दक्षिण कोरिया में कोरोना वायरस के ख़तरे के लिए एक चर्च को दोष दिया जा रहा है। एक ‘कल्ट’ चर्च, जो दक्षिण कोरियाई लोगों के गुस्से का शिकार बना है। अब तक दक्षिण कोरिया में कोरोना वायरस के लगभग 7500 मामले सामने आ चुके हैं और यहाँ के लोगों में भगदड़ मची हुई है। अधिकांश मरीजों का किसी न किसी रूप में ‘शिनचेओंजी चर्च ऑफ जीसस’ से कनेक्शन निकल कर सामने आ रहा है। दक्षिण कोरिया के दक्षिण-पूर्वी शहर दाएगू में 25 लाख लोग रहते हैं। आशंका जताई गई है कि शिनचेओंजी चर्च के पादरी समूह के एक 61 वर्षीय व्यक्ति ने प्रेयर के दौरान बाकी लोगों को भी संक्रमित कर दिया। उसे ‘पैशेंट नंबर- 31’ का नाम दिया गया है।
कोरिया के स्वास्थ्य विभाग ने इस बात की पुष्टि की है कि अब तक देश में आए कोरोना वायरस के कुल मामलों का 63.5% शिनचेओंजी से जुड़ा हुआ है। यहाँ 15 अप्रैल को संसदीय चुनाव भी होने वाले हैं और राष्ट्रपति मून जे इन ने कोरोना वायरस के खतरों को हलके में लेते हुए बयान दिया था कि ये जल्द ही गायब हो जाएगा। दक्षिण कोरिया में लोगों का गुस्स्सा स्वाभाविक है क्योंकि चीन के बाद कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मरीज इसी देश में हैं। शिनचेओंजी की कुछ रीतियाँ भी इन सबके लिए जिम्मेदार बताई जा रही हैं।
ये चर्च ‘सीक्रेसी’ के नियमों का पालन करता है। इसने फेस मास्क पर बैन लगा दिया था जबकि मास्क लगाने की सलाह डॉक्टरों ने दी है ताकि कोरोना वायरस के बचाव के लिए सावधानी अपनाई जा सके। इसके अलावा इस चर्च में एक जगह सबके साथ रह कर प्रेयर करने का रिवाज रहा है, जिसके लिए लोग इसकी आलोचना कर रहे हैं। कोरोना वायरस के फ़ैलाने के आलोक में दुनिया भर के विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि ‘सोशल डिस्टन्सिंग’ का पालन किया जाए और लोग किसी भी गैदरिंग का हिस्सा न बनें।
चर्च के संस्थापक ली मैन ही को लोग दक्षिण कोरिया के एक महान राजा का वंशज मानते हैं, जिसने सैकड़ों वर्ष पहले राज किया था। बाइबल के सीक्रेट कोड्स को वही समझ और समझा सकते हैं, ऐसा लोगों का मानना है। 88 वर्षीय ली पर आरोप है कि वो और चर्च के सैकड़ों लोग स्वास्थ्य विभाग की जद से भागते रहे, जिस कारण कोरोना वायरस काफ़ी तेज़ी से फैला। आरोप है कि चर्च के अधिकतर संक्रमित लोग छिप गए और उनसे कोई संपर्क नहीं हो पाया। ली पर हत्या का मुकदमा चल सकता है क्योंकि आरोप है कि सबकुछ जानबूझ कर किया गया।
These tactics have resulted in the recruitment of atheists, agnostics and christians, which is why the cult has shown explosive growth in the last decade. pic.twitter.com/f5R5ZbqvhH
— Sam (@Spainkiller) February 24, 2020
चर्च ने अपने सदस्यों की सूची भी सरकार द्वारा माँगने पर नहीं सौंपी। ली ने मास्क पहन कर एक सभा को सम्बोधित किया, जिसमें उन्होंने बताया कि चर्च से इतने सारे मरीजों के जुड़े होने की ख़बर सुन कर वो दुःखी हैं। पहले उन्होंने दावा किया था कि कोरोना वायरस उस दुष्ट शक्तियों द्वारा लाया गया है, जो शिनचेओंजी के तेज़ी से होते विकास से जलन में डूबा हुआ था। अब उन्होंने माफी माँगी है लेकिन जानबूझ कर सरकार का सहयोग न करने वाले आरोपों से इनकार किया है। वो कहते रहे हैं कि उनका चर्च कोई त्रादितुईवाल चर्च नहीं है और बाकी चर्चों के दबाव के बावजूद ‘शिनचेओंजी समूह’ लगातार बढ़ता ही जा रहा है।
चर्च ने भी अब आलोचना से बचने और जवाब देने के लिए ‘COVID-19 फैक्ट चेकर‘ नाम से पेज बनाया है, जहाँ दावा किया गया है कि चर्च इस वायरस को लेकर गंभीर है और 5 मार्च को उसने इससे लड़ने के लिए 1 करोड़ डॉलर की सहायता भी की है। चर्च ने बताया कि ये रुपए जमा नहीं किए गए बल्कि चर्च के कोष की तरफ़ से दिए गए। उसने आरोप लगाया है कि चर्च के कुछ सदस्यों को उनके कंपनियों ने निकाल दिया, कुछ को उनकी पत्नियों ने गालियाँ दी।
इन्हीं कारणों से ‘पेशेंट संख्या- 31’ को कोरोना वायरस का ‘सुपरस्प्रेडर’ कहा जा रहा है। मिस्टर ली बाइबिल को अपनी भाषा में समझाते हैं और चर्च के अनुयायियों से कहा गया था कि उन्हें किसी भी बीमारी से डरने की ज़रूरत नहीं है और इसीलिए मास्क वगैरह जैसे विशेषज्ञों की अन्य सलाहों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। कुछ लोग तो ये भी मानते हैं कि कहीं चर्च ने इस वायरस को जानबूझ कर तो नहीं फैलाया, ताकि ‘क़यामत’ सम्बन्धी बातों को सच साबित किया जा सके।
2019 में इस चर्च के अनुयायियों की संख्या काफ़ी तेज़ी से बढ़ी थी। कई अन्य देशों में भी इस चर्च ने अपनी शाखाएँ खोल रखी हैं। उनका वुहान में भी एक ब्रांच है, जहाँ से ये वायरस पूरी दुनिया में फैला। कहा जा रहा है कि इस चर्च के लोग दो बार पहले भी ऐसी बीमारियाँ फैलाने का प्रयास कर चुके हैं। पिछले कुछ दिनों में इसके लोग काफ़ी यात्राएँ कर रहे थे। कुछ लोग तो यहाँ तक कहते हैं कि इस चर्च का ईसाइयत से कोई लेना-देना है ही नहीं और जीसस क्राइस्ट के नाम पर ली मैन ही अपने विचारों को फैला रहे हैं और थोप रहे हैं। उनका तो यहाँ तक दावा है कि वो अमर हैं।
“The founder, Lee Man-hee, 88, who has promised its 240,000 members entry to the ‘new heaven and new earth,’ is now the potential subject of a prosecutor investigation into possible murder charges.” https://t.co/GSgqjFrKzx
— SAM KESTENBAUM (@skestenbaum) March 10, 2020
ली मैन ही बताते हैं कि उन्हें सीधा जीसस द्वारा भेजा गया है और बाइबिल को सही से वही समझा सकते हैं। हालाँकि, ईसाईयों का अन्य समूह उनकी इस बात को पूरी तरह नकार देता है। दक्षिण कोरिया में हॉस्पिटलों में जगह नहीं बची है और कई मरीजों को ही वापस भेज दिया गया, जिससे घर में ही उनकी मौत हो गई। ऐसे में एक चर्च की उलटी-सीधी हरकतों और अजीबोगरीब विचारों के कारण जो खतरा और बढ़ गया है, उससे लोग गुस्से में हैं। इस चर्च के लाखों सदस्य हैं और कई तो सार्वजनिक रूप से ऐसा जाहिर ही नहीं करते लेकिन प्राइवेट में चर्च के अनुयायी के रूप में काम करते हैं। इसे ही शायद इनलोगों ने ‘सेक्रेसी’ कहा है।
लोग विरोध कर रहे हैं। वो कह रहे हैं कि शिनचेओंजी चर्च को बंद किया जाए और इसके सभी सदस्यों की जाँच की जाए। चर्च के संस्थापक ने अपने सभी अनुयायियों को एक पत्र लिख कर कहा है कि उनका विश्वास नहीं डिगना चाहिए, वो सभी ठीक हो जाएँगे। फ़िलहाल इस अन्धविश्वास से खतरा दक्षिण कोरिया में कई गुना बढ़ गया है, जिसे अगर ये चर्च चाहता तो रोक सकता था लेकिन उसने सरकार का सहयोग नहीं किया।
सबसे खतरनाक बात तो ये है कि ली मैन ही एक नई दुनिया बनाने की बात करते हैं, एक नए स्वर्ग की बात करते हैं। उस ‘नई पृथ्वी’ और ‘नए स्वर्ग’ में केवल उनके अनुयायी ही जाएँगे, ऐसा उनका वादा है। ऐसे में ये सवाल भी जायज है कि क्या ये चर्च सचमुच जीसस के नाम पर जनता के बीच डर फैलाने के लिए बीमारियों का सहारा ले रहा है, ताकि ‘क़यामत’ का डर दिखा कर लोगों को अपना अनुयाई बना सके। सवाल तो ये भी है कि कहीं ‘दूसरी दुनिया’ में जाकर जान बचाने की लालच को बढ़ावा देने के लिए तो कहीं ऐसा नहीं किया जा रहा?