Sunday, December 22, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयगुजरात का वो मुख्यमंत्री जिसे Pak एयर फोर्स ने हवा में ही मार डाला...

गुजरात का वो मुख्यमंत्री जिसे Pak एयर फोर्स ने हवा में ही मार डाला था, आज ही के दिन, ठीक 56 साल पहले

हिंदुस्तान की एक चुनी हुई राज्य सरकार के मुखिया को हवा में मार डाला था इसी पाकिस्तानियों ने, और बहाना दिया था कि उनका विमान सीमा के 'बहुत पास' उड़ रहा था।

सरकार ने पिछले दिनों पाकिस्तान की एयरस्पेस के ऊपर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विमान को गुजारने की अनुमति माँगी थी, ताकि उनकी अमेरिका यात्रा का मार्ग छोटा हो सके। लेकिन इस खबर ने ट्विटर पर हिन्दुस्तानियों को दुश्चिंता से भर दिया। और यह लकारन नहीं था- हिंदुस्तान की एक चुनी हुई राज्य सरकार के मुखिया को हवा में मार डाला था इसी पाकिस्तानियों ने, और बहाना दिया था कि उनका विमान सीमा के ‘बहुत पास’ उड़ रहा था

गुजरात के मुख्यमंत्री बलवंत राय और उनकी पत्नी की हत्या

1965 की हिंदुस्तान-पाकिस्तान जंग के समय गुजरात के मख्यमंत्री हुआ करते थे कॉन्ग्रेस के कद्दावर नेता बलवंत राय मेहता। कच्छ के रण में पाकिस्तानी वायुसेना के पायलट ने सीमा रेखा के करीब उनके विमान पर हमला कर उनकी, उनकी पत्नी की और विमान में सवार 6 अन्य बेगुनाहों की हत्या कर दी थी

बलवंत राय अपने बीचक्राफ़्ट मॉडल 18 के विमान में अहमदाबाद से पत्नी और अन्य लोगों के साथ सीमा-रेखा के पास के मीठापुर के लिए निकले थे। उनके विमान चालक थे वायुसेना के पायलट रह चुके जहाँगीर इंजीनियर और उनके साथ थे एक को-पायलट। मुख्यमंत्री मेहता की पत्नी श्रीमती सरोज, गुजरात डेली का एक पत्रकार और साथ में मेहता के तीन सहयोगी भी विमान में थे।

लेकिन उनकी लैंडिंग के पहले ही कैस हुसैन नामक पाकिस्तानी एयरफोर्स पायलट ने हिंदुस्तानी वायुसीमा के भीतर घुसकर मेहता के विमान पर हमला कर दिया। पायलट जहाँगीर ने अपने पीछे युद्धक विमान को पड़ा देखकर अपने विमान के डैने ज़ोर-ज़ोर से हिलाने शुरू कर दिए, और विमान को और ऊँचाई पर ले जाने लगे- यह दया की याचना करने, या फिर गैर-युद्धक/नागरिक विमान होने का संकेत होता है, जैसे थल युद्ध में सफ़ेद झंडा दिखाकर युद्ध-विराम, दया, या नागरिक/गैर-सैनिक होने का इशारा किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय नियमों के हिसाब से ऐसे सफ़ेद कपड़े या झंडे के निशान पर युद्ध रोक कर अभयदान देना किसी भी सेना का बाध्यकारी फ़र्ज़ होता है। लेकिन कैस हुसैन ने एक न सुनी।

उसने एक-एक कर मेहता के विमान का पहले बायाँ और फिर दायाँ डैना ध्वस्त कर दिया। इसके बाद विमान गिरने लगा, और ज़मीन से टकराने के पहले ही उसमें आग लग गई। आग और हज़ारों फ़ीट की ऊँचाई से सीधे ज़मीन पर गिरने के बाद न किसी के बचने की संभावना थी, न ही कोई बचा।

‘हमने गलत हमला किया, लेकिन फिर भी हमारी ड्यूटी थी- कोई अफ़सोस नहीं’

इसमें पाकिस्तान का बहाना यह रहा है कि उसे ‘लगा’ कि हिंदुस्तान ने सीमा पर रेकी और जासूसी के लिए नागरिक विमानों का इस्तेमाल शुरू कर दिया है- और अपने इसी ‘लगने’ के आधार पर उसने फाइटर पायलट कैस हुसैन को असैन्य विमान होने की दुहाई देते या दया की भीख माँगते विमान पर जानलेवा हमला करने का आदेश दे दिया। और-तो-और, हिंदुस्तान की सीमा में घुस कर हिंदुस्तान के एक नागरिक, अहिंसक जनप्रतिनिधि की हत्या करने के बाद ‘चोरी-सीनाज़ोरी’ को चरितार्थ करते हुए तर्क दिया जाता है कि “बलवंत राय का विमान आखिर युद्धक विमान जैसा क्यों था”, “(ठीक है कि वह हिंदुस्तानी सीमा के भीतर ही था, लेकिन) आखिर एक नागरिक विमान सीमारेखा के पास कर क्या रहा था?” और पाक-ऑक्युपाइड पत्रकारिता का समुदाय विशेष पाकिस्तान के ऐसे ही तर्कों को आवाज़ देता है, वैधता प्रदान करता है।

46 साल बाद हत्या को अंजाम देने वाले पायलट कैस हुसैन ने पत्र लिखकर अफ़सोस तो जताया, लेकिन केवल पायलट जहाँगीर इंजीनियर की बेटी फ़रीदा सिंह से, जबकि उसने अन्यायपूर्ण हत्या 8 लोगों की थी। और वह भी उसने अपने किए पर अफसोस नहीं जताया, बल्कि फ़रीदा और मारे गए अन्य लोगों के परिवार को हुई तकलीफ़ पर अफसोस जताया। यानी कल्पना करिए आपके घर में आकर कोई आपके प्रियजनों को चाकू मार दे, बाद में बहाना करे कि आपके पिताजी उसके दुश्मन ‘जैसे’ दिखते थे, आपको ही उलाहना दे कि भला वे घर में बैठने की बजाय गलियारे में कर क्या रहे थे! और सात में यह भी कहे कि उसे आपके पिता की बेवजह नृशंस हत्या, चाक़ू से मरते हुए उन्हें हुए दर्द को लेकर कोई अफ़सोस या शर्म नहीं है, लेकिन आपके यतीम हो जाने का अफ़सोस बिलकुल है! हत्यारे पाकिस्तानी पायलट कैस हुसैन ने भी बिल्कुल कुछ ऐसा ही किया है।

एक ट्विटर यूज़र के अनुसार मेहता के कच्छ दौरे की घोषणा भी पहले ही हो चुकी थी- यानी यह बहाना भी पाकिस्तान का खोखला ही निकलता है कि भला युद्ध काल में किसी नागरिक के सीमारेखा के पास होने का उसे कैसे पता होता।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -