यूनाइटेड किंगडम (UK) के सबसे बड़े स्वामीनारायण मंदिर के साथ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने हाथ मिलाया है, ताकि कोरोना वायरस के इलाज के लिए चल रहे ट्रायल और अन्य ट्रीटमेंट माध्यमों को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाई जा सके। खासकर ब्रिटिश-भारतीय समुदाय के लिए ऐसा किया गया है। श्री स्वामीनारायण मंदिर (नास्डेन टेम्पल) लन्दन के उत्तरी क्षेत्र में स्थित है, जिसकी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी को मदद की ज़रूरत पड़ी।
ऑनलाइन माध्यम से काफी लोग इस मंदिर से जुड़े हुए हैं और वो मंदिर के संतों के उपदेशों को सुनते हैं। अब ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के कहने पर स्वामीनारायण मंदिर ने कोरोना ट्रायल को लेकर चल रही प्रक्रिया और उसे लेकर हुए अध्ययन से सम्बंधित विवरणों से अनुयायियों को अवगत कराया। सन्देश दिया गया कि जिन लोगों में कोरोना के लक्षण हैं, वो ऑनलाइन भी इसके इलाज के लिए जारी ट्रायल में शामिल हो सकते हैं।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के ‘नफ़ील्ड डिपार्टमेंट ऑफ प्राइमरी हेल्थ केयर साइंसेज’ के प्रोफेसर और वैक्सीन ट्रायल के को-लीड क्रिश बटलर ने कहा कि श्री स्वामीनारायण मंदिर द्वारा देश स्तर पर चल रहे इस फ्लैगशिप हेल्थ केयर ट्रायल को कई समुदायों, परिवारों और व्यक्तियों तक पहुँचाया है, जो कि एक स्वागत योग्य कदम है। उन्होंने कहा कि इससे उन्हें ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचने में आसानी हो रही है।
उन्होंने कहा कि ये ‘प्रिंसिपल ट्रायल’ पूरी तरह डेमोक्रेटिक है और ब्रिटेन में रह रहे अल्पसंख्यक एथनिक समुदाय के लोग इस संक्रमण से काफी बीमार हो जाते हैं, इसीलिए ट्रायल में उन्हें शामिल करना खासा आवश्यक है। उन्होंने बताया कि भारतीयों और यूके की जनसंख्या के अन्य लोगों को शामिल करने से ये ट्रायल और पुष्ट होगा। ट्रायल में शामिल वैज्ञानिकों ने इसके लिए स्वामीनारायण मंदिर का धन्यवाद दिया है।
We are delighted to collaborate with Britain’s most influential Hindu temple and Europe’s BAPS Swaminarayan Sanstha, who are spreading awareness of the #PRINCIPLETrial of Covid-19 treatments among the Indian community. https://t.co/TppLnqhCJy @NeasdenTemple @UniofOxford
— OxPrimaryCareSci (@OxPrimaryCare) October 21, 2020
इस प्रिंसिपल ट्रायल को ‘यूके रिसर्च एंड इनोवेशन (UKRI)’ ने फंड्स उपलब्ध कराए हैं। साथ ही यूके सरकार ने भी अपने विभिन्न विभागों की तरफ से फंड्स उपलब्ध कराए हैं। इसके लिए अब तक 1300 लोगों को तैयार किया गया है, जो इस ट्रायल का हिंसा बनेंगे। इसका उद्देश्य है कि जिन लोगों में इसका सबसे ज्यादा असर देखा जा रहा है, उनके लिए बेहतर इलाज सुनिश्चित की जाए। बिना अस्पताल में भर्ती हुए इलाज के माध्यमों पर भी खोज चल रही है।
बता दें कि कोरोना वायरस की आपदा के बीच भारत के सारे मंदिर और मठ भी एक ही ध्येय लेकर चले हैं और वो है जनसेवा, यानी राहत-कार्य। पिछले कुछ दिनों में सभी छटे-बड़े मंदिरों ने जनसेवा का ऐसा उदाहरण पेश किया है, जिससे हिन्दू धर्म को गाली देने वाले बेनकाब हो गए। वहीं इसके उलट दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज़ मस्जिद ने दान देना तो दूर, उल्टा लॉकडाउन का उल्लंघन कर पूरे देश में महामारी फैला दी।