अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद चीन युद्धग्रस्त देश के साथ अपनी निकटता बढ़ाने का अवसर तलाश रहा है। बताया जा रहा है कि अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया को लेकर चीन ने बड़ी ही चालाकी से तालिबान को समर्थन करने का ऐलान कर दिया है। दरअसल, मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के नेतृत्व में बुधवार (28 जुलाई) को एक तालिबान प्रतिनिधिमंडल ने चीन में विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की है। ऐसे में खबरें हैं कि चीन ने तालिबान को अपना समर्थन दे दिया है। कतर में मुल्ला अब्दुल गनी बरादर तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख है और अमेरिका के साथ तालिबान की वार्ता में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
State Councilor & Foreign Minister Wang Yi met with a #Taliban delegation led by Mullah Abdul Ghani Baradar in Tianjin on Wed: Chinese FM pic.twitter.com/ai2ehZHhsa
— Global Times (@globaltimesnews) July 28, 2021
हांगकांग स्थित समाचार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अुनसार, यह बैठक चीन के उत्तरी शहर तियानजिन में हुई थी। सोशल मीडिया पर इस मुलाकात की कई तस्वीरें सामने आई हैं।
Beijing sheds public hesitations on dealing with Taliban. Taliban’s deputy leader Abdul Ghani Baradar & Chinese Foreign Minister Wang Yi, pics out. pic.twitter.com/CousHNDkVX
— Sidhant Sibal (@sidhant) July 28, 2021
तालिबान के प्रवक्ता डॉ. मोहम्मद नईम ने ट्वीट किया कि शांति प्रक्रिया और सुरक्षा मुद्दों पर चीनी सरकार के साथ बातचीत के लिए तालिबान का 9 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल चीन की दो दिवसीय यात्रा पर है। चीन के आधिकारिक निमंत्रण पर मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के नेतृत्व में यह प्रतिनिधिमंडल चीन गया है। उन्होंने बताया कि चीनी विदेश मंत्री वांग यी, उप विदेश मंत्री और अफगानिस्तान के लिए चीन के विशेष प्रतिनिधि के साथ अलग-अलग बैठकें हुईं।
1/4 محترم ملا برادر آخوند معاون سیاسی و رئیس دفتر سیاسی امارت اسلامی افغانستان ، در تاریخ 27/7/2021 به دعوت رسمی چین براى دو روز در راس یک هیئت عالی رتبه 9 نفرى به چین سفر کرد.
— Dr.M.Naeem (@IeaOffice) July 28, 2021
नईम ने कहा, “राजनीति, अर्थव्यवस्था, दोनों देशों की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों और अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति लेकर शांति प्रक्रिया पर चर्चा हुई।” प्रवक्ता ने दोहराया कि तालिबान ने चीन को आश्वासन दिया है कि वह किसी भी देश की सुरक्षा के खिलाफ अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल नहीं होने देगा। जिसका अर्थ है कि वे उइगर अलगाववादियों को शरण नहीं देंगे। उन्होंने कहा, “चीन ने अफगान लोगों के साथ अपने सहयोग को जारी रखने और विस्तार करने का आश्वासन दिया है, यह कहते हुए कि वे अफगानिस्तान के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे, लेकिन समस्याओं को हल करने और शांति बनाने में मदद करेंगे।”
अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति को लेकर तालिबानी नेताओं का चीन दौरा काफी अहम माना जा रहा है। यह पहली बार है जब तालिबान के किसी वरिष्ठ नेता ने चीन का दौरा किया है, क्योंकि इस्लामिक आतंकवादी समूह ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा करने के लिए बड़े पैमाने पर हमला किया है। अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान ने अफगानिस्तान में करीब 200 जिलों पर कब्जा कर लिया है।
वहीं, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रतिबंधित आतंकवादी गुट तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के पास अब भी अफगान सीमा पर लगभग 6,000 प्रशिक्षित लड़ाके हैं। बताया जा रहा है कि यूएन एनालिटिकल सपोर्ट एंड सैंक्शन मॉनिटरिंग टीम की 28वीं रिपोर्ट में इस बात की भी पुष्टि की गई है कि अफगानिस्तान-चीन सीमा पर करीब सैकड़ों बीजिंग विरोधी चरमपंथियों की मौजूदगी बनी हुई है। पाकिस्तान का आरोप है कि अफगानिस्तान टीटीपी का इस्तेमाल उसके खिलाफ हमले में करता है। टीटीपी, अफगान और तालिबान में गठजोड़ को लेकर इमरान सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
गौरतलब है कि तालिबान ने पहले ही चीन को आश्वासन दे दिया था कि वो शिनजियांग के मुस्लिमों में बढ़ते कट्टरपंथ को लेकर चुप रहेगा। साथ ही चीन जो उइगर मुस्लिमों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है, उस पर भी वो कुछ नहीं बोलेगा। इसके बाद माना जा रहा है कि तालिबान और चीन के बीच में अफगानिस्तान को लेकर समझौता हो गया है।