ब्रिटेन में जी-7 समिट के दौरान रविवार (13 जून) इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्रागी ने कहा है कि चीन के विस्तारवादी ‘बेल्ट एण्ड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई)’ पर सावधानीपूर्वक पुनर्विचार किया जाएगा। हालाँकि 2019 में इटली ने चीन की इस महत्वाकांक्षी योजना का समर्थन किया था।
🚨 BREAKING. Italian PM Mario Draghi announces that Italy is gonna review the 2019 “The Belt and Road Initiative” deal with China. 🚨
— Antonello Guerrera (@antoguerrera) June 13, 2021
चीन के बारे में बात करते हुए द्रागी ने कहा कि विश्व के बहुपक्षीय नियम-कायदों और लोकतान्त्रिक मूल्यों के विरोध में रहने वाली व्यवस्था निरंकुशता ही कही जाएगी। उन्होंने कहा कि हम आपस में सहयोग तो करना चाहते हैं लेकिन कई चीजों के बारे में हमें स्पष्ट होना पड़ेगा। द्रागी ने यह भी कहा कि भले ही जी-7 की बैठक में चीन की इस योजना में इटली की सहभागिता का मुद्दा न उठाया गया हो लेकिन बीआरआई एग्रीमेंट पर निश्चित तौर पर विचार किया जाएगा। समिट के दौरान जी-7 देशों ने चीन के बेल्ट एण्ड रोड इनीशिएटिव से निपटने के लिए विकासशील देशों की सहायता का वादा किया। मारियो द्रागी के प्रधानमंत्री बनने से पहले इटली चीन की नीति का समर्थक था।
जी-7 देशों के साथ अमेरिका ने चीन के बीआरआई के जवाब में एक नए ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर इनीशिएटिव ‘बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड (B3W) का विचार रखा है। एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया, “यह केवल चीन को घेरने से संबंधित नहीं है लेकिन असल में अभी तक हमने कोई ऐसा विकल्प उपलब्ध ही नहीं कराया जो हमारे साझा मूल्यों, स्टैन्डर्ड और बिजनेस करने के तरीके को दर्शाता हो।“
जी-7 देशों की समिट के दौरान चीन का भी बयान आया। लंदन में चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि वो दिन चले गए जब वैश्विक फैसले देशों के छोटे समूह के द्वारा लिए जाते थे। प्रवक्ता ने यह भी कहा कि विश्व का चाहे छोटा देश हो या बड़ा, अमीर हो या गरीब, सब बराबर हैं और वैश्विक मामलों में फैसले लेते समय सभी देशों की सहभागिता आवश्यक है। जी-7 के देश ब्रिटेन में इकट्ठा हुए हैं जहाँ उनका उद्देश्य है, विश्व को चीन के बढ़ते प्रभाव के बदले एक विकल्प मुहैया कराना।
इटली के अलावा भी कई देश चीन की इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर पुनर्विचार कर रहे हैं या रद्द कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया ने भी कुछ दिनों पहले चीन के साथ बेल्ट एण्ड रोड इनिशिएटिव (BRI) के अंतर्गत किए गए समझौतों को रद्द कर दिया था। ऑस्ट्रेलिया ने कहा था कि चीन के साथ किए गए ये समझौते उसकी विदेश नीति के हित में नहीं हैं। वैसा ही रुख ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप में स्थित समोआ ने दिखाया था। मात्र 2,831 वर्ग किमी में फैले और लगभग 2,00,000 की जनसंख्या वाले समोआ ने भी 100 मिलियन डॉलर (लगभग 729 करोड़ रुपए) का चीन का पोर्ट प्रोजेक्ट रद्द कर दिया था।
चीन की बेल्ट एण्ड रोड इनीशिएटिव :
2013 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के द्वारा अस्तित्व में लाई गई बेल्ट एण्ड रोड इनिशिएटिव अथवा वन बेल्ट-वन रोड चीन की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। इस परियोजना के माध्यम से चीन अपने देश को एशिया, अफ्रीका और यूरोप के कई देशों से रोड और रेलवे लाइन के माध्यम से जोड़ना चाहता है। उसकी यह परियोजना प्राचीन सिल्क रूट का ही आधुनिक संस्करण है। हालाँकि चीन इसे व्यापार सुगमता और वैश्विक व्यापार के अवसरों की वृद्धि की एक पहल के रूप में प्रचारित करता है, किन्तु भारत समेत कई देश इसे चीन की एक गहरी साजिश बताते हैं। एक ऐसी साजिश जिसके तहत चीन अल्पविकसित और विकासशील देशों में विकास के नाम पर उन्हें भारी कर्ज में लाद देता है।