कोरोना के कहर से मलेशिया भी अछूता नहीं रहा है। मलेशिया में रविवार (मार्च 15, 2020) को 190 नए संक्रमित मामले सामने आए हैं। इनमें सबसे अधिक संक्रमण तब्लीगी इज्तेमा से जुड़े हुए समुदाय में हुआ। यह मस्जिद में एक इस्लामिक कार्यक्रम था, जिसमें कई देशों के 16,000 से अधिक लोग शामिल हुए थे। बता दें कि इज्तेमा इस समुदाय की एक धर्मसभा है, जो तब्लीगी जमात का एक अनिवार्य हिस्सा है। अक्सर समुदाय की ताकत दिखाने के लिए इस तरह का 3 दिन का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।
जानकारी के मुताबिक मस्जिद से आने के बाद 243 लोगों को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया। इसमें से 9 लोगों को गंभीर रूप से बीमार माना जा रहा है। उन्हें निगरानी में रखा गया है। मलेशिया के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि इस्लामिक इवेंट में शामिल होने वाले सभी प्रतिभागियों और उनके करीबियों को 14 दिनों के लिए अनिवार्य रूप से आइसोलेसन वार्ड में रखा जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मलेशिया में कुल 428 संक्रमित मामले सामने आ चुके हैं। मलेशियाई स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि 27 फरवरी से 1 मार्च के बीच कुआलालंपुर की एक मस्जिद में आयोजित धार्मिक सभा में लगभग 16,000 लोग शामिल हुए। प्रतिभागियों में से लगभग 14,500 लोग मलेशियाई हैं।
तब्लीग समूह ने कुआलालंपुर के बाहरी इलाके में मस्जिद जमीक श्री पेटालिंग में एक विशाल सभा आयोजित की गई थी, जिसमें हजारों लोग शामिल थे। इसकी वजह से घातक कोरोना वायरस का काफी प्रसार हुआ। प्रधान मंत्री मुहीदीन यासिन ने शुक्रवार को कहा कि देश संक्रमणों की ‘सेकेंड वेब’ का सामना कर रहा था। इसके साथ ही उन्होंने आर्थिक विकास पर इसके प्रभाव की चेतावनी भी दी।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को कहा कि पड़ोसी ब्रुनेई में कुल 50 मामलों में से 45 धार्मिक सभा से जुड़े हुए थे। सिंगापुर ने भी इस कार्यक्रम से जुड़े कुछ संक्रमण मामलों की पुष्टि की। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि ब्रूनियन और विदेशी निवासियों को कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण देश छोड़ने पर रोक है।
बता दें कि घातक कोरोना वायरस की वजह से अब तक 6,000 से अधिक लोगों की जानें जा चुकी है और दुनिया भर में अब तक इसके संक्रमण के 1,59,0000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। कोरोना वायरस बीमारी (COVID-19) का प्रकोप सबसे पहले चीन के वुहान से 31 दिसंबर 2019 को हुआ था।