नेपाल में तैनात चीन के राजदूत चेन सॉन्ग ने नेपाल के वरिष्ठ पत्रकार गजेंद्र बुधथोकी को धमकाने का प्रयास किया, लेकिन उसे मुँह की खानी पड़ी। दरअसल, वरिष्ठ पत्रकार गजेंद्र बुधथोकी ने पोखरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को बनाने के लिए चीन से मिले कर्ज को लेकर बड़ा दावा किया था, लेकिन चीनी राजदूत चेन सॉन्ग उनसे एक्स पर ही उलझ गए। उन्होंने पत्रकार के दावे को गलत बताते हुए माफी की माँग की थी, लेकिन पत्रकार ने कहा कि उनके पास आधिकारिक दस्तावेज हैं, ऐसे में चीन के राजदूत उन्हें धमकाने की कोशिश न करें।
Do not intimidate me, know your boundaries Mr. Chen, I have evidence from the Nepal Government. https://t.co/B061GIsx0y
— Gajendra Budhathoki ♿ (@gbudhathoki) May 29, 2024
इस विवाद की शुरुआत तब हुई, जब पत्रकार गजेंद्र बुधाथोकी ने दावा किया कि ‘पोखरा एयरपोर्ट के लिए लोन पर ब्याज दर का भुगतान 2% नहीं बल्कि 5% की दर से किया जा रहा है।’ इसे चीनी राजदूत चेन सॉन्ग ने सरासर गलत बताते हुए लिखा, ‘मैं अपने जीवन में इससे बड़ा झूठ नहीं देखा। सार्वजनिक तौर पर जो जानकारी उपलब्ध है, उसके बावजूद इतना बड़ा झूठ बोलने की हिम्मत कर रहे हो’।
पत्रकार ने इसके जवाब में कहा कि ‘मैं सबूतों के साथ पर्दाफाश करूँगा।’ इसके बाद चीनी राजदूत धमकाने वाली भाषा पर उतर आए। और लिखा, ‘मेरी माँग है कि ‘तुम और जिनकी भी तुम नुमाइंदगी करते हो, उनकी तरफ से औपचारिक तौर पर माफी माँगो।’
क्या है पोखरा एयरपोर्ट से जुड़े कर्ज जाल का मामला?
दुनिया में बहुत सारे देश चीनी कर्ज के जाल में फँसकर तबाह हो चुके हैं। श्रीलंका, पाकिस्तान जैसे देशों की हालत किसी से छिपी नहीं है, तो नेपाल भी उसी जाल में फँस चुका है। चीन एक ओर अमेरिका से टक्कर लेने की कोशिश कर रहा है, तो दूसरी ओर वो छोटे-छोटे देशों को विकास परियोजनाओं का लालच दिखाकर कर्ज के जाल में फँसा रहा है। भारत के पड़ोसी नेपाल में भी ऐसी ही स्थिति बन गई है, जहाँ ड्रैगन ने प्रेशर डालकर पोखरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनवा तो लिया, लेकिन अब ये प्रोजेक्ट नेपाल सरकार के गले की फाँस बन गई है। ऊपर से पोखरा एयरपोर्ट को बनाने वाली सरकारी कंपनी को इतना महँगा लोन मिला है कि वो मूलधन तो छोड़िए, ब्याज भी नहीं चुका पा रही है। ब्याज की बात तो काफी बाद में, वो अपने परिचालन का खर्च तक नहीं निकाल पा रही है।
इस बीच, ये बात सामने आ रही है कि चीन ने कागजों पर तो पोखरा एयरपोर्ट के लिए 2% की ब्याज दर से लोन दिया है, लेकिन पोखरा एयरपोर्ट अथॉरिटी से 5% प्रतिशत ब्याज दर की वसूली हो रही है। इस पूरे मामले की पोल नेपाल के वरिष्ठ पत्रकार ने खोली, तो नेपाल में चीन का राजदूत उन्हें सोशल मीडिया पर ही धमकाने लगा। इसके बाद ये मामला बढ़ गया और नेपाल के साथ ही चीन भी बैकफुट पर आता दिख रहा है, क्योंकि जिस प्रोजेक्ट को लेकर चीन ने 2% ब्याज दर का दिखावा किया, वो 5% प्रतिशत निकला है, ऐसे में आम जन का आक्रोश भी बढ़ता दिखा है।
क्या है ब्याज दर का मामला?
दरअसल, चीन ने आधिकारिक तौर पर इस एयरपोर्ट के निर्माण के लिए 2% पर ही लोन दिया है, लेकिन एयरपोर्ट परिचालन करने वाली कंपनी को इसे 5% पर ही लौटाना है। लोक ऋण प्रबंधन कार्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक, हवाई अड्डे के निर्माण के लिए सरकार द्वारा चीन से लिए गए लोन की ब्याज दर केवल दो प्रतिशत है। लेकिन चीनी सरकार और नेपाल सरकार के बीच समझौते में दो तरह के लोन हैं। पहली तरह का लोन- 2 % के हिसाब से और दूसरा 0% के हिसाब से। लेकिन मामला यहाँ पर ये फँसता है कि नेपाल के वित्त मंत्रालय और पोखरा एयरपोर्ट अथॉरिटी के बीच एक अन्य समझौता हुआ है, जिसमें चीनी पैसा सीधे एयरपोर्ट अथॉरिटी के पास न जाकर, नेपाल सरकार के पास गया। और अब पैसा नेपाल सरकार के माध्यम से चीन को जाएगा। चूँकि ये लोन गवर्नमेंट टू बैंक है। ऐसे में नेपाली वित्त मंत्रालय इस लोन पर 2% नहीं, बल्कि 5% की दर से एयरपोर्ट अथॉरिटी से पैसा वसूल रही है। ये 3% का मार्जिन नेपाल सरकार रख ले रही है। ऐसे में पोखरा एयरपोर्ट का परिचालन करने वाली कंपनी को लोन की दर 5% ही पड़ रहा है और ये जानकारी आधिकारिक है। यही दावा पत्रकार ने भी किया है।
वैसे, एक बात और है कि इस एयरपोर्ट का उद्घाटन जब 1 जनवरी 2023 को हुआ था, तो चीन ने दुनिया को ये बताने की कोशिश की थी कि ये प्रोजेक्ट उसके अति-महत्वाकाँक्षी प्रोजेक्ट बीआरआई का हिस्सा है, लेकिन नेपाल सरकार ने उसके दावे को खारिज करते हुए साफ कर दिया था कि अभी तक नेपाल में बीआरआई के तहत कोई भी प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ है। चीन का दावा झूठा है।
त्राहि-त्राहि कर रहा नेपाल, लोन को अनुदान में बदलने की माँग
वैसे, पोखरा एयरपोर्ट को बनाकर नेपाल सरकार बुरी तरह से फँस चुकी है। उसे जिस कमाई की उम्मीद थी, वो तो छोड़िए, अपने परिचालन का खर्च भी इस एयरपोर्ट से नहीं निकल पा रहा है। पोखरा एयरपोर्ट का संचालन करने वाली कंपनी ने ब्याज की एक किश्त दी है, लेकिन मार्च 2024 में जाने वाली दूसरी किस्त वो चुका नहीं पाई है। इसके बाद नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प दहाल प्रचंड ने चीन की यात्रा की तो पोखरा एयरपोर्ट की असलियत सामने आई। दरअसल, पोखरा एयरपोर्ट पर कमाई न होने की वजह से नेपाल अभी इसका ब्याज भी नहीं भर पा रहा है, ऐसे में मूल धन कैसे लौटाएगा? इसलिए नेपाल सरकार चाहती है कि चीन इस कर्जे को ‘अनुदान’ मान ले और उससे पैसों की वसूली न करे। बाकी चीन पूरी दुनिया में ऐसे देशों के साथ क्या कर रहा है, वो किसी से छिपा नहीं है। पड़ोसी श्रीलंका का मामला ही देख लीजिए।
शुरुआत से ही विवादों में घिरा रहा एयरपोर्ट, जमकर हुआ भ्रष्टाचार
पोखरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट बन तो गया है, लेकिन इसकी कोई जरूरत नहीं थी। मार्च 2024 में नेपाल के महालेखा परीक्षक ने राष्ट्र को सरकारी खर्चों की ऑडिट रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें वित्त मंत्री वर्षमान पुन की भूमिका की जाँच की माँग की गई है। महालेखा परीक्षक ने कहा कि पोखरा एयरपोर्ट बनाने का फैसला बिना किसी स्टडी के लिए ही ले लिया गया। इसमें कई खामियाँ भी है। रिपोर्ट में कहा गया कि पोखरा में इंटरनेशनल एयरपोर्ट की जरूरी नहीं होने पर भी इसे बनाने की मंजूरी देना अपने आप में भ्रष्टाचार है। उस समय के वित्तमंत्री वर्षमान पुन, जो अब भी प्रचंड सरकार के वित्तमंत्री हैं, उन्होंने चीनी ठेकेदारों को फायदा पहुँचा है। यही नहीं, चीनी कंपनी को 2 अरब रुपये से ज्यादा की टैक्स छूट दी गई, ये भी भ्रष्टाचार है।
पिछले साल चीनी कंपनी के कर्मचारियों पर पड़ा था छापा
पोखरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने वाली चीनी कंपनी पर भ्रष्टाचार में घिरे होने की वजह से पिछले साल 1 नवंबर 2023 को बड़ी छापेमारी हुई थी और कर्मचारियों के बैंक खातों को सील कर दिया गया था। नेपाल के भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी ‘अख्तियार दुरुपयोग अनुसंधान आयोग’ ने चीनी कंपनी सीएएमसी इंजीनियरिंग के दफ्तर पर छापेमारी की थी। एयरपोर्ट पर खराब गुणवत्ता का काम और कमीशनखोरी के आरोपों पर ये छापेमारी हुई थी। दरअसल, 1 जनवरी से 2023 से ही शुरु हो चुके इस एयरपोर्ट के रडार और वीएचएफ सिस्टम में कई बार खराबी आ चुकी है और जहाजों को आधे रास्ते से वापस भेजना पड़ रहा था। इसके बाद भ्रष्टाचार की शिकायत पर ये छापेमारी की गई थी।