिहाद बड़े आतंकी हमास संगठन के साथ मिलकर ही काम करता है।

हालाँकि, हमास ने 2007 से गाजा को काबू में कर यहाँ अपना शासन जमाया। बीते 35 साल में गाजा में हमास की ही तूती बोलती है। ईरान इन दोनों समूहों को फंडिंग करता है, साथ ही हथियारों की सप्लाई करता है। इज़रायल और ‘संयुक्त राज्य अमेरिका’ (USA) दोनों को आतंकवादी संगठन मानते हैं।

क्या है पीआईजे का मकसद

दरअसल, ‘फ़िलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद’ 1948 से पहले के जनादेश वाले फ़िलिस्तीन की भौगोलिक सीमाओं के साथ एक संप्रभु, इस्लामी फ़िलिस्तीनी राज्य को दोबारा से स्थापित करना चाहता है। पीआईजे हिंसक तरीकों से इज़रयल के विनाश की वकालत करता है।

यही नहीं, ये अरब-इजरायल संघर्ष को क्षेत्रीय विवाद के तौर पर नहीं बल्कि एक वैचारिक युद्ध के तौर पर देखता है। PIJ सदस्य हिंसा को मध्य पूर्व के नक्शे से इज़रायल को हटाने का इकलौता तरीका मानते हैं। पीआईजे इज़राइल और फिलिस्तीन के सह-अस्तित्व वाले किसी भी दो-राष्ट्रों वाली व्यवस्था को अस्वीकार करता हैं।

अन्य फिलिस्तीनी अलगाववादी समूहों के उलट पीआईजे बातचीत करने या राजनयिक प्रक्रिया में शामिल होने से इनकार करता है। यह फिलिस्तीनी प्राधिकरण के भीतर राजनीतिक प्रतिनिधित्व की माँग नहीं करता है। यही वजह है कि पीआईजे पर इजरायली ठिकानों पर कई आतंकवादी हमले कर 1993 के इजरायल और फिलिस्तीन ओस्लो समझौते की कोशिशों में रूकावट डालने की कोशिश करने का भी आरोप है।

ये देश है पीआईजे का स्पॉन्सर

अमेरिकी विदेश विभाग के मुताबिक, ईरान पीआईजे बजट के अधिकांश हिस्से की फंडिंग करता है। वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका ने सीरिया पर इस समूह के लिए “सुरक्षित शरणस्थल” देने और पीआईजे मुख्यालय को दमिश्क में रहने की रजामंदी देने का भी आरोप लगाया है।

पीआईजे हमास से कैसे है अलग

पीआईजे एक तरह से हमास का प्रतिद्वंद्वी उग्रवादी समूह है। ये अक्सर हमास से फ़िलिस्तीनियों के समर्थन के लिए प्रतिस्पर्धा करता रहता है। हालाँकि, पीआईजे कोई सामाजिक सेवाएँ नहीं देता है।

इसके अलावा ये इज़राइल के साथ किसी भी तरह की की राजनयिक बातचीत में शामिल होने का इरादा नहीं रखता है। हमास से बहुत छोटे इस आतंकी संगठन पीआईजे के सदस्य इस्लाम के लिए इसके ऐतिहासिक अहमियत की वजह से इस जमीन को बेहद पाक मानते हैं। यही वजह है कि ये समूह हिंसक तरीकों से इज़राइल का पूरी तरह से खात्मा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।

पीआईजे के कौन हैं नेता

मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए फतेही शाकाकी गाजा से मिस्र चला गया। वहाँ ये मिस्र ‘मुस्लिम ब्रदरहुड’ के साथ सक्रिय हो गए। इसके बाद वो काफी वक्त से पीआईजे के आध्यात्मिक नेता रहे अब्द अल-अज़ीज़ अवदा के साथ साथ चला गया। सीरियाई संरक्षण के तहत दमिश्क में बसने से पहले शाकाकी देश निकाले की वजह से मध्य पूर्व में घूमता रहा था। आखिरकार सीरियाई संरक्षण के तहत वो दमिश्क में बस गया।

शाकाकी 1995 में कथित तौर पर इजरायली एजेंटों के हाथों माल्टा में मारे जाने तक इस संगठन का चीफ बना रहा था। इसके बाद उसकी जगह ब्रिटेन में पढ़े फ़िलिस्तीनी रमज़ान अब्दुल्ला शल्लाह ने ले ली। अब्दुल्ला शल्लाह 1990 से 1995 तक दक्षिण फ्लोरिडा के विश्वविद्यालय में मध्य पूर्वी कोर्स पढ़ाया करता था।

अमेरिका की संघीय जाँच एजेंसी के अधिकारियों ने फ़िलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद के आठ नेताओं को 2003 में 50 आरोपों में दोषी ठहराया गया था। इनमें से केवल एक सामी अल-एरियन को गिरफ्तार किया जा सका था और उस पर मुकदमा चलाया गया था। हालाँकि, अल-एरियन ने आतंकवाद से संबंध रखने से इनकार किया था।

क्या है पीआईजे का इतिहास

शाकाकी और अवदा ने 1970 के दशक के आखिर में ‘मुस्लिम ब्रदरहुड’ से अलग हो गए। इसके बाद 1981 तक मिस्र से पीआईजे को तब-तक चलाते रहे जब-तक कि राष्ट्रपति अनवर सादात की हत्या के बाद मिस्र सरकार ने इस समूह को गाजा निर्वासित नहीं कर दिया।

पीआईजे 1987 तक गाजा में रहा। इसके बाद इस आतंकी समूह को गाजा से लेबनान निर्वासित कर दिया गया। इस दौरान लेबनान में रहते हुए पीआईजे के नेतृत्व ने हिज़्बुल्लाह के साथ रिश्ते बनाए। इसके तहत इस समूह ने ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स से ट्रेनिंग ली।

साल 1989 में शाकाकी ने PIJ का आधिकारिक मुख्यालय सीरिया की राजधानी दमिश्क में स्थानांतरित कर दिया। तब से ये वहीं बना हुआ है। हालाँकि, अमेरिकी विदेश विभाग के मुताबिक, पीआईजे के नेताओं की एक छोटी टुकड़ी अभी भी लेबनान में मौजूद है। दक्षिण लेबनान में लगातार इसकी मौजूदगी में पीआईजे और हिजबुल्लाह 1990 के दशक में संयुक्त हमले करते रहे।

मौजूदा वक्त में फ़िलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद एक छोटा, लेकिन बेहद गोपनीय संगठन है। ये 1000 से कम सदस्यों और सीमित जन-समर्थन के साथ भूमिगत तौर पर संचालित होता है। हालाँकि, 2003 में समूह के आठ सीनियर सदस्यों पर अमेरिकी अभियोग ने इसकी ताकत कम कर दी।

किस तरह के हमले करता है पीआईजे

पीआईजे अक्सर आत्मघाती बम विस्फोट करता है जो नागरिकों और सैन्य कर्मियों को निशाना बनाते हैं। हालाँकि, गाजा के चारों ओर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद होने से इजरायली क्षेत्र के अंदर बार-बार होने वाले हमलों की संख्या कम हो गई है। इस दौरान पीआईजे ने अमेरिकी संपत्तियों या नागरिकों पर कोई सीधा हमला नहीं किया, हालाँकि, कुछ हमलों में अमेरिकी मारे गए। पीआईजे ने धमकी दी है कि अगर अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से यरूशलेम में स्थानांतरित किया गया तो वह अमेरिकी दूतावास पर हमला करेगा।

इस्लामिक जिहाद और हमास के बीच रिश्ता

इजरायली सेना ने मई में कहा कि उसने तीन इस्लामिक जिहाद नेताओं को निशाना बनाया और उन्हें मार डाला, उन्होंने कहा कि वे इजरायल के खिलाफ रॉकेट हमलों और वेस्ट बैंक में इजरायली नागरिकों के खिलाफ अन्य हमलों के लिए जिम्मेदार थे। अतीत में, इस्लामिक जिहाद जिहाद सहित फिलिस्तीनी सशस्त्र समूहों के दागे गए रॉकेट कभी-कभी खराब हो जाते थे और नागरिक इलाकों पर हमला करते थे। हमास और इस्लामिक जिहाद अक्सर इजरायल के खिलाफ एकजुट होते हैं।

वे संयुक्त अभियान में सबसे अहम सदस्य होते हैं। जो गाजा के छोटे से तटीय क्षेत्र में विभिन्न सशस्त्र समूहों के बीच अधिकांश सैन्य गतिविधियों का समन्वय करता है। लेकिन कभी-कभी यह एक तनावपूर्ण रिश्ता भी होता है, खासकर तब जब हमास इज़रायल के खिलाफ हमले या प्रतिशोध को रोकने के लिए इस्लामिक जिहाद पर दबाव डाला है।

इस्लामिक जिहाद अक्सर हमास से स्वतंत्र रूप से कार्य करता है और मुख्य रूप से सैन्य टकराव पर केंद्रित होता है। कुछ अवसरों पर, हमास किनारे पर रहा है क्योंकि इस्लामिक जिहाद का इज़राइल के साथ टकराव हुआ है। अन्य मामलों में, हमास इजरायली सेना से लड़ने में इस्लामिक जिहाद में शामिल हो गया है।

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रचना वर्मा
रचना वर्मा
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