Friday, November 15, 2024
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NYT ने ‘हार्वर्ड कांड’ का ठीकरा ‘हिंदुत्ववादियों’ पर फोड़ा: जहाँ धोखाधड़ी से बचीं BJP प्रवक्ता निखत अब्बास वहीं फँस गई थीं NDTV की निधि राजदान

NYT के लेख में निधि राजदान को अधिक लापरवाह बताया गया है, क्योंकि ह एक घोटाले के स्पष्ट संकेतों की अनदेखी करती रहीं। यहाँ तक ​​​​कि जब उनसे कहा गया कि हार्वर्ड में एक डीन के साथ उनकी निर्धारित एक वीडियो कॉल रद्द हो गई, तब भी उन्हें इसका अंदाजा नहीं हुआ।

एनडीटीवी की पूर्व पत्रकार निधि राजदान द्वारा हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर की नौकरी की पेशकश और फिर धोखाधड़ी का खुलासा करने के एक साल बाद न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने ‘हार्वर्ड की वो नौकरी? इट्स नॉट रियल’ नाम से प्रकाशित रिपोर्ट में इस धोखाधड़ी के लिए हिंदू राष्ट्रवादियों को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की है। रिपोर्ट में उसने कहा कि भारत में कई महिलाओं को इस घोटाले में निशाना बनाया गया, लेकिन अमेरिका जाने के लिए एनडीटीवी से इस्तीफा देने वाली निधि राजदान इसमें फँस गईं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि धोखाधड़ी करने वाले कौन हैं, इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन भारत के हिंदू राष्ट्रवादी अभियान का ऑनलाइन समर्थन किसी व्यक्ति द्वारा किया गया है। हालाँकि, यह स्पष्ट नहीं किया है कि धोखाधड़ी करने वालों ने हिंदू राष्ट्रवादियों का कहाँ समर्थन किया। लेख में मोदी सरकार और भाजपा का जिक्र करते हुए बार-बार हिंदू राष्ट्रवादी शब्द का प्रयोग किया गया है। इसके जरिए दोषियों के राजनीतिक झुकाव को दर्शाने की बार-बार कोशिश की गई है।

न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, इस स्कैम का निशाना सिर्फ निधि राजदान नहीं थीं, बल्कि कई लोगों को निशाना बनाया गया था, लेकिन राजदान को छोड़कर बाकी लोगों ने महसूस किया कि हार्वर्ड के इस ऑफर में कुछ गड़बड़ जरूर है और उन्होंने जॉब ऑफर के लिए संपर्क करने वालों को ज्यादा महत्व नहीं दिया। पहला निशाना द वायर की पत्रकार रोहिणी सिंह को बनाया गया था। रोहिणी सिंह को तौसीफ अहमद ने संपर्क किया था और खुद को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की बताया था। तौसीफ और एलेक्स हिर्शमैन ने उन्हें मीडिया सम्मेलन में आमंत्रित करने के लिए संपर्क किया था और कहा था कि उनके सभी खर्चे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा वहन किया जाएगा। ये दोनों जीमेल अकाउंट से संवाद कर रहे थे और उनके फोन नंबर भी अमेरिका के नहीं थे तो रोहिणी सिंह को कुछ आशंका हुई। जब दोनों ने उनके पासपोर्ट का नंबर और तस्वीरें माँगी तो रोहिणी ने उनसे बातचीत करना बंद कर दिया।

NYT के अनुसार, उनका अगला निशाना द प्रिंट की स्तंभकार ज़ैनब सिकंदर थीं, जिन्हें तौसीफ़ और एलेक्स से कुछ इसी तरह के प्रस्ताव मिले थे। सिकंदर ने पाया कि दोनों बॉस्टन क्षेत्र से होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन उनका मोबाइल नंबर संयुक्त अरब अमीरात का था। वह व्यक्ति बातचीत से भी पाकिस्तानी लग रहा था। आधिकारिक निमंत्रण के लिए बार-बार कहने के बावजूद जवाब नहीं मिलने पर रोहिणी सिंह की तरह इन्हें संदेह हुआ और इन्होंने बातचीत बंद कर दी।

NYT की रिपोर्ट में कहा गया है कि एक प्रमुख भारतीय प्रकाशन में काम करने वाली एक अन्य महिला पत्रकार को भी निशाना बनाया गया, लेकिन पत्रकार ने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया। उसने यूएई के फोन नंबर देखने के बाद संपर्क भी खत्म कर दिया।

घोटाले की सबसे दिलचस्प शिकार भाजपा प्रवक्ता निखत अब्बास थीं, क्योंकि वह न केवल भाजपा की एक नेता हैं, बल्कि इस धोखाधड़ी को लेकर उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को सचेत भी किया था। घोटाले के निशाने पर वे सभी पत्रकार थीं, जो भाजपा की कटु आलोचक मानी जाती हैं। इसलिए निखत अब्बास थोड़ी अलग हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, जब तक अब्बास को निशाना बनाया गया, तब तक घोटालेबाजों ने अपनी तकनीक में सुधार कर लिया था। उन्होंने हार्वर्ड के वास्तविक कर्मचारियों के हस्ताक्षरों की प्रतिलिपि बनाई थी और विश्वविद्यालय की वेबसाइट से आधिकारिक लेटरहेड प्राप्त किया था। वे अब Gmail के बजाय harward.edu ईमेल पतों का भी उपयोग कर रहे थे। हालाँकि, जब अब्बास से उनके पासपोर्ट का विवरण सहित अन्य जानकारियाँ माँगी गईँ तो उन्होंने इसकी पुष्टि करने की सोची। हार्वर्ड के अधिकारी ने अब्बास को बताया कि उन्हें भेजा गया निमंत्रण नकली है।

हालाँकि, NYT का कहना है कि यह ज्ञात नहीं है कि हार्वर्ड ने इस पर कोई कार्रवाई की थी या नहीं। विश्वविद्यालय ने इस पर भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि उन्होंने भाजपा प्रवक्ता द्वारा दी गई जानकारी का क्या किया। दरअसल, अब्बास ने 29 नवंबर 2019 को ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें तौसीफ अहमद द्वारा किए जा रहे घोटाले के बारे में बताया गया था। उन्होंने कहा था कि तौसीफ एक स्कैम मास्टर या यहाँ तक कि आतंकवादी भी हो सकता है।

अब्बास की इस चेतावनी के बावजूद निधि राजदान अपना पर्सनल डिटेल देने वाली पहली शिकार बनीं। उन्हें अब्बास द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो से ठीक दो हफ्ते पहले ईमेल प्राप्त हुआ था। एनवाईटी की रिपोर्ट के अनुसार, स्कैमस्टर्स ने हार्वर्डकैरियर डॉट कॉम नामक एक वेबसाइट खरीदी थी और इसका इस्तेमाल एक ईमेल सर्वर स्थापित करने के लिए किया था, ताकि उनके द्वारा भेजे गए ईमेल में हार्वर्ड स्टैंप हो।

NYT

NYT के लेख में निधि राजदान को अधिक लापरवाह बताया गया है, क्योंकि वह एक घोटाले के स्पष्ट संकेतों की अनदेखी करती रहीं। यहाँ तक ​​​​कि जब उनसे कहा गया कि हार्वर्ड में एक डीन के साथ उनकी निर्धारित एक वीडियो कॉल रद्द हो गई, तब भी उन्हें इसका अंदाजा नहीं हुआ। हालाँकि, बाद में हार्वर्ड ने बताया कि विश्वविद्यालय ने उन्हें नौकरी की कभी पेशकश नहीं की थी।

निधि राजदान के लैपटॉप और उपकरणों का फोरेंसिक विश्लेषण करने वाले सुरक्षा विशेषज्ञ जितेन जैन ने कहा कि राजदान के कंप्यूटर में एक संदिग्ध फ़ाइल में एक आईपी पता था, जो वास्तव में पाकिस्तानी खुफिया विभाग से जुड़ा है। यह उल्लेखनीय है कि घोटालेबाजों ने निधि राजदान को अपने कंप्यूटर पर टीम व्यूअर स्थापित करने के लिए कहा था, जिसके जरिए दूसरे कंप्यूटर को कंट्रोल किया जा सकता है और मैलवयेर स्थापित किया जा सकता है।

इसके बावजूद, न्यूयॉर्क टाइम्स का मानना ​​है कि इस घोटाले के पीछे हिंदू राष्ट्रवादी हो सकते हैं। उसका दावा है, “शायद महिलाओं को एक व्यक्ति द्वारा लक्षित किया गया था, जो वैचारिक रूप से भारत में हिंदू राष्ट्रवादी सत्तारूढ़ दल के साथ गठबंधन किया था और कश्मीर में सरकार के हस्तक्षेप के आलोचकों और हिंदुओं और मुसलमानों के बीच विभाजन के खिलाफ बोलने वालों को अपमानित करने के लिए बहुत कुछ करने को तैयार था”।

NYT का यह भी दावा है कि घोटालेबाजों द्वारा उपयोग किए जाने वाले अकाउंट्स में से एक सीमा सिंह नाम के ट्विटर अकाउंट से अक्सर इन मुद्दों के बारे में पोस्ट किया जाता है और इसलिए घोटाले के पीछे हिंदू राष्ट्रवादी हो सकते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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