जनवरी 2024 की शुरुआत में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लक्षद्वीप पहुँचे थे और वहाँ की सुंदरता दिखाते हुए उन्होंने पर्यटन के पटल पर उस क्षेत्र को ला दिया, तब मालदीव भड़क गया था। वहाँ के 3 मंत्रियों ने पीएम मोदी के खिलाफ टिप्पणी की, जिसके बाद उन्हें पद से हाथ धोना पड़ा। इसके बाद मालदीव में भारतीय पर्यटकों की आमद में भारी कमी आई। अब सामने आया है कि मालदीव में सेना का विमान उड़ाने के लिए पायलटों की भी कमी है। उन्हें फ्लाइट उड़ाने के लिए कोई मिल ही नहीं रहा है।
बड़ी बात ये है कि ये एयरक्राफ्ट भारत ने ही मालदीव को दान में दिया है। भारत ने 3 एयरक्राफ्ट मालदीव को डोनेट किया था, जिन्हें उड़ाने के लिए अब पायलट ही नहीं हैं। ये बात किसी मीडिया रिपोर्ट ने नहीं, बल्कि खुद मालदीव के रक्षा मंत्री घासन मौमून ने बताई है। इसका कारण ये है कि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु ने वहाँ तैनात भारतीय सेना के 76 जवानों को मुल्क छोड़ने का आदेश दे दिया। भारत के प्रति अपने रूखे रवैये के प्रदर्शन के क्रम में उन्होंने ये आदेश दिया था।
इसके बाद भारत ने भी उन जवानों को वापस बुला लिया। अब मालदीव ने उनकी जगह नागरिक पुलिस को तैनात कर दिया है। मालदीव के रक्षा मंत्री घासन मौमून ने शनिवार (11 मई, 2024) को वहाँ के राष्ट्रपति दफ्तर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए ये जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ‘मालदीवियन नेशनल डिफेंस फोर्स (MNDF)’ में ऐसा कोई जवान नहीं है, जो भारत द्वारा डोनेट किए गए 2 हेलीकॉप्टरों और 1 डोर्नियर विमान को उड़ाने में सक्षम हो।
इन एयरक्राफ्ट्स को उड़ाने के लिए कई चरणों का प्रशिक्षण होता है, जिसे मालदीव में किसी पायलट ने पूरा नहीं किया है। ऐसे में किसी के पास भी इन तीनों एयरक्राफ्ट्स को उड़ाने का लाइसेंस नहीं है। बता दें कि मोहम्मद मुइज्जु के शासनकाल में मालदीव का झुकाव चीन की तरफ ज्यादा है। जिन जवानों को मालदीव ने वापस भारत भेजा है, उनमें अधिकतर पायलट, तकनीकी विशेषज्ञ और क्रू के लोग थे। हालाँकि, मालदीव का कहना है कि सेनाहिया मिलिट्री हॉस्पिटल से भारतीय डॉक्टरों को हटाने का कोई इरादा नहीं है।