Friday, November 22, 2024
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मोसाद का एजेंट चला रहा था ईरान की खुफिया यूनिट: पूर्व राष्ट्रपति का खुलासा, बताया- 20 अन्य जासूस भी थे इजरायल के मोहरे, इन्होंने ही चुराए न्यूक्लियर दस्तावेज

मोसाद ने उस ईरानी एजेंसी के चीफ को ही अपनी तरफ मोड़ लिया था, जिसका काम इजरायल पर निगरानी का था। इस पूरी टीम के 21 एजेंट इजरायल के लिए ईरान के ही सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स को चुराकर मोसाद को देने लगे थे।

ईरान के पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने सीएनएन-तुर्क को दिए गए एक इंटरव्यू में बड़ा खुलासा किया है। अहमदीनेजाद ने कहा है कि इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने ईरानी सीक्रेट सर्विस में ही घुसपैठ कर ली थी। मोसाद ने उस ईरानी एजेंसी के चीफ को ही अपनी तरफ मोड़ लिया था, जिसका काम इजरायल पर निगरानी का था। उन्होंने कहा, “हमने इजरायल का मुकाबला करने के लिए एक स्पेशल टीम बनाई, लेकिन उसका हेड ही मोसाद का एजेंट निकल गया।”

ईरान के पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद का दावा है कि मोसाद ने ईरान के कई खुफिया अधिकारियों, खासकर सीनियर अधिकारियों को अपनी तरफ कर लिया था। अहमदीनेजाद ने कहा कि करीब 20 ईरानी अधिकारी डबल एजेंट्स की भूमिका में थे, जो एक तरफ ईरान के लिए काम कर रहे थे और दूसरी तरफ इजरायल को सीक्रेट इन्फॉर्मेशन भी दे रहे थे। मोसाद के इस ऑपरेशन का टारगेट ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करना था। उन्होंने बताया कि 2021 में काउंटर यूनिट के प्रमुख की पहचान एक इजरायली जासूस के रूप में हुई थी।

मोसाद ने ईरान में बड़े सीक्रेट ऑपरेशन को दिया था अंजाम

यह पहली बार नहीं है जब इजरायल पर ईरान की जासूसी का आरोप लगा हो। 2018 में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने खुलासा किया था कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े कई दस्तावेज इजरायली एजेंटों द्वारा चुरा लिए गए थे। नेतन्याहू ने एक हाई-प्रोफाइल भाषण में दस्तावेज़ों को दिखाया और दावा किया कि इससे साबित होता है कि ईरान सीक्रेट तरीके से परमाणु हथियारों का कार्यक्रम चला रहा है। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने बाद में पुष्टि की थी कि ये दस्तावेज़ तेहरान में एक सीक्रेट ऑपरेशन के दौरान कब्जे में लिए गए थे।

रिपोर्ट्स के अनुसार, उस ऑपरेशन के दौरान मोसाद एजेंटों ने तेहरान में एक गोदाम में घुसकर कई लॉकरों को तोड़ दिया और 100,000 से अधिक गोपनीय दस्तावेज़ अपने कब्जे में ले लिए। इस ऑपरेशन में दो दर्जन से अधिक एजेंट शामिल थे और यह छह घंटे तक चला था। इन दस्तावेज़ों में ईरान के परमाणु हथियारों के विकास से जुड़ी व्यापक जानकारी थी, जिसने दुनिया भर में ईरान के परमाणु कार्यक्रम की दिशा को लेकर नई बहस छेड़ दी थी।

चोरी गए इन दस्तावेज़ों ने अमेरिका की ईरान पर नीति को काफी हद तक प्रभावित किया था। 2015 में हुए ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका ने 2018 में उस वक्त हाथ खींच लिया था जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को नेतन्याहू ने एक सीक्रेट ब्रीफिंग दी थी। इन दस्तावेजों के खुलासे से यह दावा मजबूत हुआ कि ईरान समझौते की शर्तों का पालन नहीं कर रहा था, जिसका उद्देश्य ईरान की परमाणु आकांक्षाओं को कम करना और उसके बदले प्रतिबंधों को हटाना था।

हिज़बुल्लाह नेता की हत्या के बाद बड़े खुलासे

इजरायल द्वारा लेबनान में हिज़बुल्लाह के मुख्य नेता हसन नसरल्लाह की हत्या के बाद अहमदीनेजाद ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने ये भी कहा है कि ईरान के भीतर एक महत्वपूर्ण काउंटर इजरायल यूनिट में मोसाद का एजेंट शामिल है, जिससे लगातार इजरायल को जानकारी मिल रही है। उन्होंने कहा कि 2018 में ईरानी परमाणु दस्तावेजों की चोरी और ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों की टारगेट किलिंग के लिए जिम्मेदार यही एजेंट थे।

अहमदीनेजाद ने आगे यह भी कहा कि ईरान की मोसाद विरोधी इकाई का प्रमुख 2021 में एक इजरायली जासूस के रूप में सामने आया। उन्होंने आरोप लगाया कि “इजरायल ने ईरान के भीतर जटिल ऑपरेशन किए। उन्हें जानकारी हासिल करना बहुत आसान हो गया था। ईरान में अभी भी इस पर चुप्पी साधी हुई है।” बता दें कि महमूद अहमदीनेजाद साल 2005 से 2013 तक, 2 बार ईरान के राष्ट्रपति रह चुके हैं। उन्होंने इस साल भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए मैदान में उतरने की कोशिश की थी, लेकिन उनका पर्चा ही खारिज हो गया था और वो शुरुआती राउंड में ही बाहर हो गए थे।

बता दें कि 23 सितंबर 2024 से इजरायल ने लेबनान में कई हवाई हमले किए, जिसमें हिज़बुल्लाह के ठिकानों को निशाना बनाया गया। इस बीच, 27 सितंबर 2024 को इजरायली सेना ने बेरूत में एक हवाई हमले के जरिए हिज़बुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह को मार गिराया। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इन हमलों में 960 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 2,770 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं। हमलों में कई हिज़बुल्लाह नेताओं की भी जान गई है।

हिज़बुल्लाह और इजरायल के बीच यह संघर्ष तब से जारी है, जब इजरायल ने गाजा पर हमला शुरू किया था। ये हमला अक्टूबर 2023 में हमास द्वारा सीमा पार करके इजरायल पर किए गए हमले के बाद शुरू हुआ था, जिसमें 1200 से अधिक इजरायलियों की मौत हो गई थी। इसी हमले के बाद इजरायली पलटवार में अकेले गजा पट्टी में ही 41,600 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाएँ और बच्चे शामिल हैं।

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने चिंता जताई है कि लेबनान में इजरायली हमलों से गाजा का संघर्ष एक व्यापक क्षेत्रीय युद्ध में तब्दील हो सकता है। इस प्रकार, महमूद अहमदीनेजाद के बयान ईरान की खुफिया सेवाओं में विदेशी घुसपैठ और उसकी गंभीरता पर ध्यान आकर्षित करते हैं, जो ईरान की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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