Friday, September 20, 2024
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हूर से मिले 879 हिजबुल्लाह आतंकी, संगठन के दस्तावेजों से खुलासा: रिपोर्ट में दावा- मोसाद ने ही फर्जी कंपनी बना थमाए वे पेजर-वायरलेस जिनमें हुए धमाके

NYT की रिपोर्ट में कहा गया है कि बुडापेस्ट में BAC के मुख्यालय से पता चलता है कि यह मोसाद द्वारा स्थापित फर्जी कंपनी के अलावा कुछ नहीं है। NYT ने इजरायली अधिकारियों के हवाले बताया कि मोसाद ने BAC में पेजर बनाने में शामिल लोगों की असली पहचान छिपाने के लिए कम से कम दो और फर्जी कंपनियाँ भी बनाईं।

लेबनान के भीतर लगातार हो रहे धमाकों के चलते हिजबुल्लाह के 800 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। यह खुलासा हिजबुल्लाह के एक खुफिया दस्तावेज से हुआ है। मारे जाने वालों में लेबनान ही नहीं बल्कि ईरान और यमन जैसे देशों के नागरिक शामिल हैं। लेबनान में यह धमाके पेजर, वॉकी-टॉकी और कई अलग-अलग इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में हुए हैं। लेबनान में देशव्यापी हमले का आरोप इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद पर लग रहा है। बताया जा रहा है कि उसने ही हिजबुल्लाह को एक दिन में इतना बड़ा नुकसान पहुँचाया।

हिजबुल्लाह के खुफिया दस्तावेज से पता चला कि इन धमाकों में 879 लोग मारे गए। इन मरने वालों में 131 ईरानी और ​​79 यमनी थे। मरने वालों में 291 वरिष्ठ अधिकारी भी थे। हिजबुल्लाह के पेजरों में यह धमाके कैसे हुए, इसको लेकर अलग-अलग थ्योरी दी जा रही है।

शुरुआत में कहा गया कि यह पेजर और वॉकी-टॉकी गरम होने के कारण फटे और इनमें इसके लिए एक मैसेज भेजा गया था। वहीं दूसरी तरफ बताया गया कि इन पेजर में 3 ग्राम विस्फोटक छुपाया गया था जिसे एक सिग्नल के द्वारा फोड़ा गया। यह भी बताया गया कि इजरायल ने इन पेजर और वॉकी टॉकी से हिजबुल्लाह के पास पहुँचने से पहले ही इनमें गड़बड़ी कर दी थी।

पेजर और वॉकी टॉकी के मामले में मोसाद ने कैसे हिजबुल्लाह को मूर्ख बना दिया और उसका बड़ा नुकसान किया, इसको लेकर अब अमेरिकी अखबार द न्यू यॉर्क टाइम्स (NYT) ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। उसकी रिपोर्ट में दावा है कि मोसाद ने हिजबुल्लाह द्वारा खरीदे जाने वाले पेजर के लिए संभवतः एक फर्जी कम्पनी ही खड़ी कर ली और उनके निर्माण के समय उसमे विस्फोटक छुपाए। जब यह पेजर हिजबुल्लाह के पास पहुँच गए तो उसने धमाका कर दिया।

मोसाद की कंपनी का क्या है मामला?

मंगलवार को जिन पेजरों में विस्फोट हुआ, वे ताइवान की कंपनी गोल्ड अपोलो के हैं। विस्फोट के बाद कंपनी के पेजर मॉडल AR-924 की तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आईं। बताया गया कि हिजबुल्लाह ने कुछ महीने पहले बड़ी संख्या में पेजर खरीदे थे। हालाँकि, गोल्ड अपोलो ने पेजर बनाने की बात से इनकार करते हुए कहा कि यह पेजर हंगरी की कंपनी BAC कंसल्टिंग ने लाइसेंस के तहत बनाए थे।

गोल्ड अपोलो के संस्थापक और CEO सू चिंग-कुआंग ने कहा “उन उपकरणों में ऐसा कुछ भी नहीं था जिसे हमने बनाया था या उन्हें निर्यात किया था।” सू ने कहा कि BAC द्वारा बनाए गए पेजर गोल्ड अपोलो द्वारा बनाए जाने वाले पेजरों से बिल्कुल अलग हैं और कंपनी को केवल ब्रांड नाम का ही लाइसेंस दिया गया है।

NYT की रिपोर्ट में कहा गया है कि बुडापेस्ट में BAC के मुख्यालय से पता चलता है कि यह मोसाद द्वारा स्थापित फर्जी कंपनी के अलावा कुछ नहीं है। NYT ने इजरायली अधिकारियों के हवाले बताया कि मोसाद ने BAC में पेजर बनाने में शामिल लोगों की असली पहचान छिपाने के लिए कम से कम दो और फर्जी कंपनियाँ भी बनाईं।

हंगरी के रिकॉर्ड बताते हैं कि BAC को मई 2022 में एक कंपनी के रूप में पंजीकृत किया गया था। इसके लिंक्डइन पेज के अनुसार, यह दूरसंचार, पर्यावरण, विकास और जैसे मामले में सेवाएँ देती है। रिपोर्ट के अनुसार, BAC सामान्य तौर पर काम करती थी, उन्होंने हिजबुल्लाह के अलावा कई ग्राहकों को कई एकदम साधारण पेजर की आपूर्ति भी की।

हंगरी के अनुसार, यह कम्पनी बिचौलिए का काम करती है और हंगरी में इसका कोई कारखाना नहीं है। हंगरी के प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ज़ोल्टन कोवाक्स ने एक्स पर पोस्ट किया कि लेबनान में फटने वाले हिजबुल्लाह के पेजर हंगरी में कभी बने ही नहीं।

उन्होंने बताया कि हंगरी जाँच में सभी अंतर्राष्ट्रीय साझेदार एजेंसियों और संगठनों के साथ सहयोग कर रहा हैं। BAC की CEO क्रिस्टियाना बार्सोनी-आर्किडियाकोनो ने भी कहा कि कंपनी ने पेजर नहीं बनाए और वह इनकी सप्लाई के मामले में केवल एक कड़ी का काम कर रही थी।

अभी यह साफ़ नहीं है कि पेजर कहाँ बनाए गए थे, लेकिन यह जरूर मालूम हो गया है BAC को मोसाद के बनाए गड़बड़ पेजर मिले और उसने यह पेजर लेबनान में हिजबुल्लाह को बेच भी दिए। BAC ने 2022 में पेजर की आपूर्ति शुरू की थी, लेकिन हिजबुल्लाह के सरगना हसन नसरल्लाह द्वारा अपने आतंकियों से मोबाइल फोन का उपयोग न करने और बातचीत के लिए पुरानी तकनीक वाले पेजर का उपयोग करने के लिए कहने के बाद इसमें तेजी आई, हिजबुल्लाह का मानना था कि पेजर को हैक नहीं किया जा सकता है।

नसरल्लाह के आदेश को उन रिपोर्टों से और मजबूती मिली, जिनमें कहा गया था कि इजरायल ने दुनिया में कहीं भी किसी भी सेलफोन को ट्रैक करने की तकनीक विकसित कर ली है और वह उस फोन का कैमरा और माइक्रोफोन तक एक्सेस कर सकते हैं।

हिजबुल्लाह और उसके आतंकियों के बीच यह बात फैल गई कि अब कोई भी मोबाइल सुरक्षित नहीं है, यहाँ तक कि एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप भी ट्रैक किए जा सकते हैं। इसके बाद हिजबुल्लाह ने फोन छोड़ पेजर पर आने को कहा। हिजबुल्लाह यहीं गच्चा खा गया और उसे मोसाद वाले पेजर मिले।

BAC को यह आर्डर हिजबुल्लाह से आसानी से मिल भी गया था। इसके दो कारण हो सकते हैं, एक तो कोई आतंकी संगठन को सप्लाई करना नहीं चाहेगा और दूसरा इस बाजार में ज्यादा प्रतिस्पर्धा भी नहीं है। कोई भी विस्फोटक बनाने में पाँच चीजे- एक कंटेनर, एक बैटरी, एक ट्रिगरिंग डिवाइस, एक डेटोनेटर और एक विस्फोटक चार्ज की ज़रूरत होती है। पेजर या ज़्यादातर दूसरे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में सिर्फ़ पहले 3 घटक होते हैं, इसलिए BAC को सिर्फ़ विस्फोटक और डेटोनेटर जोड़ने की ज़रूरत थी।

रिपोर्ट के मुताबिक, पेजर में बैटरी के साथ मिलिट्री-ग्रेड विस्फोटक रखा गय था। इनमें संभवतः 3 से 5 ग्राम PETN या RDX, रखी गई थी। हिज़्बुल्लाह ने लगभग 5000 पेजर खरीदे थे। उन्हें उन्हें लगभग 5 महीने पहले लेबनान में हिजबुल्लाह आतंकियों को दिया गया था। फटने से पहले तक, डिवाइस ठीक से काम कर रहे थे, और इनमें छिपे हुए विस्फोटकों का पता नहीं चला था।

इसके बाद मोसाद ने फैसला किया कि अब ऑपरेशन को अंजाम देने का समय आ गया है। हमले वाले दिन हज़ारों पेजर दोपहर में बीप हुए और उन्हने अरबी में एक संदेश प्राप्त हुआ जो हिज़्बुल्लाह के नेतृत्व द्वारा भेजे गए मैसेज जैसा था। इसके बाद पेजर इकट्ठे गरम होकर फट गए।

पेजर ही नहीं वॉकी टॉकी भी फटे

पेजरों के फटने के एक ही दिन बाद, हिजबुल्लाह जो वॉकी-टॉकी इस्तेमाल करता था, उनमें भी हजारों विस्फोट हुए। इसमें 25 लोग मारे गए और 1000 से ज़्यादा लोग घायल हो गए। फटने वाले इन वॉकी-टॉकी की तस्वीरें दिखाती हैं कि इनमें से कुछ जापानी रेडियो निर्माता आईकॉम द्वारा बनाए गए थे। हालाँकि, इस कंपनी ने कहा कि उसने एक दशक पहले इस टाइप के मॉडल को बनाना बंद कर दिया था। आईकॉम ने कहा कि वह फिर भी मामले की जाँच कर रही है।

आईकॉम ने ने गुरुवार को बताया कि उसने अक्टूबर 2014 तक अपने आईसी-वी82 टू-वे रेडियो को मध्य पूर्व समेत कई देशों में निर्यात किया था। इसके बाद उसने इस मॉडल को बनाना बंद कर दिया। कंपनी अब डिवाइस में इस्तेमाल होने वाली बैटरी तक नहीं बनाती। कंपनी ने आगे कहा कि वे यह नहीं बता सकते कि यह उनके हैं भी या नहीं।

अभी यह साफ़ नहीं है कि रेडियो में गड़बड़ी कैसे की गई। यह सामने आया है कि हिजबुल्लाह ने उन्हें सिर्फ पाँच महीने पहले खरीदा था। ऐसे में इस बात की आशंका है कि उनमें भी पेजरों की तरह लेबनान भेजे जाने से पहले गड़बड़ी की गई। यह पता नहीं है कि रेडियो की आपूर्ति बीएसी ने की थी या किसी कंपनी ने। चूंकि इस डिवाइस का उत्पादन एक दशक पहले बंद हो गया था, इसलिए यह संभावना नहीं है कि कहीं यह हजारों की संख्या में पड़े हों।

इस बात की जरूर संभावना है कि पुराने डिवाइस की कॉपी मोसाद द्वारा BAC या किसी और फर्जी कंपनी के माध्यम से हिजबुल्लाह को बेचने के लिए बनाई गई थीं। मोसाद ने यह कॉपी बनाने के दौरान ही उनमें विस्फोटक लगा दिए होंगे और उसके बाद यह हिजबुल्लाह के पास पहुँचे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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