विपक्षी दलों के ‘आजादी मार्च’ से डरे पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने रविवार (नवंबर 3, 2019) को जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (JUI-F) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। मौलाना पर प्रधानमंत्री, सरकारी संस्थानों के खिलाफ लोगों को भड़काने के लिए यह मामला दर्ज किया गया। शिकायत में कहा गया कि मौलाना और उनके समर्थक अशांति फैलाने और देशद्रोह के दोषी हैं। इसलिए उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू की जाए।
इस्लामाबाद में इस वक्त आजादी मार्च के हजारों प्रदर्शनकारी 31 अक्टूबर से जमे हुए हैं। मौलाना फजलुर रहमान जहाँ पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान के इस्तीफे, देश में नया चुनाव और एनआरओ (नेशनल रेकन्सिलिएशन आर्डिनेंस) पर अड़े हैं, वहीं सरकार ने इन माँगों को खारिज कर दिया है। इमरान खान ने कहा है कि उनकी इस्तीफा देने की कोई योजना नहीं है।
बता दें कि मौलाना फजलुर रहमान ने प्रधानमंत्री इमरान खान को इस्तीफा देने के लिए रविवार (नवंबर 3, 2019) तक की मोहलत दी थी। इस्तीफे के लिए दी गई समय सीमा रविवार रात समाप्त हो जाने के बाद मौलाना फजलुर रहमान ने पूरे देश में बंद की धमकी दी है। उन्होंने इस्लामाबाद में एक प्रदर्शन रैली को संबोधित करते हुए कहा कि मकसद पूरा होने तक प्रदर्शन जारी रहेगा। रहमान ने कहा कि लोगों की भीड़ इमरान को सत्ता से बेदखल करने तक बनी रहेगी।
मौलाना ने गरजते हुए कहा, “यह साफ है कि शासन करने वालों को जाना होगा और लोगों को निष्पक्ष चुनाव के जरिए नया शासक चुनने का मौका देना होगा। यह स्पष्ट है कि इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं है। अभी इस्लामाबाद बंद है, फिर हम पूरा पाकिस्तान बंद करेंगे। हम रुकेंगे नहीं और अपनी लड़ाई को जारी रखेंगे।” उन्होंने कहा कि वह सोमवार (नवंबर 4, 2019) को विपक्ष के अन्य नेताओं से मुलाकात की योजना बना रहे हैं ताकि आगे के कदम के बारे में सर्वसम्मति से फैसला किया जा सके।
आजादी मार्च की भयावहता देखते हुए ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रशासन से 5,000 अतिरिक्त पुलिस बल की माँग की गई है। वहीं, इस्लामाबाद में तैनाती के लिए 3,000 अतिरक्त पुलिस बल भेज दिए गए हैं। सरकार की पूरी कोशिश ये है कि प्रदर्शन स्थल से मौलाना और उसके अनुयायियों को आगे न बढ़ने दिया जाए, लेकिन मौलाना ने इमरान ख़ान द्वारा इस्तीफा न देने की सूरत में मार्च को आगे बढ़ाने का फ़ैसला लिया है।
साथ ही मौलाना ने क़ानून-व्यवस्था की बात करते हुए कहा कि पिछले 15 महीनों से चल रहे प्रदर्शन के दौरान भी संयम बरता गया, यह दिखाता है कि प्रदर्शनकारी क़ानून-व्यवस्था को लेकर कितने सजग हैं। वहीं मौलाना ने यह आरोप भी लगाया कि इमरान ख़ान की सरकार ने 1 साल में जितना क़र्ज़ लिया, उतना पिछले 70 साल की सभी सरकारों ने मिल कर भी नहीं लिया।