सालों तक अपनी जमीन पर जिहादी आतंकी होने के खुले रहस्य को नकारने के बाद आख़िरकार पाकिस्तान को उसे स्वीकारना पड़ रहा है। पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज़ पब्लिक रिलेशंस के महानिदेशक मेजर जनरल आसिफ गफूर ने सोमवार को प्रेस वार्ता कर यह स्वीकारोक्ति कर ली है कि उनके देश में हिंसक चरमपंथी इस्लामी संगठन और जिहादी मौजूद हैं। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि अब तक की पाकिस्तानी सरकारें इससे लड़ने में नाकाम रहीं हैं।
करता रहा भारत के दावे का विरोध
अब तक हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान भारत के इस दावे का विरोध करता रहा है कि उसकी ज़मीन पर इस्लामी दहशतगर्दों को खाद-पानी मिलता है। यह पहली बार है कि उसने अपने समाज और देश में मौजूद चरमपंथियों को स्वीकार किया है।
‘गँवाए हैं लाखों डॉलर’, पहले की सरकारें नाकाम
मेजर जनरल आसिफ गफूर ने कहा, “हमने हिंसक चरमपंथी संगठनों और जिहादी संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया है और हम उनके खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि दहशतगर्दी का समूल नाश करने के लिए बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है, और उनके देश ने इस दहशत के साम्राज्य के कारण बहुत नुकसान उठाया है। उन्होंने कहा, “हमने आतंकवाद के कारण लाखों डॉलर गँवाए हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि उनके देश की पूर्ववर्ती सरकारें इस सबसे निपटने में नाकाम रहीं हैं। उन्होंने स्वीकारा, “सरकारें मेहरबानी करने में व्यस्त रही हैं और हर सुरक्षा एजेंसी इसी में व्यस्त रही है। इस वजह से हम प्रतिबंधित संगठनों के खिलाफ उस रणनीति को बनाने में नाकाम रहे हैं, जो हम आज बना रहे हैं।”
बालाकोट पर झूठ बरकरार
पाकिस्तान ने सच की इस एक स्वीकारोक्ति को भी बिना झूठ के नहीं रहने दिया। बालाकोट में कोई नुकसान नहीं होने के अपने झूठ पर कायम मेजर गफूर ने कहा, “बालाकोट में हमें कोई नुकसान नहीं हुआ, हमने स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया को ले जाकर दिखा दिया। हम हिन्दुस्तानी मीडिया को भी ले जाने को तैयार हैं।”