भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मॉस्को में मुलाकात की है। इस दौरान दोनों के बीच कई मुद्दों पर चर्चा हुई। विदेश मंत्री जयशंकर इस समय रूस के पाँच दिवसीय दौरे पर हैं, यहाँ उन्होंने अपनी यात्रा के तीसरे दिन राष्ट्रपति पुतिन के साथ मुलाकात की।
Honoured to call on President Vladimir Putin this evening. Conveyed the warm greetings of PM @narendramodi and handed over a personal message.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) December 27, 2023
Apprised President Putin of my discussions with Ministers Manturov and Lavrov. Appreciated his guidance on the further developments of… pic.twitter.com/iuC944fYHq
राष्ट्रपति पुतिन की विदेश मंत्री जयशंकर से यह मुलाक़ात कई मायनों में विशिष्ट रही और भारत रूस की दोस्ती को दर्शाने वाली रही। सामान्यतः राष्ट्रपति पुतिन किसी भी देश के विदेश मंत्री से नहीं मिलते हैं। विदेश मंत्रियों से मुलाकात का जिम्मा रूस के विदेश मंत्री सर्जेई लावरोव के जिम्मे है।
हालाँकि, भारत से नजदीकियों के चलते यह प्रोटोकॉल दरकिनार किया गया और वह विदेश मंत्री जयशंकर उनसे मिले। इस दौरान उनकी और राष्ट्रपति पुतिन की बातचीत के दौरान बैठने के इंतजाम की तस्वीरें भी वायरल हुईं और इनके अलग-अलग अर्थ निकाले गए।
दरअसल, जब विदेश मंत्री जयशंकर और राष्ट्रपति पुतिन मिले तो वह बातचीत की मेज पर आमने सामने बैठे थे। साधारणतः, राष्ट्रपति पुतिन की अन्य वैश्विक नेताओं से मुलाक़ात में वह उन्हें एक मेज के दूसरे सिरे पर बैठाते हैं, जो कि काफी दूर होता है। इसको लेकर कई बार सोशल मीडिया पर बहस भी छिड़ चुकी है।
उनकी फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के साथ भी ऐसी ही तस्वीर सामने आ चुकी है जिसमें वह मेज के एक सिरे और राष्ट्रपति मैक्रों दूसरे सिरे पर बैठे हैं। ईरान के राष्ट्रपति और जर्मनी के चांसलर के साथ भी उनकी ऐसी ही तस्वीरें देखने को मिली थी।
राष्ट्रपति पुतिन और विदेश मंत्री जयशंकर के बीच भारत-रूस रिश्तों को लेकर कई मुद्दों पर बातचीत हुई। विदेश मंत्री जयशंकर ने प्रधानमंत्री मोदी का भारत रूस के रिश्तों की गहराई को दिखाते हुए लिखा गया एक पत्र भी राष्ट्रपति पुतिन से साझा किया।
#WATCH | External Affairs Minister Dr S Jaishankar says, "First of all, please allow me to convey the personal greetings of Prime Minister Modi…I would also, extensive like to take the opportunity to share with you, aspects of the progress that we have made and in the last two… pic.twitter.com/R5jNOe1CVM
— ANI (@ANI) December 27, 2023
इस दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने राष्ट्रपति पुतिन को बताया कि दोंनों देशों के बीच का व्यापार अब 50 बिलियन डॉलर (लगभग ₹45,000 करोड़) पार कर चुका है और यह केवल शुरुआत है। इस दौरान विदेश मंत्री ने रूस के साथ कुडनकुलम परमाणु संयंत्र को लेकर रूस के साथ हुए समझौते का जिक्र भी किया।
वहीं राष्ट्रपति पुतिन ने भारत और रूस के रिश्तों में बढ़त को लेकर ख़ुशी जताई। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा भी की कि वह इन कठिन समय में लगातार बिना किसी दबाव में आए काम कर रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को पुराना दोस्त बताते हुए रूस आने का न्योता भी दिया। उन्होंने कहा- “मुझे अपने दोस्त प्राइम मिनिस्टर मोदी को रूस में देख बहुत खुशी होगी” विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी खुद भी 2024 में रूस आना चाहते हैं।
#WATCH | Moscow: Russian President Vladimir Putin says, "Despite all the turmoil happening worldwide, the relationship with our true friends in Asia-India has been progressing incrementally…Regarding the situation in Ukraine, many times I advised him of how things have been… pic.twitter.com/5z2RBf8Ogz
— ANI (@ANI) December 27, 2023
राष्ट्रपति पुतिन से मिलने से पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने रूस के विदेश मंत्री सर्जेई लावरोव के साथ बैठक की और एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की। लावरोव ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया और भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान आए निर्णयों पर प्रसन्नता जताई। विदेश मंत्री जयशंकर ने रूस को अच्छे और बुरे समय में साथ देने वाला दोस्त बताया।
A wide ranging and useful meeting with FM Sergey Lavrov of Russia.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) December 27, 2023
As strategic partners, discussed the international situation and contemporary issues. Exchanged views on Indo-Pacific, the Ukraine conflict, the Gaza situation , Afghanistan and Central Asia, BRICS, SCO, G20 and… pic.twitter.com/Uk9VTbZm5y
गौरतलब है कि भारत और रूस के रिश्ते बीते कुछ वर्षों में और भी मजबूत हुए हैं। यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे संघर्ष के चलते पश्चिमी देशों ने रूस का बायकाट कर रखा है। हालाँकि, भारत ने इस युद्ध को लेकर एक बार भी रूस की खुल कर आलोचना नहीं की है। भारत ने युद्ध के बाद से पश्चिमी देशों और अमेरिका के दबाव के बाद भी रूस से लगातार कच्चा तेल खरीदना भी जारी रखा है। भारत ने इस नीति को ‘सामरिक स्वायतत्ता’ का नाम दिया है।